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ऊना कांड के पीड़ित दलित आज भी दहशत में, आरोपी कहते हैं, 'याद कर ले क्या हुआ था'

पुलिस ने दो आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

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ऊना में जुलाई 2016 में हुई थी दलितों की पिटाई (फाइल फोटो)

गुजरात के ऊना (Una Dalits) में 6 साल पहले चार दलितों को अधनंगा कर सरेआम पीटा गया था, क्योंकि वे मरे हुए जानवरों की खाल उतार रहे थे. इस घटना का वीडियो खूब वायरल हुआ था. पीटने वाले तथाकथित 'गौरक्षक' थे. अब एक बार फिर मामले के दो आरोपियों पर उन दलित पीड़ितों को धमकाने का आरोप लगा है. पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है. पीड़ितों ने शिकायत की है कि केस वापस नहीं लेने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है.

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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना के एक पीड़ित वश्राम सरवैया और उनके पिता बालूभाई सरवैया ने ऊना पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई है. शिकायत में दो आरोपी प्रमोदगिरी गोस्वामी, बलवंत गोस्वामी और एक अज्ञात व्यक्ति के नाम हैं. FIR में वश्राम ने कहा है कि उन्हें और उनके चचेरे भाई अशोक को ऊना शहर में प्रमोद और बलवंत ने रोक लिया. उन्होंने जान से मारने की धमकी दी और जाति के आधार पर गालियां दीं.

वश्राम और अशोक उन पीड़ितों में शामिल हैं जिन्हें 2016 में सरेआम पीटा गया था. FIR के मुताबिक, आरोपियों ने उनसे कहा कि "याद करले कि पहले कैसे पीटा गया था." आरोपियों के खिलाफ IPC की धाराओं के साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम कानून की धाराएं भी लगाई गई हैं.

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ऊना में पिटाई का पूरा मामला

11 जुलाई 2016 को तथाकथित गौरक्षकों ने वश्राम, उनके भाई रमेश और चचेरे भाई बेचर और अशोक सरवैया को सरेआम नंगा किया गया था. सभी को कार से बांधकर उनकी लाठी-डंडों से पिटाई की थी. क्योंकि वे गाय की खाल उतार रहे थे. गौरक्षकों ने उन पर गाय को मारने का आरोप लगाया था. पीड़ितों ने उन्हें बताया कि वे खाल उतारने का काम करते हैं, इसके बावजूद उन्हें पीटा गया. इस घटना के बाद गुजरात और देश के अलग-अलग हिस्सों में कई दिनों तक प्रदर्शन हुए थे.

बाद में पीड़ित लोगों, उनके परिवार वालों और दलित समाज के कई लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया था. सभी पीड़ित गिर सोमनाथ जिले के मोटा समढियाला गांव के रहने वाले हैं. इसी गांव में अप्रैल 2018 में धर्म परिवर्तन का कार्यक्रम हुआ था. पीड़ितों में एक रमेश सरवैया ने तब मीडिया से कहा था कि जाति को लेकर किए गए भेदभाव के कारण उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया.

पीड़ितों पर दोबारा हमला

25 अप्रैल 2018 को ऊना पीड़ितों रमेश और अशोक सरवैया ने आरोप लगाया था कि उनपर फिर से हमला किया गया था. ये हमला 2016 की घटना के आरोपियों में एक किरण सिंह बालूभाई ने किया था. उस दौरान भी पीड़ितों को धमकी दी गई थी. ऊना पुलिस स्टेशन में किरण सिंह के खिलाफ केस भी दर्ज हुआ था.

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घटना के बाद 40 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था. अगस्त 2018 में कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई. बाद में अधिकतर लोगों को जमानत मिल गई. इस साल जुलाई में गुजरात हाई कोर्ट ने चार मुख्य आरोपी रमेश जाधव, प्रमोदगिरी गोस्वामी, बलवंतगिरी गोस्वामी और राकेश जोशी को जमानत दे दी थी. मुख्य आरोपियों को जमानत इस शर्त पर दी गई कि वे कोर्ट आने के अलावा गिर सोमनाथ जिले की सीमा में नहीं आ सकते हैं.

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