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'वसीम को पीटा गया था... पुलिसवालों पर केस हो', जिम ट्रेनर की मौत के केस में कोर्ट का बड़ा आदेश

Uttarakhand: पिछले साल जिम ट्रेनर वसीम का शव एक तालाब में मिला था. परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसकी हत्या की. जबकि, पुलिस ने कहा कि वह गोमांस ले जा रहा था, इसलिए पुलिस को देखकर तालाब में कूद गया और डूब गया. अब कोर्ट ने क्या कहा है?

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जिम ट्रेनर वसीम का शव अगस्त 2024 में एक तालाब में मिला था (फोटो: सोशल मीडिया)

उत्तराखंड के हरिद्वार में पिछले साल एक 22 साल के जिम ट्रेनर की मौत हो गई थी (Gym Trainer Murder). परिवार ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था. जबकि, पुलिस का कहना है कि वह गोमांस ले जा रहा था. इसलिए पुलिस को देखकर तालाब में कूद गया और डूब गया. अब करीब दस महीने बाद कोर्ट ने छह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है.

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क्या है पूरा मामला?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 अगस्त 2024 को जिम ट्रेनर वसीम का शव एक तालाब में मिला था, जो हरिद्वार के माधोपुर में पड़ता है. परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसकी हत्या की. परिवार की शिकायत के बावजूद, FIR दर्ज नहीं की गई. अब बुधवार, 2 जुलाई को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने छह अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने और जांच का आदेश दिया. 

वसीम के रिश्तेदार अलाउद्दीन ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. आवेदन के मुताबिक, वसीम 25 अगस्त की सुबह घर जा रहा था. तभी उसे सब-इंस्पेक्टर शरद सिंह, कांस्टेबल सुनील सैनी और प्रवीण सैनी के अलावा तीन और अज्ञात पुलिसकर्मियों ने रोका. अलाउद्दीन ने आगे कहा,

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उन्होंने उसे जान से मारने के इरादे से लाठी-डंडों से पीटना शुरू कर दिया और उसे सड़क के पास तालाब के पास फेंक दिया.

आवेदन में दावा किया गया है कि उसकी चीख-पुकार सुनकर स्थानीय लोगों ने घटना देखी और इसका वीडियो रिकॉर्ड किया. आवेदन में आरोप लगाया गया,

जब उन्होंने वसीम को बचाने का प्रयास किया, तो पुलिस ने उन्हें धमकी दी कि अगर उन्होंने हस्तक्षेप किया तो वे गोली मार देंगे. आखिर में, पुलिस अधिकारियों ने वसीम को मार डाला.

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अलाउद्दीन ने आगे बताया कि अगले दिन उन्होंने गंगनहर थाने में लिखित शिकायत दी.

पुलिस ने क्या बताया?

पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में दावा किया है कि स्कूटर सवार एक व्यक्ति पुलिस को देखकर भाग गया. आगे कहा,

जब पुलिस ने वाहन की जांच की, तो उन्हें कथित तौर पर स्कूटर के स्टोरेज में गोमांस के पैकेट मिले. घटनास्थल पर बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गई, जिसमें आवेदक अलाउद्दीन और उसके रिश्तेदार भी शामिल थे, जिन्होंने पुलिस को घेर लिया, गालियां दीं. उन्हें धमकाया और उन पर वसीम को पीटने, गोली मारने और उसे तालाब में फेंकने का आरोप लगाया.

पुलिस ने दावा किया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि मौत का कारण डूबना और दम घुटना था. शरीर पर लगीं चोटों को लेकर पुलिस ने बताया कि ये किसी कठोर चीज से टकराने की वजह से आई थीं. जबकि निचले होंठ के गायब होने का कारण पैंगेशियस मछली के काटने को बताया गया.

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कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट को यह निर्धारित करने की जरूरत नहीं है कि शिकायत झूठी है या नहीं, बल्कि उसे यह आकलन करना होगा कि शिकायत में कथित तौर पर अपराध जैसा कुछ है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत से पहले शरीर पर छह चोटों के निशान दिखाए गए हैं. जो यह दिखाते हैं कि वसीम को तालाब में फेंकने से पहले बुरी तरह पीटा गया था. जांच रिपोर्ट से यह पुष्टि भी होती है कि आरोपी पुलिसकर्मी घटनास्थल पर मौजूद थे. इसलिए इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि आरोपी पुलिसवालों ने वसीम की पिटाई की होगी और उसे तालाब में फेंक दिया होगा.

कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे में आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करना और उचित जांच जरूरी है. क्योंकि पर्याप्त सबूत केवल जांच के जरिए ही जुटाए जा सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच हरिद्वार मुख्यालय से सर्किल ऑफिसर रैंक के अधिकारी द्वारा की जाए.

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