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ये वाला खाना कम उम्र में लोगों की ले रहा जान, इस रिपोर्ट के नतीजे देख छूना भी बंद कर देंगे

30 साल से ज्यादा समय तक हजारों लोगों का खानपान और लाइफस्टाइल ट्रैक करने के बाद ये रिपोर्ट तैयार की गई है.

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अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से जल्दी मौत का रिस्क (सांकेतिक फोटो- आजतक)

जंक फूड चाव से खाने वाले लोगों पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की नई रिसर्च आई है. कहा गया है कि जो लोग नियमित रूप से बाहर का अल्ट्रा-प्रोसेस्ड (Ultra Processed Food) फूड खाते हैं, उनकी प्री मैच्योर डेथ होने के चांसेज ज्यादा हैं. यानी औसत उम्र से पहले मौत हो सकती है. कोई छोटी-मोटी स्टडी नहीं है. 30 साल से ज्यादा समय तक 1 लाख 14 हजार लोगों का खान-पान और लाइफस्टाइल ट्रैक करने के बाद ये रिपोर्ट तैयार की गई है.

पहले जान लेते हैं कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड है क्या? अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की कोई एक परिभाषा नहीं है , लेकिन सामान्य तौर पर इस खाने में ऐसी सामग्रियां (इंग्रेडिएंट्स) पड़ी होती हैं जिनका उपयोग घरेलू खाना पकाने में नहीं किया जाता है. और ये सामग्रियां ही सेहत को जबरदस्त नुकसान पहुंचाती हैं. जैसे- प्रेजरवेटिव्स, कलर और स्वीटनर्स. वो खाना जिसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा जरूरत से ज्यादा और पोषक तत्वों और फाइबर की काफी कमी होती है. अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स को कॉस्मेटिक फूड्स के नाम से भी जाना जाता है. जिसमें खाने के नेचुरल तत्व हटा कर उसे कृत्रिम तत्वों में बदल दिया जाता है. जिससे इसके पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. प्रोसेस्ड फूड्स में केक पेस्ट्री, नूडल्स, कैंडी, चिप्स, रेडी टू ईट खाना, खूब चीनी वाली ड्रिंक्स वगैरह-वगैरह शामिल हैं. 

स्टडी मेडिकल जर्नल BMJ में छपी है और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के सेवन से जुड़े जोखिमों के बारे में बताती है.

स्टडी में क्या पता चला?

-अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के ज्यादा सेवन से मौत का ज्यादा रिस्क है.

-जो लोग नियमित रूप से अल्ट्रा-प्रोसेस्ड मीट का सेवन करते हैं, उन्हें समय से पहले मौत की 13% ज्यादा संभावना है.

-ज्यादा मीठा और आर्टिफिशियल शुगर वाली (कोल्ड) ड्रिंक्स का सेवन करने वालों में जल्दी मौत होने का रिस्क 9% ज्यादा है.

-लगभग 34 साल चली स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं ने 48,193 मौतों की पहचान की जिनमें कैंसर के चलते 13,557 मौतें, हृदय रोगों की वजह से 11,416 मौतें, रेस्पिरेटरी रोगों के कारण 3,926 मौतें और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के चलते 6,343 मौतें शामिल हैं.

-निष्कर्ष निकला है कि लंबी उम्र के लिए कुछ तरह के अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की खपत को सीमित करना जरूरी है. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के वर्गीकरण में सुधार करने की भी जरूरत है.

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इससे पहले सामने आई कई और स्टडी में भी अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, टाइप 2 डायबिटीज और समय से पहले मौत के साथ कनेक्शन निकला है. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड अब औसत व्यक्ति के आहार का एक जरूरी हिस्सा बन गए हैं. खास तौर पर पश्चिमी देशों में. वहां दिन के खाने का आधा हिस्सा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड है. युवा लोगों और कम आय वाले लोगों में ये अनुपात 80% तक बढ़ सकता है. कुल मिलाकर निष्कर्ष ये निकलता है कि अगर आपको स्वस्थ रहना और लंबा चलना है तो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाकर चलिए. फ्रेश और अपने घर के किचन से अटूट मोहब्बत कीजिये. 

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