The Lallantop

तालाब में नहाने गए 3 और लड़के 'दिमाग खाने वाले अमीबा' की चपेट में, जानें ये क्या है

Kerala में Amoebic Meningoencephalitis से पहले ही तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. अब तीन और लड़के इसकी चपेट में आए हैं.

post-main-image
ब्रेन इन्फेक्शन करने वाले इस अमीबा का नाम नेगलेरिया फाउलेरी है.

केरल के तिरुवनंतपुरम में एक तालाब में नहाना तीन लोगों को भारी पड़ गया. तालाब के पानी में मौजूद जानलेवा अमीबा उनके शरीर में घुस गया. मेडिकल जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि उनके दिमाग में 'अमीबिक मेनिंगोइन्सेफ्लाइटिस' (Amoebic Meningoencephalitis) पाया गया है. ये अमीबा दिमाग खा जाता है. केरल में पहले भी इसके केस सामने आए हैं. सरकार ने लोगों को एडवाइजरी भी जारी की हैं.

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि केरल में एक 14 साल के बच्चे की मौत अमीबा से होने वाले दिमागी संक्रमण (Brain Infection) के कारण हुई थी. इसे आमतौर पर 'अमीबिक ब्रेन फीवर' (amoebic brain fever) या ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा' (brain-eating amoeba) कहा जाता है. यानी ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’. ब्रेन इन्फेक्शन करने वाले इस अमीबा का नाम नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) है.

न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक तीनों मरीजों का इलाज फिलहाल तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कराया जा रहा है. ये सभी मरीज तालाब से वायरस के संपर्क में आए थे. सभी तालाब में नहाने गए थे. स्वास्थ्य मंत्री ने आगे जानकारी दी कि तिरुवनंतपुरम में 'अमीबिक मेनिंगोइन्सेफ्लाइटिस' के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एक एडवाइज़री जारी की है. इसमें कहा गया है कि जिन तालाबों में जानवर नहाते हैं या जहां जलकुंभियां (जलीय पौधा) होती हैं, वहां के पानी का उपयोग न करें. और अगर आप वहां से पानी का उपयोग कर रहे हैं, तो सावधानी बरतें. साथ ही दूषित पानी से नहाने या चेहरा धोने से बचें.

केरल में 'अमीबिक मेनिंगोइन्सेफ्लाइटिस' से अब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि यह बैक्टीरिया गंदे पानी से नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. इसलिए गंदे पानी में जाने से बचना चाहिए. केरल में इससे पहले ये बीमारी 2023 और 2017 में राज्य के तटीय इलाके अलप्पुझा ज़िले में देखी गई थी.

यह भी पढ़ें: नहाने गए 14 साल के बच्चे की मौत, वजह- 'दिमाग खाने वाला अमीबा'

दिमाग खाने वाला अमीबा!

अमीबिक मेनिंगोइन्सेफ्लाइटिस की समस्या नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) नाम के अमीबा के कारण होती है. जैसा कि बताया, इसे ब्रेन ईटिंग अमीबा भी कहते हैं जो मिट्टी, तालाब और झीलों जैसे पानी के स्रोतों में पाया जाता है. ये अमीबा 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान में रहता है और 45 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकता है.

Amoebic Meningoencephalitis एक रेयर यानी दुर्लभ इन्फेक्शन है. इसके मामले आमतौर पर जुलाई से सितंबर के बीच पाए जाते हैं, जब मौसम गर्म होता है. इससे संक्रमण के ज्यादातर मामले तालाब या जलाशयों में नहाने के कारण पाए गए हैं.

ये अमीबा वॉटर एक्टिविटीज के दौरान नाक के रास्ते दिमाग में पहुंच सकता है. ऐसा तब हो सकता है, जब कोई इस अमीबा वाले पानी में तैरे या डुबकी लगाए. अब तक इसके ड्रॉपलेट से फैलने का सबूत नहीं है यानी इंसानों से इंसानों में इसका संक्रमण नहीं पाया गया है.

इसके संक्रमण से दिमाग के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है. अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, इस संक्रमण में दिमाग के ऊतक नष्ट होने लगते है. दिमाग में सूजन आ जाती है और मरीज की मौत हो जाती है.

Amoebic Meningoencephalitis के लक्षण

संक्रमण के 1 से 12 दिनों में इसके लक्षण नजर आ सकते हैं. इसके शुरुआती लक्षणों में सिर दर्द, बुखार, मिचली या उल्टी हो सकती है. इसके बाद गर्दन में अकड़न, भ्रम हो जाना, किसी चीज पर ध्यान न दे पाना, दौरा या कोमा तक की स्थिति आ सकती है.

लक्षण शुरू होने के बाद, ये बीमारी बहुत तेजी से बढ़ती है. आमतौर पर लगभग 5 दिन के अंदर मरीज की मौत होने का खतरा रहता है. कुछ मामलों में 1 दिन से 18 दिन के बीच भी मरीज की मौत होने की बात सामने आई है.

इस तरह के संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि ठहरे हुए पानी के स्रोतों में गतिविधियां सीमित की जाएं. स्वीमिंग के लिए साफ-सुथरे पूल का ही इस्तेमाल किया जाए. थीम पार्क और स्विमिंग पूल के पानी को साफ रखने के लिए उसमें उचित क्लोरीन मिलाया जाना चाहिए. 

वीडियो: सेहतः डेंगू से दिमाग और नर्वस सिस्टम पर क्या असर पड़ता है?