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दिल्ली शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने अब किसको जमानत दे दी?

आरोपी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल से पहले कोई इतने लंबे समय तक जेल में नहीं रह सकता.

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शराब घोटाले में आरोपी को मिली बेल (सांकेतिक फोटो- आजतक)

सुप्रीम कोर्ट ने 8 दिसंबर को शराब नीति घोटाले (Liquor Policy Scam) मामले में आरोपी और दिग्गज शराब कंपनी पेरनोड रिकार्ड के अधिकारी बेनॉय बाबू (Benoy Babu) को जमानत दे दी है. बेनॉय बाबू को ED ने पिछले साल 10 नवंबर को अरेस्ट किया था. तब से ही यानि 13 महीनों से वो न्यायिक हिरासत में थे.फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि किसी भी आरोपी को ट्रायल से पहले इतने लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता.

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने बताया कि बेनॉय बाबू के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसे हिरासत में रखना अनुचित होगा. वहीं, ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल SC राजू ने बाबू को जमानत दिए जाने पर आपत्ति जताई और अदालत से कहा कि उनका मुकदमा छह महीने में खत्म हो जाएगा.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जांच एजेंसियों की अलग-अलग दलीलों की ओर भी इशारा किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBI जो आरोप लगा रहा है और ED जो आरोप लगा रहा है उनमें काफी फर्क दिखाई दे रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये उचित नहीं है और हमें नहीं पता कि ये मामला कैसे आगे बढ़ेगा.

बता दें दो दिन पहले ही दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बेनॉय बाबू को अंतरिम चिकित्सा जमानत देने से इनकार कर दिया था. तब अदालत ने कहा था कि मेडिकल आधार पर साढ़े चार महीने की अंतरिम जमानत देने के लिए ये उपयुक्त मामला नहीं है क्योंकि आरोपी एक गंभीर मामले में हिरासत में है.

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जुलाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बेनॉय बाबू को जमानत देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

क्या है मामला?

नवंबर 2021 में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की थी. कुछ महीने बाद ही दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना (V K Saxena) ने AAP सरकार की नई आबकारी नीति पर रिपोर्ट तलब की. 8 जुलाई, 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव ने रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी. रिपोर्ट में नई आबकारी नीति बनाने में नियमों के उल्लंघन और टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया था.

मुख्य सचिव की रिपोर्ट में नई शराब नीति में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीओबीआर) 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन बताया गया. मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नई पॉलिसी के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई. टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपये माफ किए गए. रिपोर्ट के मुताबिक नई नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफ की गई. रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया.

रिपोर्ट के आधार पर जुलाई 2022 में वीके सक्सेना ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के खिलाफ CBI जांच के निर्देश दे दिए. CBI जांच के आदेश के कुछ दिन बाद ही केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति पर रोक लगा दी. 1 सितंबर 2022 से नई को हटाकर फिर पुरानी नीति लागू कर दी गई.
 

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