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Perplexity Pro, Gemini के मुफ्त सब्सक्रिप्शन का खेल समझें और ये जानकारी भूलकर भी न दें

AI का वक्त चल रहा और ऐसे में दो बड़े प्लेटफॉर्म पेड (Perplexity Pro- Google Gemini AI Pro) वर्जन फ्री में बांट रहे. ले-लो, ले-लो. मगर जरा एक मिनट रुक कर सोचिए. इतनी मेहरबानी क्यों?

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Google Gemini AI Pro और Perplexity Pro मुफ्त क्यों मिल रहे

कल दिनभर एक खबर ने सोशल मीडिया से लेकर टेक एक्सपर्ट के बीच भयंकर सुर्खियां बटोरीं. Airtel अपने यूजर्स को Perplexity Pro का एक साल का सब्सक्रिप्शन (Perplexity Pro is free for Airtel users) मुफ्त दे रहा है. तकरीबन 17 हजार रुपये के इस सब्सक्रिप्शन के लिए किसी प्लान की बंदिश नहीं है. AI चैट बॉट के इस सब्सक्रिप्शन से यूजर एक दिन में 300 से ज्यादा सवाल पूछ सकते हैं. इसके एक दिन पहले ऐसी ही एक खबर Google Gemini AI Pro ने बनाई थी. महीने का 1950 रुपये का सब्सक्रिप्शन (Google Gemini AI Pro free to Indian students) स्टूडेंट्स के लिए एक साल तक मुफ्त-मुफ्त-मुफ्त.

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क्या बात है. AI का वक्त चल रहा और ऐसे में दो बड़े प्लेटफॉर्म पेड वर्जन फ्री में बांट रहे. ले-लो, ले-लो. मगर जरा एक मिनट रुक कर सोचिए. इतनी मेहरबानी क्यों? अगर इतना पैसा है तो रिचार्ज का दाम कम कर दो. गूगल स्टोरेज फ्री कर दो. मतलब 15 जीबी की जगह 150 जीबी दे दो. सोचा आपने. ना, आपने तो सब्सक्रिप्शन ले लिया. चलिए हम कुछ बताते हैं.

मुफ्त का चंदन नहीं है

अगर आपको कोई प्रोडक्ट फ्री में मिल रहा है तो जान लीजिए कि उस कंपनी के सबसे बड़े ग्राहक आप ही हैं. दुनिया-जहान की कंपनियां जैसे गूगल, इंस्टाग्राम, मेटा अपनी ज्यादातर सर्विस मुफ्त में दे रही हैं तो बदले में आपका डेटा भी ले रही हैं. आपकी हर एक्टिविटी पर बारीक नजर रखी जाती है. तभी तो जब आप गूगल पर जूते सर्च करते हैं तो उससे जुड़े विज्ञापन आपकी स्क्रीन पर नमूदार होने लगते हैं.

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आप हर कंपनी के लिए डेटा का सबसे बड़ा सोर्स हैं. कुछ सालों पहले इंस्टाग्राम के सीईओ Adam Mosseri ने खुलेआम स्वीकार किया था कि भईया आपकी हर गतिविधि पर हमारी नजर होती है. इसी जानकारी को हम दूसरे ऐप्स से शेयर करके अपनी जेबें भरते हैं. खैर ये हमारी स्टोरी का हिस्सा नहीं है. बात AI के प्रीमियम सब्सक्रिप्शन की हो रही है.

आप ट्रेनिंग सेंटर हैं

ये मुफ्त में मिल रहा सब्सक्रिप्शन असल में इन चैट बॉट का ट्रेनिंग सेंटर है. दरअसल हर चैट बॉट के पीछे होता है Large Language Model यानी LLM. हर कंपनी इस मॉडल में जानकारी भरे जाती है, भरे जाती है. मगर कितना भरेगी. जितना भी भरेगी, उतना कम ही पड़ेगा. तभी तो ChatGPT अभी भी 2021 से आगे का डेटा नहीं दे पाता है. हर सवाल का जवाब सही दे, ये भी जरूरी नहीं है.

LLM
LLM 

कुछ दिनों पहले OpenAI के सीईओ Sam Altman ने खुद माना था कि चैट बॉट भरोसे के लायक नहीं हैं. वजह, इसकी जानकारी सीमित है. मगर क्योंकि दौर AI का है या कहें कि artificial general intelligence यानी (AGI) का है. माने AI को ‘मानवीय टच’ देना है. और ये टच का माल कहां से आएगा? अजी आपसे. मतलब आप ऐसे चैट बॉट को जितना ज्यादा इस्तेमाल करेंगे, उतना वो सीखेगा.

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सिर्फ Airtel का यूजर बेस 38 करोड़ है. गूगल का तो क्या ही कहना. अब जो आपने इनके मुफ्त में दिए चैट बॉट इस्तेमाल किए तो बन गए ना आप ट्रेनिंग सेंटर. आपके डेटा के इस्तेमाल की इजाजत तो आप लॉगिन के साथ दे ही चुके होते हैं. आपका डेटा चैट बॉट के वेंडर और सर्विस प्रोवाइडर, कंपनियां जिनका OpenAI से डेटा ट्रासंफर को लेकर करार है, OpenAI की सब्सिडरी कंपनियां, लीगल अथॉरिटीज, AI ट्रेनर तक के पास जाने वाला है.

अब आपके मन में सवाल होगा कि तो क्या करें. मुफ्त का चंदन न घिसें. नहीं जनाब घिसते रहिए. बस पानी ज्यादा मत डालना. माने चैट बॉट से हर जानकारी साझा नहीं करनी है.

# आपका निजी ईमेल, सोशल मीडिया पासवर्ड, ओटीपी.

# बैंक डिटेल्स और क्रेडिट कार्ड की जानकारी.

# आधार, पैन, ड्राइविंग, पासपोर्ट की जानकारी.

# अपनी कंपनी की गोपनीय जानकारी.

# दूसरे की और अपनी निजी जानकारी मसलन परिवार से लेकर जो भी दुनिया को नहीं जानना चाहिए.

बाकी चलने दीजिए. 

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