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बिहार में ED की ही प्रॉपर्टी पर कब्जा हो गया, बिल्डिंग बनी, कॉलेज खुलने वाला था, फिर पकड़ा कैसे?

बिहार के हाजीपुर में ये मामला सामने आया है. इसका आरोप लगा है 2016 टॉपर घोटाले के फरार आरोपी बच्चा राय पर. कैसे शिक्षा विभाग ने राय के नाम पर मान्यता देने के लिए बिल्डिंग की जांच भी कर ली? प्रक्रिया चल रही थी कि तभी खुल गया पूरा मामला.

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जेल से फरार माफिया बच्चा राय (बाएं) ने ED की जमीन पर कब्जा कर कॉलेज बनवाना शुरू कर दिया | फोटो: आजतक/संदीप आनंद
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अभय शर्मा
7 दिसंबर 2023 (Updated: 7 दिसंबर 2023, 04:47 PM IST)
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ED यानी प्रवर्तन निदेशालय. खबर की शुरुआत में ये नाम पढ़ते ही आपको लगा होगा कि ED ने भ्रष्टाचार के किसी मामले में कार्रवाई की होगी. कहीं छापा मारा होगा, किसी की जमीन या संपत्ति जब्त की होगी. लेकिन, इस खबर में ऐसा नहीं है. इसमें वो है, जो शायद आप सोच नहीं सकते. ये खबर है ED की संपत्ति पर कब्जा होने की. बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर में एक माफिया ने ED की ही जमीन और संपत्ति पर कब्जा कर लिया. कब्जा होने के बाद वहां इंटर कॉलेज खुलने जा रहा था. तभी मामला खुल गया.

बिहार तक से जुड़े संदीप आनंद की रिपोर्ट के मुताबिक ये मामला वैशाली जिले के भगवानपुर प्रखंड का है. यहां साल 2016 में ED ने इंटर टॉपर घोटाले के मास्टरमाइंड अमित कुमार उर्फ़ बच्चा राय की कई जमीनें और बिल्डिंग्स जब्त की थीं. लेकिन, अब बच्चा राय ने नया खेल शुरू कर दिया, उसने धीरे-धीरे इन जमीनों पर फिर कब्जा करना शुरू कर दिया है.

कैसे सामने आया बच्चा राय का खेल?

रिपोर्ट के मुताबिक माफिया बच्चा राय ने कुछ समय पहले जब्त बिल्डिंग और जमीन को अपने कब्जे में लेते हुए उस पर अवैध निर्माण कराना शुरू कर दिया. इस बिल्डिंग में इंटरमीडिएट स्कूल खोलने के लिए उसने मान्यता के लिए बिहार बोर्ड में आवेदन भी दे दिया. यही नहीं, जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से इस स्कूल को मान्यता देने के लिए जांच भी कर ली गई और इसकी रिपोर्ट बिहार शिक्षा बोर्ड को भेज भी दी गई.

बच्चा राय ने इस नए स्कूल के आगे एक बोर्ड भी लगा रखा है. उसने सरकार और बोर्ड को ठेंगा दिखाते हुए उस पर लिख रखा है कि ये स्कूल बोर्ड से मान्यता के लिए आवेदित है. इन सब बातों का खुलासा तब हुआ, जब ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर राजीव रंजन ने वैशाली के भगवानपुर थाने में इन संपत्तियों को छुड़ाने के लिए FIR दर्ज कराई.

हाजीपुर में ED द्वारा जब्त की गई एक जमीन पर लगा एजेंसी का बोर्ड | फोटो: बिहार तक/संदीप आनंद 
हाजीपुर पुलिस ने क्या बताया?

हाजीपुर सदर के SDPO ओम प्रकाश ने इस बारे में बिहार तक को बताया,

'भगवानपुर में एक FIR दर्ज हुई है, जिसमें ED के द्वारा बताया गया है कि परीक्षा घोटाले और टॉपर घोटाले में आरोपी अमित कुमार उर्फ़ बच्चा राय से जो जमीन जब्त की गई थी, उसपर अब उसने भवन का निर्माण कराना शुरू कर दिया है... इस संबंध में एक FIR कराई गई है, हम लोगों ने उस निर्माण पर रोक लगवा दी है. जल्द ही मामले के आरोपी बच्चा राय पर उचित कार्रवाई की जाएगी.'

बिल्डिंग में चल रहा निर्माण कार्य | फोटो: बिहार तक/संदीप आनंद 
बिहार शिक्षा विभाग का क्या कहना है?

उधर, शिक्षा विभाग अपने महकमे की साख पर बट्टा लगाने वाले इस पूरे मामले से अनजान और बेफिक्र है. वो कब्जे वाली इस जमीन पर नए स्कूल की मान्यता देने की प्रक्रिया में लगा हुआ है. इस मामले को लेकर बिहार तक से जुड़े संदीप आनंद ने वैशाली के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) बीरेंद्र नारायण से सवाल किया.

बीरेंद्र नारायण ने बताया,

'जब कोई मान्यता के लिए अप्लाई करता है तो हम लोग बोर्ड के डायरेक्शन पर ही जांच करते हैं और फिर उसकी रिपोर्ट बोर्ड को भेजते हैं. ईडी द्वारा जमीन जब्त किए जाने को लेकर मुझे या मेरे कार्यालय के पास कोई सूचना नहीं है, इस पर निर्णय लेना बिहार बोर्ड का काम है. अगर कोई कानूनी पेचीदगी है, तो यह देखना भी बिहार बोर्ड का ही काम है.'

वैशाली DEO बीरेंद्र नारायण | फोटो: बिहार तक/संदीप आनंद 
अमित कुमार उर्फ बच्चा राय सालों से फरार

साल 2016 की बात है. बिहार का इंटर टॉपर घोटाला उजागर होने के बाद शिक्षा माफिया बच्चा राय सहित कई लोगों पर ईडी ने शिकंजा कसा था. तब बच्चा राय सहित कई माफियाओं की जमीन, बिल्डिंग और संपत्तियों को एजेंसी ने जब्त कर लिया था. तब ये खुलासा हुआ था कि बच्चा राय जैसे कई माफिया पैसे के दम पर टॉपर बनाने की फैक्ट्री चला रहे हैं. 2016 में ही अमित कुमार उर्फ बच्चा राय को अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया था.

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बच्चा राय को हाई कोर्ट ने साल 2016 में जमानत दी थी | फाइल फोटो

साल 2019 में बच्चा राय को 2 हफ्तों की जमानत मिली. वो जेल से बाहर आया और फरार हो गया. इसके बाद से वो पुलिस को नहीं मिला. बच्चा राय की फरारी का खुलासा भी अक्टूबर 2023 में तब हुआ, जब पटना हाई कोर्ट ने बिहार पुलिस से कहा कि बच्चा राय गिरफ्तार नहीं हो रहा, ये बेहद आश्चर्य की बात है.

लेकिन, इस पूरे मामले में एक और आश्चर्य की बात ये भी है कि जो बच्चा राय 4 साल से फरार है और जिसने शिक्षा विभाग की साख पर बड़ा बट्टा लगाया था, आखिर शिक्षा विभाग उसके नाम पर नए कॉलेज को मान्यता देने पर कैसे विचार कर सकता है? उसका तो आवेदन भी स्वीकार ही नहीं होना चाहिए था? पहली नजर में ये खारिज हो जाना चाहिए था.

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