
लालू यादव ने शंकर चरण त्रिपाठी को आरजेडी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया था, जिसका खूब विरोध हुआ था.
दूसरे की किस्मत चमकाने का दावा करने वाले शंकर चरण त्रिपाठी की खुद की किस्मत चमक गई. सितारे बुलंद हो गए. लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि उनके जो सितारे लालू यादव की वजह से बुलंद हुए हैं, वो सितारे राहुल गांधी की वजह से डूब भी जाएंगे. सही समझे. ऐसा ही हुआ है. राहुल गांधी ने मॉनसून सत्र में अपने भाषण के बाद लोकसभा में पीएम मोदी को गले लगाया. अपनी सीट पर वापस आए तो आंख भी मारी, जिसकी फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं.

इसी तस्वीर पर टिप्पणी करने के बाद ज्योतिष शंकर चरण त्रिपाठी को पार्टी से निकाल दिया गया.
अब राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के नाते जब पत्रकारों ने शंकर चरण त्रिपाठी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा-
''राहुल गांधी का आचरण काफी बचकाना था. 2019 में प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले किसी व्यक्ति को ये शोभा नहीं देता है.''आरजेडी प्रवक्ता का ये बयान सीधे तौर पर राहुल गांधी के खिलाफ था. उस राहुल गांधी के खिलाफ जिनके साथ गठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ चुका है. भविष्य में भी इस महागठबंधन के बने रहने की संभावना है. और सबसे बड़ी बात ये है कि अगर तीसरे मोर्चे को छोड़ दिया जाए, तो नरेंद्र मोदी के बरक्स विपक्ष में राहुल गांधी ही चेहरे के तौर पर नज़र आते हैं. ऐसे में विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे पर बयान देकर शंकर चरण त्रिपाठी ने अपने सितारों को गर्दिश में डाल दिया.

बयान के बाद आरजेडी ने शंकर चरण त्रिपाठी को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे दो दिन में जवाब मांगा. जब दो दिन बीत गए और शंकर चरण त्रिपाठी ने जवाब नहीं दिया तो पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.
'पूर्व प्रधानमंत्री रहे अपने पिता राजीव गांधी की तरह उनसे कुछ उम्मीद थी. वह अपनी मां सोनिया के पदचिन्हों पर चले. उनकी मां विदेशी हैं और इसलिए राहुल गांधी कभी भी भारतीय राजनीति में सफल नहीं होंगे. विदेशी खून देश का नेतृत्व करने की इजाजत नहीं देता. राजा अब रानी से पैदा नहीं होगा. अगला नेता पेट से नहीं पेटी (बैलट बॉक्स) से पैदा होगा.मायावती की बीएसपी हो या फिर लालू की आरजेडी, 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए दोनों ही कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह पर आगे बढ़ते दिख रहे हैं. इस राह में अगर उनका कोई अपना भी कांटा बनता दिख रहा है, तो उन्हें पार्टी से बाहर निकालने में शीर्ष नेतृत्व को कोई गुरेज नहीं है.
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