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वो एक्टर जिसने अमिताभ बच्चन के जूते पॉलिश किए और हिंदी फिल्में छोड़ दीं

मशहूर एक्टर और राइटर रंजीत चौधरी नहीं रहे.

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अपने जीवन के तीन अलग-अलग दौर में एक्टर-राइटर रंजीत चौधरी.
मशहूर थिएटर और फिल्म एक्टर रंजीत चौधरी नहीं रहे. आ रहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक वो पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनकी एक सर्जरी होनी थी, जिसके लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती भी करवाया गया था. लेकिन शायद वो उस सर्जरी के बाद भी ठीक नहीं हो पाए और 15 अप्रैल को लॉकडाउन के दौरान मुंबई में उनकी मौत हो गई. रंजीत 65 साल के थे. इस बात की जानकारी उनकी बहन राएल पद्मसी ने सोशल मीडिया पर दी. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि रंजीत का अंतिम संस्कार 16 अप्रैल को होगा. और उनकी शोक सभा लॉकडाउन खत्म होने के बाद 5 मई को रखी जाएगी.
रंजीत की सौतेली बहन रेल पद्मसी के इस्टाग्रैम पोस्ट का स्क्रीनग्रैब.
रंजीत की सौतेली बहन राएल पद्मसी के इस्टाग्रैम पोस्ट का स्क्रीनग्रैब.

दिग्गजों के खानदान से आने वाले दिग्गज
रंजीत जानी-मानी थिएटर पर्सनैलिटी पर्ल पद्मसी के बेटे थे. ऐड फिल्मों की दुनिया के सबसे बड़े नामों में से एलेक पद्मसी उनके सौतेले पिता थे. अगर ऐड वर्ल्ड वाली बात से नहीं पहचान पाए, तो ये जान लीजिए कि बेन किंग्सले स्टारर फिल्म 'गांधी' में एलेक ने ही मोहम्मद अली जिन्ना का रोल किया था. बचपन से ही घर में आर्ट वाला माहौल था. उस फील्ड में झुकाव होना लाजमी था. ज़रूरी पढ़ाई-लिखाई के बाद वो भी थिएटर से जुड़ गए. 1978 में आई बासु चैटर्जी की फिल्म 'खट्टा-मीठा' से इनका फिल्मी करियर शुरू हुआ. इस फिल्म से जुड़ी एक बड़ी दिलचस्प बात ये रही कि इसमें रंजीत की मां पर्ल पद्मसी भी काम कर रही थीं. और फिल्म में रंजीत ने उनके सौतेले बेटे रूसी मिस्त्री का रोल किया था. उनकी परफॉरमेंस का एक मज़ेदार वीडियो यहां देखिए:
अमिताभ बच्चन का जूता पॉलिश किया और इंडस्ट्री छोड़ दी
'खट्टा-मीठा' से फिल्मी एक्टिंग में कदम रखने के बाद रंजीत की लाइफ शुरुआती कुछ सालों में पटरी पर रही. वो एक बार फिर से बासु की फिल्म 'बातों बातों में' में दिखाई दिए. 1980 में उनकी ब्रेकथ्रू मूवी ऋषिकेश मुखर्जी डायरेक्टेड कल्ट कॉमेडी 'खूबसूरत' रिलीज़ हुई. ये फिल्म एक तरह से उनके करियर का हाइलाइट रही. फिल्म में उनका किरदार इंदर गुप्ता यानी राकेश रोशन के छोटे भाई जगन गुप्ता का था. जो 'तेजाब' चंकी पांडे के लिए थी, एक तरह से 'खूबसूरत' वैसे ही रंजीत चौधरी के लिए थी. इस फिल्म में रंजीत की परफॉरमेंस की तारीफ हुई. उनके ऊपर 'सारे नियम तोड़ दो' जैसा गाना फिल्माया गया, जिसमें उनके साथ अशोक कुमार और रेखा जैसे एक्टर्स दिखाई दिए. लेकिन पता है इसके बाद उनका अगला प्रोजेक्ट कौन सा था? 'कालिया'. अमिताभ बच्चन स्टारर 'कालिया'. अब वजन महसूस हो रहा है! लेकिन फिल्म में उनका कैरेक्टर छटाक भर के टाइम के लिए दिखाई देता है. वो भी बूट पॉलिश करने वाले शख्स के रोल में. इसके बाद रंजीत हिंदी फिल्मों से दूर होने लगे.

दीपा मेहता का करियर रंजीत की वजह से शुरू हुआ
1981 में आई 'कालिया' के बाद रंजीत कैनडा चले गए. वहां उनकी मुलाकात हुई स्ट्रगलिंग फिल्ममेकर दीपा मेहता से. दीपा फिल्म बनाना चाहती थीं लेकिन बना नहीं पा रही थीं. रंजीत ने विदेशों में अपने अनुभवों के आधार पर एक कहानी लिखी. दीपा ने पढ़ी और इंप्रेस हो गईं. तय हुआ कि वो इसी कहानी पर फिल्म बनाएंगी. फिल्म का नाम रखा गया 'सैम एंड मी'. इस नाम में जो 'मी' यानी मैं है, वो रंजीत के लिए है. रील में भी, रियल में भी. रंजीत ने इस फिल्म में निखिल नाम के इंडियन इमिग्रेंट का रोल किया था, जो जीवन से परेशान सैम नाम के यहूदी के केयर टेकर की नौकरी करता था. फिल्म रिलीज़ हुई और पहुंची प्रतिष्ठित कान फिल्म फेस्टिवल में जहां इसे 'ऑनरेबल मेंशन' मिला, जिसे  एक तरह की मान्यता या सम्मान कह सकते हैं. इस फिल्म के बाद इनकी फिल्ममेकर्स के बीच एक पहचान बन गई. उस तरह के फिल्ममेकर्स के बीच, जो ना तो मेनस्ट्रीम सिनेमा बनाते हैं, ना ही पैरलेल सिनेमा. जो बीच वाला रास्ता लेते हैं एंटरटेमेंट भी देंगे और सोचने की वजह भी.
दीपा मेहता डायरेक्टेड फिल्म 'बॉलीवुड/हॉलीवुड' के एक सीन में फिल्म की बाकी स्टारकास्ट के साथ रंजीत चौधरी (सबसे बाएं).
दीपा मेहता डायरेक्टेड फिल्म 'बॉलीवुड/हॉलीवुड' के एक सीन में फिल्म की बाकी स्टारकास्ट के साथ रंजीत चौधरी (सबसे बाएं).

पहली बार मिलने के 16 साल बाद मीरा नायर ने काम दिया
दी हिंदू से हुई बातचीत में मीरा नायर ने बताया कि वो पहली बार रंजीत से आईआईटी कानपुर में इंटर-कॉलेजिएट थिएटर कंपटीशन में मिली थीं. वहां मीरा भी 'पिकनिक ऑन दी बैटल' नाम के नाटक में फीमेल लीड का रोल कर रही थीं. उस प्ले में रंजीत की परफॉरमेंस देखकर मीरा काफी प्रभावित हुईं. लेकिन फिर उन्होंने सिराज आयशा सयानी की 1978 में आई फिल्म 'हंगामा बॉम्बे इस्टाइल' देखी. इस फिल्म और इसमें रंजीत की अदाकारी को अपने लाइफ में कभी न भूल पाने वाला अनुभव मानती हैं. जब वो सोनी तारापोरवाला (ये बैले) के साथ 'सलाम बॉम्बे' (1988) लिख रही थीं, तब उन्हें रंजीत का ख्याल आया. वो उन्हें 'चिल्लम' के किरदार में लेना चाहती थीं. लेकिन फाइनली वो रोल रघुबीर यादव (पंचायत के प्रधान जी) ने किया. मीरा और रंजीत का कोलैबरेशन हुआ 1991 में आई फिल्म 'मिसिसिपी मसाला' में. उसके बाद दोनों ने 'दी पेरेज़ फैमिली' (1995) और 'कामासूत्रा- दी टेल ऑफ लव' (1996) में भी काम किया. वो शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में भी एक छोटे से किरदार में नज़र आए थे.
फिल्म 'कांटे' एक सीन में अमिताभ बच्चन के साथ रंजीत चौधरी. ये उनकी आखिरी हिंदी फिल्म थी.
फिल्म 'कांटे' एक सीन में अमिताभ बच्चन के साथ रंजीत चौधरी. ये उनकी आखिरी हिंदी फिल्म थी. (फोटो- गोल्डमाइन फिल्म्स, यूट्यूब स्क्रीनग्रैब)

कुछ आखिरी मगर यादगार काम
हिंदुस्तानी मूल के फिल्ममेकर्स की ही फिल्मों में नहीं, रंजीत कई हॉलीवुड फिल्मों में बड़े स्टार्स के साथ भी नज़र आए. वो निकोलस केज स्टारर 'इट कुड हैप्पेन टु यू', मैथ्यू ब्रोडरिक के साथ 'दी नाइट वी नेवर मेट', रिचर्ड गेरे की फिल्म 'ऑटम इन न्यू यॉर्क' और क्वीन लतिफा के साथ 'लास्ट हॉलीडे' जैसी पॉपुलर फिल्मों में भी काम कर चुके हैं. फिल्मों के अलावा वो 'दी ऑफिस' (यूएस) और 'प्रिज़न ब्रेक' जैसे टीवी शोज़ का भी हिस्सा रह चुके हैं. रंजीत 'दी ऑफिस' के चौथे और पांचवे सीज़न के दो एपिसोड्स (मनी और ड्रीम टीम) में विक्रम नाम के टेली-मार्केटर के रोल में नज़र आए थे, जिसे शो के नायक माइकल स्कॉट ने अपनी पेपर कंपनी में नौकरी दे दी थी. इसके अलावा वो 'प्रिज़न ब्रेक' में डॉ. मार्विन गुडट के रोल में भी दिखाई दे चुके हैं. अगर उनकी आखिरी हिंदी फिल्म की बात करें, तो वो थी संजय गुप्ता के डायरेक्शन में बनी 'कांटे'. इसमें रंजीत ने एक भारतीय मूल के अमेरिकी पुलिस ऑफिसर का रोल किया था.
वेब सीरीज़ 'दी ऑफिस' के पांचवें सीज़न के एपिसोड 'ड्रीम टीम' की एक क्लिप यहां देखिए, जिसमें रंजीत चौधरी नज़र आ रहे हैं:



वीडियो देखें: जानिए कैसे वेंडल रॉड्रिक्स ने रातों-रात दीपिका पादुकोण को स्टार बना था?

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