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'राणा कपूर को 4 साल जेल में रखना गलत था...', YES बैंक केस में कोर्ट ने CBI की 'गलतियां' पकड़ लीं

YES BANK के संस्थापक राणा कपूर को मुंबई के एक स्पेशल कोर्ट से जमानत मिल गई है. जमानत देते समय जस्टिस एमजी देशपांडे ने CBI और ED को फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले में ED सहित कोई भी निश्चित नहीं है कि वे मामले में अपनी आगे की जांच कब पूरी करेंगे? कोर्ट ने और क्या-क्या कहा?

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यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर को जमानत मिल गई है. फाइल फोटो ( इमेज क्रेडिट - इंडिया टुडे)

यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर को मुंबई के एक स्पेशल कोर्ट से जमानत मिल गई है. राणा कपूर पिछले चार साल से जेल में थे. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनको मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मार्च 2020 में गिरफ्तार किया था और उन पर बैंक में धोखाधड़ी से संबंधित आठ मामले दर्ज किए थे. इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक स्पेशल कोर्ट ने CBI को फटकार लगाते हुए कहा कि जिस तरह से केंद्रीय एजेंसी ने कर्ज देने का पूरा दोष राणा कपूर पर डाल दिया और उन्हें गिरफ्तार कर चार साल तक जेल में रखा, वो सही नहीं था. कोर्ट ने आगे कहा कि सबूतों को देखकर पहली नजर में संकेत मिलता है कि यस बैंक को इतना बड़ा नुकसान नहीं हुआ, जैसा कि CBI के आरोप पत्र में बताया गया है.

'राणा कपूर को अब और जेल में नहीं रख सकते'

जमानत देते समय विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने कहा कि राणा कपूर के खिलाफ CBI का केस, ED द्वारा इन्वेस्टिगेट किए जा रहे मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा है. जज ने कहा कि ED द्वारा कोई कार्यवाही शुरू किए बिना, ED वाले मामले की सुनवाई के साथ-साथ सीबीआई वाले मामले की सुनवाई भी सही कानूनी भावना से शुरू नहीं हो सकती है.

जस्टिस देशपांडे ने कहा कि ED अभी भी अपने मामले की जांच कर रही है और जब तक ED अदालत को निश्चित रूप से सूचित नहीं करती कि उनकी जांच पूरी हो गई है, पीएमएलए के विशेष मामले के साथ CBI वाले मामले की सुनवाई शुरू नहीं हो सकती. अदालत ने कहा कि, जब तक आरोप तय नहीं हो जाते, तब तक सुनवाई शुरू नहीं हो सकती.

इस दौरान अदालत ने ये भी कहा कि राणा कपूर के खिलाफ सीबीआई वाले मामले में 49 प्रस्तावित गवाहों से पूछताछ की जानी है और 7897 पन्नों के बड़े डॉक्यूमेंट्स हैं, जबकि ED मामले में 14 गवाहों के साथ 1264 पन्नों के दस्तावेजों की जांच होनी है. जस्टिस देशपांडे ने मोटे तौर पर अनुमान लगाया कि अगर ED की जांच अभी पूरी हो जाती है, तो भी मुकदमा शुरू होने में लगभग 1-2 साल लगेंगे. इसके बाद जांच पूरी करने में कम से कम 2-3 साल लगेंगे.

इस मामले की जांच में ED की निष्क्रियता पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि ED सहित कोई भी निश्चित नहीं है कि वे इस मामले में अपनी आगे की जांच कब पूरी करेंगे.

जस्टिस देशपांडे ने कहा,  

ऐसे में राणा कपूर ने जितने साल सलाखों के पीछे बिताए हैं, वो उन्हें जमानत पर रिहा करने की गारंटी देते हैं, खासकर तब जब मामले में समय पर सुनवाई संभव नहीं है. 

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राणा कपूर पर क्या थे CBI के आरोप?

CBI ने आरोप लगाया था कि राणा कपूर ने दिल्ली की एक प्राइम लोकेशन प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू से बहुत कम कीमत पर अवैध तरीके से लोन सेंन्क्शन किया. गौतम थापर की अवंता रियल्टी लिमिटेड (एआरएल) से संबंधित ये प्रॉपर्टी कंपनी द्वारा यस बैंक से लिए गए लोन से पहले ही गिरवी रखी गई थी. इसे 2017 में राणा कपूर की पत्नी बिंदू कपूर द्वारा संचालित ब्लिस एबोड प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) द्वारा 685 करोड़ रुपये के कथित बाजार मूल्य के मुकाबले 378 करोड़ रुपये में खरीदा गया था.

वीडियो: ED ने बताया, यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर ने लोन के बदले कितना घूस लिया