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शराबखाने में बैठे राहुल गांधी की तस्वीरें वायरल, हम खुश भी हैं और दुखी भी

राहुल पर चुटकुले बनाने से पहले इसे पढ़ लीजिए.

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फोटो - thelallantop
ये तस्वीर वायरल हो रही है. किसी पब में एक टेबल पर चार लोग बैठे हुए हैं. टेबल पर बैठा एक आदमी कुछ कह रहा है. शायद. सामने बैठा शख्स सुन रहा है. शायद. या कहीं खोया हुआ है. तस्वीर में आवाज़ नहीं होती. रोशनी मद्धिम है, जैसी पब में होती है. तो तस्वीर धुंधली है. ऐसी तस्वीरें फेसबुक पर तक शेयर नहीं की जातीं. लेकिन ये तस्वीर वायरल हो रही है. क्यों? दाएं देखें, तस्वीर में नज़र आ रहा शांत बैठा शख्स राहुल गांधी हैं. एक पब में अपने दोस्तों के साथ बैठना (और उसका 'फोटोग्राफिक प्रूफ' होना) उनकी लेटेस्ट गलती है, जिसके लिए उन्हें सोशल मीडिया पर सज़ा दी जा रही है. एक बार फिर से.
ये तस्वीर बरखा शुक्ला सिंह ने जारी की है. 21 अप्रैल को कांग्रेस से निकाली गईं थीं, ये कहकर कि दिल्ली MCD चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम कर रही थीं. निकाले जाने के 24 घंटों के अंदर भाजपा में शामिल हो गईं. एक प्रेस नोट में उन्होंने राहुल गांधी को मानसिक रूप से दिवालिया कहा था. तब से राहुल ट्रोलियों के लिए मेंटली अनफिट हो गए हैं. बरखा के तस्वीरें मीडिया में देने के बाद से शराबी भी हो गए हैं. 
बरखा की जारी की दूसरी तस्वीर.
बरखा की जारी की दूसरी तस्वीर


बरखा को कुछ भी कहने से पहले मैं एक बात कहना चाहता हूं. मुझे राहुल या किसी भी और नेता की निजी ज़िंदगी में रुचि नहीं है. लेकिन मुझे ये तस्वीर को देख कर एक अलग की तरह की खुशी हुई. अति-उत्साही पत्रकारों के आईआईटी लेवल के सवालों के जवाब देेते राहुल गांधी की तस्वीरें मैंने खूब देखी हैं. वो सब एक तरह की होती हैं- डल, बोरिंग. इन दो तस्वीरों में मैं राहुल गांधी को जीते हुए देख रहा हूं. उन पर देश को आज़ादी दिलाकर 50 साल राज करने वाली पार्टी के वारिस होने का प्रेशर नहीं है- एक 'कैंडिड' पल.
अच्छी तस्वीरें होने के बावजूद ये तस्वीरें जिस तरह से सामने आई हैं, वो हर तरह से गलत है. इनमें किसी तरह का स्कैंडल सामने नहीं आता, लेकिन राहुल ने अपनी ये तस्वीर खुद जारी नहीं की थी. यानी वो इन्हें खुद तक रखना चाहते थे. ये एक जायज़ मांग है. बरखा ने तस्वीरें जारी कर राहुल की निजता पर हमला बोला है. बरखा ने तस्वीरें ये सोच कर जारी की हैं कि राहुल बदनाम हो जाएंगे. और यहीं पर आकर हम और आप दोषी हो जाते हैं. क्योंकि बरखा के कदम के मूल में हमारी सोच ही है. बरखा ओछी राजनीति कर रही हैं, लेकिन वो हमारी दिमाग में जमी गंध को ही कैश कर रही हैं.
कोई नहीं जानता कि राहुल की साथ बैठी लड़की उनकी पार्टनर हैं या नहीं. वो कोई दोस्त भी हो सकती है, या किसी दोस्त की दोस्त भी, जो शायद पहली बार उनसे मिली हो. टेबल पर कुछ ग्लास और बोतलें हैं लेकिन राहुल को शराब पीते नहीं देखा जा सकता. राहुल बस बैठे हुए हैं. लेकिन फेसबुकियों और वॉट्स्ऐपियों के लिए वो 'अपनी 'इटैलियन गर्ल' के साथ दारू उड़ाते कांग्रेस के युवराज हो चुके हैं'. 
इस तस्वीर में बैठी लड़की को भी राहुल गांधी की गर्लफ्रेंड बताया गया था
इस तस्वीर में बैठी लड़की को भी राहुल गांधी की गर्लफ्रेंड बताया गया था


एक समाज के तौर पर हम ये तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि हमें कैसा नेता चाहिए. 'मिलेनियल यूथ' की सोच के नाम पर जितना ज्ञान हमारी फेसबुक वॉल पर होता है, वो सब हमने सिर्फ और सिर्फ अपने लिए रिज़र्व रखा है. हम शराब पी सकते हैं, लिव-इन में रह सकते हैं, किसी लड़के या लड़की को डेट कर सकते हैं, भाषा पर पकड़ हो तो 'टू टाइमिंग' तक को सही ठहरा सकते हैं. हमने अपना मॉरल कंपस अपने जूते की नोक पर रख लिया है. लेकिन ये छूट हम अपने नेताओं को नहीं देना चाहते. उपर गिनाए कामों में से एक भी कोई नेता करता हुआ 'पकड़ा' जाए तो वो हमारी नज़रों में कुछ कम हो जाता है. हम उसे चुनाव में 'सबक' सिखा देते हैं.
गांधी जी के ज़िंदगी की सादगी उनकी अपनी मर्ज़ी थी. उनकी साधना थी. वो अपने कामों के चलते महान थे, उनके कपड़े उनका स्टाइल स्टेटमेंट नहीं थे. लेकिन हम उसी छवि को आज के नेताओं पर सूपरइंपोज़ कर के देखने के आदी हैं. और हमारे नेता 'फेक' होने को मजबूर हो जाते हैं. हम खुद अपने नेताओं को ढोंग करने के लिए बाध्य कर देते हैं. नतीजे में वो 'आम' और 'खास' के बीच फंस जाते हैं. वो एयरपोर्ट पर बिना लाइन में लगे चेक-इन कर जाएं या मंदिर में सीधे गर्भ गृह तक घुस जाएं तो दिक्कत. उनकी गर्लफ्रेंड बिना शादी के उनके साथ रहे तो दिक्कत.
इस लड़की को भी राहुल की गर्लफ्रेंड बताया गया था.
इस लड़की को भी राहुल की गर्लफ्रेंड बताया गया था

अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे दिग्गज नेता हैं जिनका नाम विरोधी भी अदब से लेते हैं. वाजपेयी वाइन पसंद करते थे. वाइन- एक तरह की शराब. बताया जाता है एक बार उन्होंने राजनाथ सिंह से कहा था कि तुम कैसे ठाकुर हो जो मांस नहीं खाता? बाल ठाकरे भी कहा करते थे कि वो नहीं समझ पाते कि जो लोग बिना सुपारी, गुटखा या शराब के रहते हैं, वो जीते कैसे हैं. 
राहुल गांधी देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के हाई प्रोफाइल राजनेता हैं. उनसे उनकी पॉलिटिक्स को लेकर लाख सवाल किए जाएं. गलती होने पर बखिया उधेड़ दी जाए. लेकिन उनकी निजी ज़िंदगी को बख्श दिया जाना चाहिए. हमेशा के लिए. और बरखा जैसे मौकापरस्त नेता ऐसा तब ही कर पाएंगे  जब हमारे दिमाग में जमी गंध कुछ कम हो. या न हो तो कम से कम हम अपनी सोच को लेकर कंसिसटेंट हो जाएं. हम तय कर लें कि क्या सही है, क्या नहीं. और जो तय पाया जाए, वो सब पर लागू हो, बराबरी से.


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