कतर (Qatar) की एक अदालत ने भारत सरकार की अपील को स्वीकार कर लिया है. ये अपील भारत के आठ पूर्व नेवी अफसरों (Ex Navy Officers) को सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ दायर की गई है. सूत्रों से पता चला है कि कतर का कोर्ट इस अपील पर गौर कर रहा है और इस पर जल्द ही सुनवाई होने की उम्मीद है.
कतर के कोर्ट में भारत ने की अपील, क्या मौत की सजा पाए ये भारतीय अफसर छूट जाएंगे?
कतर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. सभी अधिकारियों पर जासूसी के आरोप लगे थे. अब इसमें क्या बड़ा काम हुआ है?

इससे पहले गुरुवार, 23 नवंबर को ही विदेश मंत्रालय ने एक पोस्ट में बताया था कि सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए कतर में अपील दायर की गई है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत इस मामले पर कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है. उनके मुताबिक सरकार देश के पूर्व नौसेना अफसरों को हर कानूनी और दूतावास संबंधी मदद दे रही है.
किन अधिकारियों को हुई सजा?जिन आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को कतर में सजा सुनाई गई है, उनमें रिटायर्ड कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं. ये सभी अफसर डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज़ एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे. ये एक प्राइवेट कंपनी है, जो कतरी सेना के जवानों को ट्रेनिंग और इससे जुड़ी मदद प्रदान करती है.
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अफसरों पर आरोप लगाया, पर सबूत कहां?सभी भारतीय पूर्व अधिकारियों को कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी ‘स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो’ ने 30 अगस्त, 2022 की रात को गिरफ्तार किया था. उन पर जासूसी के आरोप लगाए गए थे. ये आरोप क्या हैं, ये बात कतर ने सार्वजनिक नहीं की है. लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन अधिकारियों पर कतर के सबमरीन प्रोग्राम की गोपनीय जानकारी इजरायल से साझा करने का इल्जाम लगा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी ‘कतर स्टेट सिक्योरिटी’ ने दावा किया था कि उसने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों के उस सिस्टम को इंटरसेप्ट कर लिया था, जिससे वो कथित रूप से जासूसी कर रहे थे. इसके बाद कतर की अदालत ने सभी अफसरों को फांसी की सजा सुना दी. इस मसले में खास बात ये है कि कतर ने आरोपों को लेकर भारत सरकार के साथ भी कोई सबूत साझा नहीं किया है.