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क्या UPSC के पास पूजा खेडकर या किसी भी IAS को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है?

पूजा खेडकर ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में बताया कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के पास उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है. क्या वाकई ऐसा है?

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पिछले महीने UPSC ने पूजा खेडकर को बर्खास्त कर दिया था. (फाइल फोटो)

बर्खास्त ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर को दिल्ली हाई कोर्ट से एक बार फिर राहत मिली है. कोर्ट ने खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण की मियाद 5 सितंबर तक बढ़ा दी है. यानी इस मामले में 5 सितंबर तक अब उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. 29 अगस्त को हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नई स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने को कहा है. इस बीच, पूजा खेडकर ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में बताया कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के पास उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है.

फर्जी विकलांगता और ओबीसी सर्टिफिकेट के कारण पूजा खेडकर विवादों में घिरी हैं. लंबी जांच के बाद बीती 31 जुलाई को UPSC ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था. इसके अलावा, भविष्य में भी किसी परीक्षा और चयन प्रक्रिया के लिए उन पर स्थायी रूप से बैन लगा दिया गया. इससे पहले 19 जुलाई को UPSC ने उनके खिलाफ FIR दर्ज करवाई थी.

पूजा खेडकर ने कोर्ट से क्या कहा?

अब दिल्ली हाई कोर्ट में इसी मामले की सुनवाई चल रही है. पूजा खेडकर ने अपनी बर्खास्तगी और अपने खिलाफ लगे आरोपों को चुनौती दी है. कोर्ट को अपने जवाब में खेडकर ने कहा है, 

"एक बार सेलेक्ट हो जाने और प्रोबेशनरी ऑफिसर नियुक्ति होने के बाद, UPSC के पास उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य साबित करने का अधिकार नहीं है. अब सिर्फ भारत सरकार का कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है."

खेडकर ने ये भी कहा कि उन्होंने 2012 से 2022 के दौरान अपने नाम या उपनाम में कोई बदलाव नहीं किया. दावा किया कि उन्होंने UPSC को अपने बारे में कोई गलत जानकारी नहीं दी थी. उन्होंने कोर्ट में कहा, 

"UPSC ने मेरी पहचान को बायोमेट्रिक डेटा के जरिये वेरिफाई किया. आयोग को मेरे डॉक्यूमेंट्स में कुछ भी गलत नहीं मिला था. मेरा एजुकेशन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, जन्म की तारीख और दूसरी निजी जानकारियां, सब सही पाई गई थीं. DoPT ने सारे जरूरी वेरिफिकेशन किए थे."

UPSC ने पूजा खेडकर पर कई आरोप लगाए थे. मसलन, खेडकर ने धोखाधड़ी से परीक्षा में तय सीमा से ज्यादा अटेम्प्ट दिए हैं. आरोप लगा कि उन्होंने फर्जी डॉक्यूमेंट्स से अपना नाम, माता-पिता का नाम, पता और अन्य पहचान बदली है. 19 जुलाई को UPSC ने पूजा खेडकर को 'कारण बताओ' नोटिस जारी कर कहा कि उनका कैंडिडेचर क्यों न रद्द किया जाए और भविष्य में परीक्षा देने से क्यों न रोका जाए.

क्या UPSC को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं?

जानकार बताते हैं कि UPSC के पास कैंडिडेट को अयोग्य साबित करने का पूरा अधिकार है. क्योंकि पूजा खेडकर पर जो आरोप लगे हैं, वे सेलेक्शन प्रक्रिया में धांधली के हैं.

भारत सरकार के पूर्व सचिव विजय शंकर पांडेय कहते हैं कि नियुक्ति का मामला तब आता है जब आप नियमों के तहत सेलेक्ट हुए हों. लेकिन जब आपने सेलेक्शन के नियमों को ही तोड़ दिया हो तो आपने UPSC के शर्तों का उल्लंघन किया है. इसलिए UPSC के पास ही ये शक्ति है.

विजय शंकर दी लल्लनटॉप से कहते हैं, 

"UPSC ने सिविल सर्विस एग्जाम के लिए शर्तें बनाई हैं. तो शर्तों का पालन सबको करना है. जैसे आप ज्यादा अटेम्पट नहीं ले सकते. अगर ऐसा करते हैं तो वो अवैध माना जाएगा. या उम्र का नियम कि इससे ज्यादा उम्र के बाद आप नहीं बैठ सकते. ये UPSC का अधिकार क्षेत्र है कि अगर कोई नियम तोड़कर या धोखा देकर एग्जाम में बैठ गया तो उसके एग्जाम को कैंसिल करें."

वे आगे कहते हैं कि इसका नियुक्ति से कोई लेना-देना नहीं है. आयोग का कहना है कि आपका एग्जाम ही अवैध है तो फिर आप IAS ही नहीं हैं. अगर वो नियमों के तहत चुनी गई होतीं तो फिर इसमें UPSC का कोई रोल नहीं होता.

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पूजा खेडकर ने साल 2021 का सिविल सर्विस एग्जाम नॉन-क्रिमी लेयर OBC और PwBD (पर्सन्स विद बेंचमार्क डिसेबिलिटी) कैटेगरीज के तहत दिया था. इन्हीं कैटेगरीज के तहत उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अलॉट किया गया था. लेकिन उन पर परीक्षा में फर्जी विकलांगता और OBC सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करने का आरोप लगा. जांच के बाद 31 जुलाई को उन्हें UPSC ने बर्खास्त कर दिया.

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