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सुशील कुमार को मिली रोहित शर्मा का ऑफर ठुकराने की सजा?

सुशील कुमार और नरसिंह यादव. दोनों लड़ रहे हैं कि रियो ओलम्पिक में कौन जायेगा. लेकिन इसके तार कुश्ती के IPL से तो नहीं जुड़े हैं?

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फोटो - thelallantop
रियो ओलम्पिक में 2 महीने से कम का टाइम है. कायदे से तो इस वक़्त एथलीट्स को अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान देना होता है. लेकिन यहां मामला उल्टा है. लक्षण ऐसे हैं कि हो सकता है रियो ओलम्पिक आते-आते देश के दो सबसे बड़े पहलवान, पहलवानी छोड़ वक़ालत में पारंगत हो जाएं. वजह है उनके लग रहे कोर्ट के चक्कर. सुशील कुमार और नरसिंह यादव गुत्थम-गुत्था हुए पड़े हैं. अखाड़े में नहीं बल्कि कोर्टरूम में. वो भी उस समय जब उन्हें पोलैंड में होना चाहिए था. अपनी ट्रेनिंग के वास्ते. यानी चीज़ें शुरू ही देर से हो रही हैं.
दिल्ली कोर्ट में अभी भी केस चल रहा है. मुद्दा है कि सुशील कुमार रियो ओलम्पिक में अपनी जगह नरसिंह यादव का नाम आने पर रेस्लिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के खिलाफ़ कोर्ट चले गए. जिसकी वजह से नरसिंह भी एक पार्टी बन गए. अब तीनों जूझ रहे हैं. रेस्लिंग फेडरेशन तो यहीं रहेगी लेकिन इन दोनों की फ्लाइट अभी तक टेक ऑफ नहीं कर सकी है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि रेस्लिंग फेडरेशन ने सालों साल बिना ट्रायल लिए ही खिलाड़ियों को इंटरनेशनल कम्पटीशन के लिए भेजा है. जस्टिस मनमोहन ने कहा कि पिछले सालों में सुशील कुमार को रेस्लिंग फेडरेशन की वजह से काफ़ी फ़ायदा हुआ है. फेडरेशन की सेलेक्शन पॉलिसी कभी भी परफेक्ट नहीं रही. और यही एक बात है जिसमें कभी कोई बदलाव नहीं आया. सेलेक्शन पॉलिसी हमेशा ख़राब ही रही. कोर्ट ने सुशील से कहा कि "आप 2004, 2008 और 2012 में बिना ट्रायल दिए ओलम्पिक में चले गए. उस वक़्त आपने कुछ नहीं कहा. आज आप उसी पॉलिसी के खिलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं जिससे सालों आप मजे ले रहे थे."
कोर्ट ने आगे सुशील से पूछा कि वो जुलाई 2014 के बाद से कहां गायब थे? जुलाई 2014 में सुशील कुमार ने ग्लासगो में कॉमन वेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीता था. कोर्ट ने उनसे साफ़-साफ़ पूछा "क्या आपने जुलाई 2014 के बाद से कुछ भी जीता है?"
sushil kumar
Sushil competing at Glasgow CWG

इन सब के बीच सुशील कुमार की ओर से एक अजीब बात सामने आई. उन्होंने कहा कि वो सोनपत और जॉर्जिया में रेस्लिंग फेडरेशन के नेशनल कोच के अंडर ट्रेनिंग कैम्प अटेंड कर रहे थे. इसलिए उन्होंने प्रो रेस्लिंग लीग में हिस्सा नहीं लिया. उनके हिस्सा न लेने के कारण ही खुन्नस में आकर रेस्लिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया ने उनका रियो ओलम्पिक से पत्ता काट दिया. इस मामले में रेस्लिंग फेडरेशन ने बताया कि सुशील बहुत ही अजीबोगरीब तरह से जॉर्जिया में रहते थे. वो टीम के साथ नहीं अकेले रहते और ट्रेनिंग करते थे. इसकी वजह से नेशनल कोच ये नहीं बता सके कि सुशील कुमार का फ़िटनेस लेवल कैसा है.
आते हैं इस प्रो रेस्लिंग के बवाल पर. सुशील कुमार को उत्तर प्रदेश विज़ार्ड ने 38.2 लाख रूपये में खरीदा था. योगेश्वर दत्त को 39.7 लाख में खरीदा गया. इसपर सुशील के रिप्रेज़ेन्टेटिव ने उत्तर प्रदेश विज़ार्ड से सुशील कुमार की फ़ीस को 38.2 लाख रूपये की बजाय 51 लाख कर देने को कहा. इससे सुशील कुमार सबसे ज़्यादा पैसा मिलने वाले खिलाड़ी बन जाते. सुशील की टीम के मालिकों में से एक इंडियन क्रिकेटर रोहित शर्मा भी शामिल हैं. उस टीम के मलिक पहले तो पैसे बढ़ाने को तैयार नहीं थे लेकिन बाद में राज़ी हो गए. लेकिन कुछ दिन बाद सुशील कुमार ने अपनी चोटों की वजह से प्रो-लीग में खेलने से मन कर दिया. इस बाबत उन्होंने कोई भी मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं दिखाया.
जस्टिस मनमोहन ने कथित तौर पर गुमराह करने वाले एफिडेविट पर रेस्लिंग फेडरेशन के वाइस-प्रेसिडेंट राज सिंह से सफाई मांगी है. कोर्ट के अनुसार राज सिंह ने अपने एफिडेविट में ये झूठा दावा किया कि वो पप्पू यादव और काका पोवार के बीच हुए ट्रायल के चीफ कोच थे. ये ट्रायल मैच एटलांटा ओलंपिक्स के लिए हुआ था. इस बात पर कोर्ट ने फेडरेशन से जवाब मांगा है.

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