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देश के सबसे कम उम्र के IPS अफसर को लेकर गलत खबर वायरल हो रही है

महाराष्ट्र कैडर के हैं अधिकारी, रहने वाले यूपी के पीलीभीत के.

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महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस नूरुल हसन को सबसे कम उम्र का आईपीएस बताया जा रहा है जोकि गलत है.
सोशल मीडिया और फेक न्यूज के जमाना चल रहा है. और इसकी चपेट में अबकी बार एक आईपीएस अधिकारी को लाया गया है. नाम है नूरुल हसन. महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में एक जगह है धर्माबाद. वहां नूरुल ने एएसपी माने असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस की पोस्ट पर जॉइन किया है. 18 दिसंबर को ही जॉइनिंग हुई. अब जो बताया जा रहा है वो ये कि नूरुल देश के सबसे युवा आईपीएस हैं. उनकी उम्र 22 साल बताई जा रही है. ये बात भी गलत है. नूरुल ने इस खबर को गलत बताते हुए खुद भी अपने फेसबुक प्रोफाइल पर इसे साफ किया है, देखें-

इस खबर को और क्लियर करने के लिए हमने सीधा नूरुल हसन से बातचीत की. उन्होंने कहा- हां मुझे पता चला कि मुझे सबसे कम उम्र का आईपीएस बताकर खबरें शेयर की जा रही हैं. जबकि ऐसा नहीं है. ना ही मेरी उम्र 22 साल है. 21 साल में तो ग्रैजुएशन ही पूरा होता है. फिर मैं चार साल साइंटिस्ट भी रहा हूं. डिपार्टमेंट ऑफ एटोमिक एनर्जी में. ये खबरें गलत हैं.
पिता ने जमीन बेची थी तो कर पाए थे कोचिंग
अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि नूरुल की उम्र 22 नहीं तो क्या है. तो नूरुल ने खुद बताया वो 28 साल के हैं. 2015 में उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम क्लियर किया था. इससे पहले उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीटेक किया था. रहने वाले उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के हैं. 12वीं क्लास तक वो सरकारी स्कूलों में पढ़े. वो एक साधारण परिवार से हैं. इतना पैसा नहीं था कि इंजीनियरिंग की कोचिंग कर सकें. सो उनके पिता ने जो उनके पास एक एकड़ जमीन थी, वो बेंच दी. इसके बाद नूरुल का सेलेक्शन एएमयू में हो गया. वहां उन्होंने बीटेक किया. इसके बाद उन्होंने तीन जगह नौकरी की. टीसीएस, सीमेंस और फिर डिपार्टमेंट ऑफ एटोमिक एनर्जी में. और यहीं साइंटिस्ट रहते हुए उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और आईपीएस बने.
नूरुल चार साल साइंटिस्ट भी रहे हैं.
नूरुल चार साल साइंटिस्ट भी रहे हैं.

पोस्ट से साफ हो गया कि नूरुल को लेकर जो दावा किया जा रहा है, वो गलत है. पर ये बात एकदम सही है कि वो आईपीएस अधिकारी हैं. वो भले सबसे युवा नहीं, मगर एक यूथ आइकन जरूर हैं. उन्हें भी इस मुकाम तक पहुंचने में उतनी ही मेहनत लगी, जितनी किसी को भी अधिकारी बनने में लगती है. उनकी उपलब्धि को कम करके नहीं आंका जा सकता. और ऐसी फेक न्यूज चलाने वालों से दरख्वास्त है कि भइया जरा फैक्ट चेक कर लिया करो. कुछ भी ठेले दे रहे हो जनता को.


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