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हड़प्पा नहीं, 'सिंधु-सरस्वती सभ्यता'..., NCERT की 6वीं की नई किताब में अंबेडकर से जुड़ा चैप्टर हटाया गया

NCERT कक्षा 6 के लिए नई टेक्सटबुक लाई है. जिसमें व्यापक स्तर पर बदलाव किए गए हैं. इसमें हड़प्पा सभ्यता की जगह सिंधु -सरस्वती शब्द का प्रयोग किया गया है. सरस्वती नदी का जिक्र कई जगहों पर है. इसके भूगोल सेक्शन में कालिदास के ग्रंथ कुमारसंभव का रेफरेंस है. वही जाति से संबंधित बी आर अंबेडकर से जुड़े चैप्टर को हटा दिया गया है.

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NCERT ने क्लास 6 की सोशल साइंस की किताब में बड़े बदलाव किए हैं. (NCERT)

NCERT ने क्लास 6 के लिए सोशल साइंस की नई टेक्सटबुक में कुछ बदलाव किए हैं. इसमें हड़प्पा सभ्यता के बदले सिंधु-सरस्वती सभ्यता या ‘इंडस-सरस्वती सभ्यता' शब्द का प्रयोग किया गया है. नई किताब में जाति शब्द का जिक्र बस एक बार आया है. जाति-आधारित भेदभाव और असमानता का कोई जिक्र नहीं किया गया है.  और बी आर अंबेडकर से जुड़े हिस्से को भी हटा दिया गया है. 

इसके अलावा भूगोल सेक्शन में हिमालय के रेफरेंस में कालिदास की रचना ’कुमारसंभव' का जिक्र किया गया है. किताब में भारत के पास ‘उज्जयिनी मध्याह्न रेखा’ नाम की अपनी प्रधान मध्याह्न रेखा(Prime Meridian) होने का भी जिक्र है. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 'एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड', एनडीए सरकार की ‘नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन 2023’ के तहत तैयार की गई सोशल साइंस की पहली टेक्सटबुक है. इसे मौजूदा शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पढ़ाया जाएगा. 

टेक्स्टबुक में हुए बड़े बदलाव

# पहले इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल के लिए अलग-अलग टेक्सटबुक थी. लेकिन अब सोशल साइंस के लिए एक ही टेक्सटबुक होगी. किताब में बताया गया है कि सोशल साइंस में कई उप-विषय(sub disciplines) हैं. लेकिन छात्रों को इन शब्दावलियों से डरने की जरूरत नहीं है. इस किताब को पांच खंडों में बांटा गया है. ‘भारत और विश्व: भूमि और लोग’, ‘अतीत का ताना-बाना’, ‘हमारी सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान परंपराएं’, ‘शासन और लोकतंत्र’ और ‘हमारे आस-पास का आर्थिक जीवन’.

# इतिहास की पुरानी टेक्सटबुक में सरस्वती नदी का जिक्र मात्र एक बार ऋग्वेद के एक खंड में किया गया था. जहां इसे वेदों में वर्णित नदियों में शामिल किया गया है. लेकिन नई किताब में भारतीय सभ्यता की शुरुआत से संबंधित चैप्टर में कई बार इस नदी का जिक्र है. इसी चैप्टर में हड़प्पा सभ्यता के बदले ‘सिंधु-सरस्वती सभ्यता’ या 'इंडस-सरस्वती' टर्म का यूज किया गया है.  इसमें बताया गया है कि सरस्वती बेसिन में सभ्यता के प्रमुख शहर-राखीगढ़ी और गंवरीवाला के साथ-साथ छोटे शहर और कस्बे शामिल थे.

# नई टेक्सटबुक में हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों में सरस्वती नदी का सूखना भी बताया गया है. इस किताब में लिखा गया है कि हड़प्पा के पतन में दो कारणों पर सहमति है. एक है जलवायु परिवर्तन जिसके चलते कम वर्षा हुई. और दूसरा सरस्वती नदी का अपने सेंट्रल बेसिन में सूख जाना. जिससे वहां के शहर वीरान हो गए. जबकि पुरानी बुक में हड़प्पा सभ्यता के पतन के कारणों में सरस्वती नदी के सूखने का कोई जिक्र नहीं है.

#  इस किताब के भूगोल सेक्शन में हिमालय के संदर्भ में कालिदास की कविता कुमारसंभव को शामिल किया गया  है. इसमें तमिल संगम कविता और लैंडस्केप के साथ इसके जुड़ाव का भी जिक्र किया गया है.

#   मध्याह्न रेखा: इस किताब में बताया गया है कि ग्रीनविच मध्याह्न रेखा (Greenwich Meridian) पहली प्रधान मध्याह्न रेखा (prime meridian) नहीं है. यूरोप से कई शताब्दियों पहले भारत की एक अपनी प्रधान मध्याह्न रेखा थी. जो मध्य प्रदेश के उज्जैन से होकर गुजरती थी.

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# राजनीति विज्ञान की पुरानी किताब की तरह नई किताब में भी विविधता पर एक चैप्टर है. लेकिन इसमें जाति-आधारित भेदभाव और असमानता का जिक्र नहीं किया गया है. इस किताब में जाति शब्द का केवल एक बार जिक्र आया है. जबकि पुरानी किताब में भीमराव अंबेडकर और दलित समुदाय के अधिकारों के लिए उनकी लड़ाई और जाति-आधारित भेदभाव के उनके अनुभव पर एक पूरा सेक्शन था.

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