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'सेना है तो लश्कर, जैश क्यों', पाकिस्तान की पोल उसके पूर्व राजदूत ने ही खोल दी!

पाकिस्तान ये कहता आया है कि वो आतंकवादियों पर कार्रवाई कर रहा है. लेकिन वहीं के लोग बता रहे हैं कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को पाल रहा है.

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पाकिस्तानी सेना के जनरल आसिफ मुनीर के साथ प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ. (फोटो क्रेडिट- X)

पाकिस्तान अपने गुनाह लाख छिपाने की कोशिश करे पर खेल खुल ही जाता है. अमेरिका में पाकिस्तान के एंबेसडर रहे हुसैन हक्कानी ने खुद ही अपने देश के झूठों की पोल खोल दी है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर एक पोस्ट लिखकर पाकिस्तान की आतंकपरस्ती पर सवाल उठाए हैं. हुसैन हक्कानी ने लिखा,

पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले ने भारत और पाकिस्तान को लगभग युद्ध की स्थिति में पहुंचा दिया. भविष्य में ऐसा फिर न हो, इसके लिए जरूरी है कि जिहादी संगठनों को बंद किया जाए. जब देश के पास पहले से ही एक सुसज्जित सशस्त्र सेना है, तो फिर लश्कर, सिपाह, जैश और दिफा-ए-वतन काउंसिल जैसे संगठनों की जरूरत क्यों है?

इस बात में पहले भी संदेह नहीं था कि पहलगाम हमला पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों ने करवाया है. भारत ने इसके सबूत दुनिया के तमाम देशों को मुहैया भी करा दिए हैं. इससे पहले भी चाहे 2019 पुलवामा अटैक हो, 2016 पठानकोट हमला हो या 2016 उरी हमला. 26/11 का मुंबई हमला हो या 2002 में संसद पर हुआ आतंकी हमला. ये सब पाकिस्तानी आतंकियों की ही करतूतें थीं. लेकिन पाकिस्तान ऐसा दिखावा करता रहा है कि वह तो आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाला देश है. पर अब उसके झूठों का पर्दाफाश, उसी के लोग कर रहे हैं.

हुसैन हक्कानी फिलहाल पाकिस्तान के फॉरेन रिलेशन्स काउंसिल के सदस्य हैं. और 2008 से 2011 तक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हैं. उन्होंने साफ तौर पर बताया है कि पाकिस्तान लश्कर और जैश जैसे कई आतंकी संगठनों को पाल रहा है. उन्होंने अपने देश से इन जिहादी आतंकी सगंठनों को बंद करने की मांग की है. और इस बात को भी स्पष्ट किया है कि इन्हीं आतंकियों ने पहलगाम में हमला किया, जिसकी वजह से भारत और पाकिस्तान युद्ध तक लगभग पहुंच गए थे.

पाकिस्तान सालों से विश्व को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा है कि वह आतंकी संगठनों पर कार्रवाई कर रहा है. अक्तूबर 2022 में पाकिस्तान इसी दलील को भुनाकर FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर आया था. FATF एक वैश्विक संस्था है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी संगठनों तक फंड देने वाले देशों पर निगरानी रखता है. लेकिन पहलगाम हमला इस बात की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान ने किसी आतंकी संगठन पर कार्रवाई नहीं की, बल्कि आतंकियों को बढ़ावा दिया है. हुसैन हक्कानी का पोस्ट इस दावे पर मुहर की तरह है.

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