"निर्दोष नागरिकों के इस नरसंहार को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है. जिन लोगों की हत्या की गई है, वो मजदूर थे. मेहनत करने के बाद शाम को अपने घर वापस लौट रहे थे. उनके पास कोई हथियार नहीं था. ऐसे में उनकी हत्या कर देना नरसंहार ही है."इस बयान में आगे कहा गया,
"असम राइफल्स के जो जवान और अधिकारी इस घृणास्पद अपराध के लिए जिम्मेदार हैं, उनसे सवाल पूछा जाना चाहिए कि किस आधार पर निहत्थे और निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई. इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर किस आधार पर कमांडिंग ऑफिसर ने पिकअप ट्रक में सवार मजदूरों पर गोली चलाने का आदेश दिया."राज्य बीजेपी की तरफ से जारी इस बयान में यह भी पूछा गया कि जब नगालैंड के बेटे देश के लिए बलिदान दे रहे हैं, तो आखिर राज्य के दूसरे बेटों को क्यों मारा जा रहा है. इसके साथ ही केंद्र सरकार से यह मांग की गई है कि वो मृतकों के परिजनों को मुआवजा दे.
Nagaland BJP की तरफ से किया गया ट्वीट, जो अब डिलीट कर लिया गया है. (फोटो: ट्विटर)
BJP नेता के सैनिकों पर आरोप वहीं नगालैंड गोलीबारी (Nagaland Firing) मामले में बीजेपी के एक नेता ने सनसनीखेज दावा किया है. इनका नाम न्यावांग कोन्याक है. कोन्याक, नगालैंड के मोन जिले के बीजेपी अध्यक्ष हैं. न्यूज पोर्टल स्क्रॉल की रिपोर्ट के मुताबिक, कोन्याक का दावा है कि सुरक्षाबलों ने उनकी गाड़ी पर गोलीबारी की. इस दौरान उनके साथ मौजूद एक व्यक्ति मारा गया. रिपोर्ट के मुताबिक, कोन्याक ने बताया कि ये पूरा घटनाक्रम तब हुआ, जब वो अपने जिले में उन पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे थे, जिनके परिजनों की गोलीबारी में मौत हो गई. इससे पहले खबर आई थी कि नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग इलाके में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में कम से कम 13 नागरिकों और एक सैनिक की मौत हो गई. वहीं गुस्साए लोगों ने सुरक्षाबलों की गाड़ियों में आग लगा दी. इस पूरे मामले में राज्य के मुख्यमंत्री नेफियो रियो ने उच्चस्तरीय SIT का गठन करते हुए लोगों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है. वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी कमोबेश यही बात कही है.
Nagaland के मोन जिले के बीजेपी अध्यक्ष Nyawang Konyak (फोटो: फेसबुक)
ओटिंग में हुई इस गोलीबारी की घटना को लेकर असम राइफल्स ने खेद प्रकट किया है. असम राइफल्स की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच की जा रही है और दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दी जाएगी. बयान में यह भी कहा गया कि ऑपरेशन एक पक्की सूचना के आधार पर शुरू किया गया था, जिसमें ओटिंग इलाके में विद्रोहियों की हलचल की जानकारी मिली थी. यह पूरा घटनाक्रम चार दिसंबर की शाम चार बजे का है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोन जिले में स्थित कोयला खदान में काम करने वाले मजदूर शाम के वक्त अपने घर लौट रहे थे. वो एक पिकअप ट्रक में सवार थे. तभी उनके ऊपर गोलीबारी शुरू हो गई. 'शांति की अपील करने जा रहा था' बीजेपी नेता न्यावांग कोन्याक ने बताया कि शाम को जब उन्हें सूचना मिली कि उनके गांव के छह लोग गोलीबारी मारे गए हैं, तो उन्होंने तुरंत गांव जाने का फैसला किया. उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें ये भी सूचना मिली की गांव के लोगों ने सैनिकों पर जवाबी हमला शुरू कर दिया है. ऐसे में वे वहां पहुंचकर शांति की अपील करना चाहते थे. कोन्याक ने आगे बताया कि वो अपने ड्राइवर, भतीजे और पड़ोसी के साथ गांव के लिए निकले. इस बीच उन्हें एक रेस्ट कैंप पर रोका गया. सैनिकों ने उनसे पूछताछ की. क्योंकि वे कोन्याक बोली में बात कर रहे थे, ऐसे में सैनिकों ने उनके ऊपर बिना सोचे समझे गोली चलानी शुरू कर दी. न्यावांग कोन्याक के मुताबिक, इस गोलीबारी में उनके साथ मौजूद अन्य तीन लोग घायल हो गए. आखिर में उनके पड़ोसी की मौत हो गई.
Assam Rifles के मुताबिक, Nagaland के Oting में विद्रोहियों की हलचल होने की एकदम पक्की सूचना मिली थी.
कोन्याक ने इस बात पर अपनी निराशा जाहिर की है कि सैनिकों ने उनकी गाड़ी पर बीजेपी का झंडा देखने के बाद भी गोलियां चलाईं. उन्होंने सवाल उठाया कि भारत की सेना इस तरह से नागरिकों को कैसे मार सकती है. इस बीच नगालैंड में हुए इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आई हैं. देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा,
"ये बेहद ही दुखी करने वाला घटनाक्रम है. भारत सरकार को जवाब देना चाहिए. आखिर केंद्रीय गृह मंत्रालय असल में कर क्या रहा है, जब हमारी अपनी जमीन पर ना तो नागरिक सुरक्षित हैं और ना ही सुरक्षाबल."
"नगालैंड से चिंतित करने वाली खबर आई है. मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं. मैं घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करती हूं. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस घटना की ढंग से जांच हो और सभी पीड़ितों को न्याय मिले."
इस बीच नगालैंड सरकार ने मोन जिले में इंटरनेट और एसएमएस सुविधाओं पर अगले आदेश तक बैन लगा दिया है. वहीं घटनाक्रम के प्रति अपना गुस्सा जताते हुए नगालैंड के कई आदिवासी समूहों ने कोहिमा में चल रहे हॉर्नबिल त्योहार में शामिल ना होने की घोषणा की है.