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मणिपुर हिंसा के पीछे म्यांमार के आतंकी संगठनों का हाथ? NIA जांच में खुलासा हुआ

NIA का कहना है कि म्यांमार के आतंकी संगठन मणिपुर में जातीय हिंसा का फायदा उठाकर केंद्र सरकार के खिलाफ जंग की साजिश रच रहे हैं.

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मणिपुर हिंसा पर NIA का खुलासा (फोटो- PTI)

मणिपुर में बीते चार महीनों से जारी जातीय हिंसा (Manipur Violence) को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बड़ी जानकारी दी है. NIA जांच में पता चला है कि मणिपुर में हमले और जातीय हिंसा भड़काने के पीछे म्यांमार के कुछ प्रतिबंधित आतंकी संगठनों का हाथ है. जानकारी है कि ये संगठन मणिपुर में सुरक्षा बलों और विरोधी जातीय समूहों के सदस्यों पर हमला करने के लिए कार्यकर्ताओं की भर्ती कर रहे हैं.

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अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, NIA के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी कि म्यांमार के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अशांति का फायदा उठाकर हमले करवाने के लिए OGW (Over ground workers) और कैडरों की भर्ती कर रहे हैं. सुरक्षा बलों के टर्म में कहें तो OGWs वे लोग होते हैं जो उग्रवादियों या आतंकवादियों की लॉजिस्टिक सपोर्ट, कैश, शेल्टर जैसी सुविधाएं देने में मदद करते हैं.

प्रवक्ता ने बताया कि म्यांमार स्थित ये लीडरशिप गैरकानूनी तरीकों से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक इकट्ठा कर रहा है. सरकारी सुविधाओं और संसाधनों की लूट भी इसी का हिस्सा है.

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बता दें, मणिपुर के अलगाववादी समूह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सदस्य मोइरांगथेम आनंद सिंह को 22 सितंबर को जमानत मिली थी. इसके कुछ घंटे बाद ही उसे NIA ने अरेस्ट कर लिया था. 23 सितंबर को उसे दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा है.

NIA के प्रवक्ता ने बताया कि मोइरांगथेम सिंह को म्यांमार स्थित आतंकी संगठनों की अंतरराष्ट्रीय साजिश से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया है. उनका मकसद कथित तौर पर मणिपुर में जातीय अशांति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार के खिलाफ जंग छेड़ना है. ये मामला दिल्ली में 19 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर NIA ने ही दर्ज किया था.

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मोइरांगथेम सिंह को 16 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. उन पर कथित रूप से सुरक्षा बलों वाली कैमोफ्लाज वर्दी पहनने, एक इंसास राइफल, एक SLR, दो .303 राइफल, कई मैगजीन और गोला-बारूद रखने का आरोप है. उसे इंफाल पूर्व में मैतेई मयाक स्कूल के पास से पकड़ा गया था. उसके साथ चार और लोग अरेस्ट हुए थे. सभी के खिलाफ UAPA और ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के प्रावधानों के तहत आपराधिक साजिश का मामला दर्ज हुआ था. 

रिपोर्ट के मुताबिक, मोइरांगथेम सिंह ने 1991 में PLA जॉइन किया था. बाद में वो कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी (नोयोन) ग्रुप में शामिल हो गया. 1997 से 2010 के बीच वो सात बार अरेस्ट हो चुका है.

मणिपुर हिंसा शुरू होने के बाद ये दूसरा केस है, जिसकी जांच NIA कर रही है. बाकी केस CBI को हैंडओवर कर दिया गया था. इससे पहले जुलाई में बिष्णुपुर जिले में IED ब्लास्ट का मामला भी NIA को सौंपा गया था. राज्य में इस साल 3 मई को मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा भड़की थी, जो अब भी जारी है. एक दिन पहले ही मणिपुर सरकार राज्य में चार महीने से बंद इंटरनेट सर्विस को बहाल किया.

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