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छह सालों में मुंबई में कटे 21,028 पेड़, महानगर के लिए कितना ख़तरनाक़ है ये आंकड़ा?

पेड़ काटे क्यों? मेट्रो, बुलेट ट्रेन, तटीय सड़कों, गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) जैसे विकास प्रोजेक्ट्स के लिए.

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पेड़ कटने की वजह से मुंबई को बहुत ख़तरा है. (फ़ोटो - सोशल मीडिया)

बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने जानकारी दी है कि मुंबई में पिछले छह सालों में कम से कम 21,028 पेड़ों की कटाई हुई है. पिछले कुछ सालों से शहर की वायु गुणवत्ता ख़राब हो रही है और ये एक बड़ी चिंता बन कर उभरी है. पेड़ गिराए क्यों? मेट्रो, बुलेट ट्रेन, तटीय सड़कों, गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) जैसे विकास प्रोजेक्ट्स के लिए.

क्यों गिराए इतने पेड़?

इस जानकारी के लिए इंडियन एक्सप्रेस ने BMC में एक RTI दायर की थी. इस डेटा से ये भी पता चला है कि 2018 और 2023 के बीच BMC ने 21,916 पेड़ लगाए भी. मगर उनमें से बहुत कम ही बच पाए. आंकड़ों के मुताबिक़, प्रत्यारोपित किए गए पेड़ों में से केवल 22% ही बच पाए.

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मुंबई नगरिया ने बीते 30 सालों में अपने 42.5% पेड़ खो दिए. जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली की प्राकृतिक विज्ञान बॉडी, हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मुंबई के शहरी और उपनगर के 603 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का अध्ययन किया था. इसमें सामने आया था कि साल 1988 में फ़ॉरेस्ट कवर लगभग 29,260 हेक्टेयर था. ये 2018 तक आते-आते 16,814 हेक्टेयर रह गया है. 1970 के दशक से अब तक शहर का ट्री कवर भी 22% कम हो गया है. नतीजा ये कि तीन दशकों में शहर का तापमान दो डिग्री बढ़ गया.

BMC के मुताबिक़, मुंबई में कुल 29,75,283 पेड़ हैं. हालांकि, अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ये संख्या पुरानी है. 2011 में की गई अंतिम वृक्ष गणना से है.

विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 10 सालों तक ऐसे ही चलता रहा, तो मानव स्वास्थ्य और जैव विविधता पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. वनों की कटाई से मुंबई पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं. जल प्रवाह में बाधा आ सकती है. वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ सकता है. बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं का ख़तरा बढ़ सकता है. वायु प्रदूषण और शहरी तापमान में बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है. और कई जानवर विलुप्त हो सकते हैं.

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आंकड़ों पर पैनी नज़र डालें, तो पेड़ों की कटाई और विकास प्रोजेक्ट्स के बीच सीधा संबंध स्थापित होता है. BMC ने भी बताया है कि पेड़ काटने की अनुमति मुख्यतः मेट्रो, बुलेट ट्रेन, कोस्टल रोड, सीवेज प्लांट, गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड जैसे प्रोजेक्ट्स के लिए जारी की गई थी.

आरे जंगल को लेकर शहर में बहुत बवाल हुआ था. आरे 2,000 एकड़ का जंगल है, जहां पांच लाख से ज़्यादा पेड़ हैं. शहर की वायु गुणवत्ता को बैलेंस में रखने में बहुत ज़रूरी है. मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को इस जंगल के एक हिस्से में मेट्रो की कार पार्किंग बनानी थी. कुछ पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं के नेतृत्व जनता सड़क पर आ गई. मामला कोर्ट पहुंचा, मगर जनता के पक्ष में फैसला नहीं आया. अक्टूबर, 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई नगर निगम को कार पार्किंग बनाने के लिए पेड़ काटने की अनुमति दे दी थी.

केस चलता रहा. प्रदर्शन भी गाहे-बगाहे चलते रहे. बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची. अदालत ने तर्क दिया कि विकास प्रोजेक्ट्स की उपेक्षा नहीं की जा सकती. लेकिन पर्यावरण पर भी विचार करना चाहिए. अदालत ने मूल रूप से मेट्रो कॉर्पोरेशन को रैंप बनाने के लिए 84 पेड़ काटने की अनुमति दी थी. निगम ने 177 पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी. अप्रैल, 2023 में आला अदालत ने अनुमति से ज़्यादा पेड़ काटने के लिए मेट्रो कॉर्पोरेशन पर 10 लाख का जुर्माना लगाया था.

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अब शासन-प्रशासन को चाहिए कि वो मुंबई के शहरी फ़ॉरेस्ट कवर के साथ-साथ पूरे पर्यावरण की रक्षा के लिए एक ठोस योजना बनाएं. मार्च, 2022 में BMC ने जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चिंताओं को पहचानने और शहर में बढ़ती चुनौतियों से जुड़े मुद्दों को काम करने के मक़सद से मुंबई जलवायु कार्य योजना (MCAP) जारी किया था. अब अधिकारियों का कहना है कि इस साल BMC नए सिरे से पेड़ों की गिनती करवाएगी और मुंबई के मौजूदा फ़ॉरेस्ट कवर का आकलन करने के लिए एक सर्वे करेगी.

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