एक हैप्पी वाली न्यूज़ है. एक है मिस मोटी. नाम ही बता रहा है, मिस मोटी, मोटी है. सांवली है. बिलकुल बेफिक्र. यही उसकी सबसे बड़ी पहचान है. बिकनी पहनती है. किसी के कमेंट की परवाह नहीं करती. कोई लड़की छोटे कपड़े पहन ले, हमारे यहां हो-हल्ला मच जाता है. फिर अगर वो लड़की 'मोटी' है, या 'सांवली', 'काली' है. तब तो उसको कोई हक ही नहीं है छोटे और रिवीलिंग कपड़े पहनने का. मोटी लड़की खुश कैसे दिख सकती है. अपना फेवरेट पिज़्ज़ा कैसे खा सकती है. उसको तो हमेशा अपने वजन की वजह से परेशान ही होनी चाहिए.लेकिन हमको बहुत ख़ुशी है कि मिस मोटी ये सारे स्टीरियोटाइप तोड़ती है. वो खुश रहती है. 'बुढ़िया का बाल' खाती है. अपने वजन की चिंता लिए कोने में बैठी नहीं रहती. खूब खुश रहती है. सांड से लड़ लेती है. कभी-कभी लिफ्ट और स्टेयरकेस में फंस भी जाती है.लेकिन कोई तिकड़म भिड़ा कर रास्ता निकाल लेती है. सुपर हीरो नहीं है मिस मोटी. उसके पास कोई सुपर पावर भी नहीं है. बस उसकी इमेजिनेशन बहुत कमाल की है. मिस मोटी को फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कहते हैं. मिस मोटी अपने ख्यालों की दुनिया में मस्त रहती है.

Kripa Joshi
मिस मोटी की आर्टिस्ट हैं कृपा जोशी. कृपा नेपाल की रहने वाली हैं. न्यूयॉर्क में पढ़ रही थीं जब मिस मोटी का 'जन्म' हुआ. कृपा का कहना है कि वो खुद हमेशा से ओवरवेट होने की वजह से परेशान रहती थीं. कृपा कहती हैं, नेपाल हो या इंडिया, मोटापे का हर जगह मज़ाक उड़ाया जाता है. चाहे दोस्त हों या रिश्तेदार. सबसे पहले वो आपका वजन ही नोटिस करते हैं. फिर पचहत्तर हिदायत दे डालते हैं. ये खाना छोड़ दो. ये फलां एक्सरसाइज़ करो. भले ही इसके पीछे उनका मकसद अच्छा होता है. लेकिन उनका तरीका बहुत ही चोट करने वाला होता है. मोटी टीनेज लड़कियां कई बार घर से निकलना कम कर देती हैं. क्योंकि वो हर वक़्त के तानों और कमेंट से थक चुकी होती हैं.
मिस मोटी बिंदास लड़की है. वो जिंदगी अपने हिसाब से जीती है. कृपा के हिसाब से मिस मोटी नेपाल या इंडिया की ही लड़की है, जो अमेरिका में रहती है. ज़्यादातर अकेले ही रहती है. प्यारी तो इतनी है कि हर कोई उसका दोस्त बन जाता है. जब हम बचपन से हर कार्टून, कॉमिक्स और सुपरहीरो फिल्म में बार्बीडॉल जैसी लड़कियां देखते हैं. समझदार, स्मार्ट और खूबसूरत होने की वही परिभाषा हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है. ऐसे में मिस मोटी से मिलकर खूब सारी ख़ुशी होती है.
जब हम कुछ भी बन सकते हैं, क्यों ना खुद जैसे ही बन जाएं

ज़िन्दगी को उसके सींगों से पकड़ो और दो पटखनी

खुद ही खुद को हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा आगे सरकाना पड़ता है

अगर आज कल से एक इंच भी आगे हो तो मतलब बढ़ रहे हो तुम

सूरज उतार लाओ और अपनी कलाई में बांध लो आज के लिए

समझदारों की इस दुनिया में समझदारी सबसे बड़ा धोखा है

क्योंकि कोई भी ऐसा गम नहीं जो नाच कर भुलाया ना जा सके

क्योंकि आज फिर से एक नया दिन है.

तो चीखो-चिल्लाओ, हंसो, गाओ, थिरको, मुस्कुराओ. क्योंकि इसके अलावा दुनिया में सब कुछ बेमानी है.

और जब लगे कि अब बस हुआ, छोड़ दो. फिर कुछ नया करो. हर बार, बार-बार.

ये भी पढ़ें
लड़कियों के पंख काटने वालों! शर्म आ रही है ना?
गुड़िया जैसी गोरी, पतली और नीली आंखों वाली लड़की ही सुंदर नहीं होती