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'Single Malt Whiskey' वाली सुनवाई में मिर्जा गालिब की एंट्री, CJI चंद्रचूड़ के सामने किसने शेर सुनाया?

इसी मामले की सुनवाई के दौरान आला अदालत में सिंगल मॉल्ट की चर्चा हुई थी. आज मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर कहा गया.

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ग़ालिब भी सुनवाई में आ ही गए.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली नौ जजों की संविधान पीठ औद्योगिक शराब को विनियमित करने के अधिकार पर सुनवाई कर रही है. इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से कई हल्के-फुल्के पल सामने आए. 5 अप्रैल भी कोई अपवाद नहीं था. आज तो भरी अदालत में उर्दू के अज़ीम शायर मिर्ज़ा ग़ालिब का ज़िक्र आ गया, वो भी केंद्र सरकार के वकील की तरफ से.

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सुप्रीम कोर्ट में मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर

राज्य और केंद्र में शराब की मैन्युफ़ैक्चरिंग, सप्लाई का कंट्रोल किसके पास हो? नौ जजों की संविधान पीठ को इसी पर फ़ैसला लेना है. बेंच में मुख्य न्यायाधीश के साथ जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी हैं. इसी मामले की सुनवाई के दौरान आला अदालत में सिंगल मॉल्ट (Single Malt Whiskey) की चर्चा हुई थी.

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सुनवाई के दौरान एक वकील ने अपनी दलील से बेंच को चौंका दिया. कहा कि शराब के सेवन का मतलब सिर्फ़ शराब पीना नहीं है, क्योंकि औद्योगिक ग्रेड अल्कोहल का इस्तेमाल नेल पॉलिश, लकड़ी की वार्निश और पेंट जैसे उत्पादों में किया जाता है.

बेंच में शामिल जस्टिस हृषिकेश रॉय ने चुटकी ली, "तो आप कह रहे हैं कि शराब के लिए केवल होठ नहीं चाहिए?"

इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये बात तो मशहूर-ए-ज़माना उर्दू शायर और शराब के पारखी मिर्ज़ा ग़ालिब ने सदियों पहले कह दी थी:

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"गो हाथ को जुम्बिश नहीं, आंखों में तो दम है,
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मेरे आगे.."

ग़ालिब के शेर के मानी वैसे तो बहुत सारे होते हैं, हो सकते हैं. मगर इसका सीधा मंज़र ऐसा है कि एक शराबी धुत्त नशे में मयख़ाने में बैठा हुआ है. हलक़ तक शराब भरी हुई है, एक और बूंद पीने की क़ुव्वत नहीं है, हाथ तक उठ नहीं रहा. ये हालत देख साक़ी उसके सामने रखा गिलास हटाने लगता. इस पर शराबी कहता है कि भले ही हाथ न हिल रहा हो, आंखों में तो दम है. इसीलिए शराब का प्याला उसके सामने से न हटाया जाए.

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बहरहाल, मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 9 अप्रैल को फिर से होगी, जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामले पर बहस करेंगे.

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