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Single Malt Whiskey: शराब की वो नस्ल, जिसकी चर्चा सुप्रीम कोर्ट में CJI के सामने हो गई

सिंगल मॉल्ट बनाने की पूरी प्रक्रिया. किस चीज़ से बनती है? क्यों ख़ास है? और इसे 'सिंगल' मॉल्ट क्यों कहते हैं?

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how is single malt
सिंगल मॉल्ट बहुत मंहगी आती है. (फ़ोटो सांकेतिक)
4 अप्रैल 2024 (Updated: 4 अप्रैल 2024, 02:16 PM IST)
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बे-पिए ही शराब से नफ़रत! ये जहालत नहीं, तो फिर क्या है? साहिर लुधियानवी का ये शेर हो, जगजीत सिंह की गाई ग़ज़ल या ख़्ययाम की रुबाइयां, सबका सार यही है - शराब पी नहीं, तो ज़िंदगी जी नहीं. 

डिस्क्लेमर - शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. हमारा उद्देश्य किसी को भी शराब पीने के लिए प्रेरित करना नहीं है.

वो तो 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में कुछ ऐसा विचित्र हुआ कि ये मुद्दा उठ गया है. हुआ ये कि सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों के संवैधानिक बेंच के आगे बहस चल रही थी. राज्य और केंद्र में शराब की मैनुफ़ैक्चरिंग, सप्लाई का कंट्रोल किसके पास हो? इस बात पर बहस थी. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ़ से दलील रखने वाले सीनियर वकील दिनेश द्विवेदी ने अपनी विस्की की पसंद से जुड़ा एक क़िस्सा बेंच को सुनाया. बताया कि वो एडिनबर्ग गए थे. UK का ये पुराना शहर अपनी ‘सिंगल मॉल्ट’ (Single Malt) विस्की के लिए भर दुनिया में फ़ेमस है. बकौल वकील दिनेश द्विवेदी, उन्होंने विस्की के साथ बर्फ़ मांग ली, तो वेटर नाराज़ हो गया. वेटर भाई साहब का कहना था कि ये वाली विस्की नीट पी जाती है. माने शुद्ध. बिना कुछ मिलाए.

सुप्रीम कोर्ट में तो शराब की शुद्धता का क़िस्सा सुना दिया गया. सोशल मीडिया पर इस वाकिये की चर्चा भी हो गई. लेकिन पिक्चरों में बहुतेरे बार ज़िक्र आने के बाद भी कम लोग जानते हैं कि सिंगल मॉल्ट क्या बला है? इसीलिए आज बताएंगे:

  • शराब बनती कैसे है? 
  • ऐसा कौन सा रिएक्शन होता है कि ‘जौ’ जैसा अनाज नशीला हो जाता है?
  • और, बोतलों पर जो 'सिंगल मॉल्ट', 'डबल मॉल्ट' जैसे लेबल लगे होते हैं, उनका क्या मतलब है?
ज़रूरी और ‘सुरूरी’ सवाल

सबसे पहले, मूल सवाल: शराब का मतलब क्या? अरबी शब्द है. दो शब्दों से बना हुआ: शर और आब. शर माने तबाही, ख़राबी, फ़साद... और आब माने पानी. तो शराब माने फ़साद का पानी.

दूसरा सवाल: शराब के जो अलग-अलग प्रकार हैं - विस्की, वॉडका, रम, वाइन - इनमें अंतर क्या है? 

फ़र्क़ है ग्रेन का. माने मूल मटेरियल का. हर शराब के बेस में एक शुगर होती है. भिन्न-भिन्न प्रकार की शुगर, सो भिन्न-भिन्न प्रकार की शराब. इसमें शुगर माने चीनी नहीं. जब कार्बोहाइड्रेट्स हमारे शरीर में जाते हैं, तो टूट कर बनता है - ग्लूकोज़. ये एक क़िस्म की शुगर है. माल्टोज़, फ्रक्टोज़, लैक्टोज़ और सुक्रोज़ भी शुगर की क़िस्में हैं. इनमें से बस लैक्टोज़ से शराब नहीं बनती, क्योंकि ये मिल्क शुगर है. बाक़ी सबसे बनती है. 

माल्टोज़ से विस्की और बियर बनती है. ग्लूकोज़ और फ्रक्टोज़ से वाइन और ब्रैंडी बनती है. रम बनती है सुक्रोज़ से. 

हम केवल विस्की पर फ़ोकस करेंगे, जैसा सुप्रीम कोर्ट में हुआ. इसीलिए जौ से शराब के सफ़र के लिए चलिए इसकी केमिस्ट्री पर.

शराब की केमिस्ट्री

शराब की कहानी कुछ-कुछ 20-25 साल के एकदम सीधे-सादे लड़के सी है, जो बनना कुछ चाहता था; संगत ने कुछ और ही बना दिया. अब जैसे ‘बेचारे’ जौ का काम लोगों का पेट भरना है. लेकिन इसको कुछ ऐसे पदार्थों का साथ मिलता है कि ये बदल कर शराब जैसा नशीला हो जाता है.

कैसे? सबसे पहले जौ को पानी में भिगोया जाता है. जौ अंकुरित हो जाता है. वैसे ही, जैसे चना या मूंग अंकुरित होते हैं. लेकिन इसके पीछे एक एक केमिकल रिऐक्शन का हाथ है. अनाज में एक केमिकल होता है, स्टार्च. असल में ये पौधे का भोजन होता है, जो वो भविष्य के लिए स्टोर करके रखता है. कार्बोहाइड्रेट्स हमें स्टार्च से ही मिलते हैं. जब भी हम कोई अनाज खाते हैं, तब ये स्टार्च शुगर में टूटता है और बनता है ग्लूकोज़.

माने जौ नॉर्मली टूट कर ग्लूकोज़ बनता, मगर इसे ज़बरदस्ती बनाया जाता है माल्टोज़. ये भी एक तरह का शुगर ही है. लेकिन ग्लूकोज़ नहीं.

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अब माल्टोज़ वाले जौ - जिससे ‘मॉल्टेड बार्ले’ कहते हैं - इसके जीवन में एंट्री होती है दूर के एक ताऊ जी की, जो इसको पूरी तरह से बदल देंगे. इन ताऊ जी का नाम है, यीस्ट. एक तरह का जीवाणु. इसका इस्तेमाल ब्रेड बनाने में भी किया जाता है. माने यीस्ट ख़राब संगत नहीं है. बस जौ के मामले में सिस्टम थोड़ा बिगड़ जाता है. 

ये यीस्ट नाम का जीवाणु 48 से 96 घंटों में माल्टेड बार्ले को अल्कोहल में बदल देता है. इस प्रॉसेस को फर्मेंटेशन (fermentation) कहते हैं.

इसके बाद होता है, डिस्टिलेशन (distillation). इसमें क्या होता है? एक कंटेनर में अल्कोहल रखते हैं. उसे गर्म करते हैं. सारा अल्कोहल भाप बन कर उड़ता है और पाइप के जरिए ये भाप दूसरे कंटेनर में जाता है. वहां इसे ठंडा किया जाता है. फिर ये भाप एक लिक्विड में बदल जाती है. इसे स्पिरिट कहते हैं. 

अगला स्टेप है एजिंग (ageing). तीन साल के लिए इस डिस्टिल्ड स्पिरिट को एक लकड़ी के डब्बे में रखा जाता है. ऐसा वैसा डब्बा नहीं, एक ख़ास क़िस्म का डब्बा –  ‘बैरल’. बैरल-जगत में ओक की लकड़ी के बने बैरल्स का बोलबाला है. यूरोप, अमेरिका और एशिया में उगने वाले पेड़. रोमन साम्राज्य के समय से ही ओक का इस्तेमाल विस्की बैरल के लिए किया जा रहा है. क्योंकि इनकी लकड़ी मज़बूत होती है और इनमें लीकेज नहीं होता. साथ ही ओक इतनी गुंजाइश भी देता है कि विस्की सांस ले सके. इस लकड़ी की क्वॉलिटी का विस्की के एजिंग प्रॉसेस पर बहुत असर पड़ता है. हालांंकि, अगर ज़्यादा समय तक विस्की ओक बैरल में रख दी जाए, तो कड़वी हो जाती है. 

ओक से बने बैरलों का अलग ही रौला है. 

मोटा-माटी बांटा जाए, दो तरह के बैरल्स होते हैं:

  • वर्जिन बैरल: एकदम नया बैरल, जिसका कभी इस्तेमाल नहीं किया गया. इसमें ओक का सबसे ज़्यादा स्वाद आता है. इनमें उन स्कॉच को रखा जाता है, जिन्हें ज़्यादा बुढ़ाने या ageing की ज़रुरत है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल बर्बन विस्की (bourbon whiskey) बनाने किया जाता है.
  • रीफिल बैरल: जिस बैरल में पहले भी विस्की को एज किया गया हो. इसीलिए ये अपना असर कम छोड़ता है और लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है. विस्की को भी अपना जौहर दिखाने का मौक़ा मिल जाता है.

ओक के अलावा सूखे फल, किशमिश और मसाले के नोट्स के लिए शेरी बैरल; वाइन के लिए चॉकलेट या पुष्प नोट्स वाले बैरल; रम के लिए फल और गुड़ का स्वाद छोड़ने वाले पीपे इस्तेमाल किए जाते हैं.

सिंगल मॉल्ट की क्या चौड़ है?

साल 2008 में समर ख़ान की एक फ़िल्म आई थी, 'शौर्य'. के के मेनन के किरदार ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह की क्लिप्स आपने देखी ही होंगी. फ़िल्म में एक सीन है, जिसमें ब्रिगेडियर रुद्र प्रताप सिंह, राहुल बोस के किरदार मेजर सिद्धांत को अपने यहां डिनर पर बुलाते हैं. सबसे पहले उन्हें शराब ऑफ़र करते हैं. कौन सी? सिंगल मॉल्ट. ऑफ़र करने के साथ एक कालजई डायलॉग बोलते हैं. कहते हैं, दुनिया में बस दो चीज़ें शुद्ध हैं.. प्योर. एक सिंगल मॉल्ट और दूसरी 'शौर्य'.

शौर्य के इसी सीन में ब्रिगेडियर अपनी पूरी कहानी बताते हैं. 

तो फ़िल्म के टाइटल जितनी ज़रूरी सिंगल मॉल्ट में अलग क्या है, कि हर विस्की सिंगल मॉल्ट नहीं होती. किसी विस्की को ‘सिंगल माल्ट स्कॉच विस्की’ का लेबल पाने के लिए एक बहुत की ख़ास स्कॉच विस्की मानक से गुज़रना होता है. मुख्यतः तीन मापदंडों पर - ग्रेन, डिस्टिलेशन और प्रोडक्शन की प्रक्रिया.

- तो सिंगल मॉल्ट केवल मॉल्टेड जौ से ही बनती है. अन्य विस्की में राई, मक्का या गेहूं जैसी चीज़ें मिल सकती हैं. सिंगल मॉल्ट में केवल जौ. मॉल्टेड बार्ले उसे एक ख़ास तरह का स्वाद देता है, जिसे अक्सर मॉल्टी, मीठा या ब्रेडी कहते हैं.

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- दूसरी बहुत ज़रूरी चीज़. सिंगल मॉल्ट में ‘सिंगल’ क्या है? दरअसल, ये विस्की एक ही डिस्टिलरी (शराब बनाने वाली फ़ैक्ट्री) से आती है. इससे पानी के स्रोत से लेकर बैरल के मटेरियल की परिपक्वता तक, सब कुछ एक जैसा रहता है. अन्य विस्कियों में अलग-अलग डिस्टिलरी से मॉल्ट विस्की की मिलावट हो सकती है.

- सिंगल मॉल्ट को तीन साल तक बैरल में डालकर ज़मीन में गाड़ दिया जाता है. तीन साल में ये स्पिरिट ओक की लकड़ी में सांस लेता है. ओक के स्वाद और महक को सोखकर एक बेहतरीन शराब बनती है. फिर छोटे-छोटे बैच होने की वजह से प्रोडक्शन प्रोसेस में नियंत्रण भी ज़्यादा होता है.

तो स्कॉटलैंड में उत्पादन, मॉल्टेड जौ, पॉट-स्टिल डिस्टिलेशन और कम से कम तीन सालों तक ओक बैरल में घुलने से बनती है, सिंगल मॉल्ट. ग्लेनलिवे (Glenlivet), ग्लेनफ़िडी (Glenfiddich), मकालन (Macallan) जैसे स्कॉटिश ब्रैंड्स आपको अपने नज़दीकी ठेकों पर मिल जाएंगे.

आसां नहीं है सिंगल मॉल्ट होना. 

वैसे जिसे हम यहां सिंगल मॉल्ट कहते-समझते हैं, वो स्कॉटलैंड वाली है. मगर दुनिया में केवल स्कॉटलैंड में सिंगल मॉल्ट नहीं बनती. भारत और जापान जैसे देशों में भी बनती है. और, यहां के नियम-क़ायदे अलग हो सकते हैं. इंद्री (Indri) भारत का ब्रैंड है, जिसे पिछले साल सम्मानित भी किया गया था. वो भी नज़दीक ही मिल जाएगा. 

विस्की किसकी-किसकी?

जाते-जाते आ जाते हैं विस्की में अलग-अलग प्रकारों पर.

ब्लेंडेड स्कॉच: स्कॉच माने जो स्कॉटलैंड में बने. यूके में. विस्की का सबसे लोकप्रिय टाइप. अलग-अलग डिस्टलरी और बैरल के मिश्रण से बनती है ब्लेंडेड स्कॉच. जैसे, शिवास रीगल, ब्लैक लेबल, वाइट लेबल. ये सब ब्लेंडेड स्कॉच है.

बर्बन: अमेरिका में बनने वाली विस्की. कम से कम 51% मकई से बनाई जाती है और नए रोस्टेड ओक बैरल में रखी जाती है. इससे इसमें वैनिला और कारमेल के नोट्स मिलते हैं. मसलन, जिम बीम और जैक डैनियल्स.

आयरिश विस्की: आयरलैंड में बनती है. मॉल्टेड और अन-मॉल्टेड जौ के मिश्रण से बनती है और पारंपरिक रूप से तीन बार डिस्टिल की जाती है. हल्के स्वाद वालों की पसंद. उदाहरण: जेम्सन, मिडलटन, आदि.

चूंकि सिंगल मॉल्ट बताया, तो डबल बैरल भी बता ही देते हैं. डबल बैरल माने वो विस्की, जिसे एक बैरल में रखा गया हो, फिर और एजिंग के लिए दूसरे बैरल में ट्रांसफ़र कर दिया जाए. दूसरा बैरल अक्सर नया या इस्तेमाल किया हुआ कुछ भी हो सकता है.

बहुत भई विस्की पुराण. सिंगल मॉल्ट महंगी है, सो समय के साथ स्टेटस सिंबल बन गई है. इसीलिए इतने चौड़ में रहती है. शराब का एक ही काम - माथा हिलाना. इसीलिए अगर पीएं, तो संभाल कर.

वीडियो: सेहत: अचानक शराब छोड़ने पर होता क्या होता है? किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

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