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सुबह जिसकी खबर छापी, दोपहर को उसने कार से पत्रकार को मारी टक्कर, मौत हो गई

आरोपी की फोटो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के साथ एक बैनर पर थी, उसी को लेकर पत्रकार ने खबर छापी थी.

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पत्रकार शशिकांत वारिशे (फोटो- आज तक)

महाराष्ट्र में पत्रकार शशिकांत वारिशे की मौत (Shashikant Warishe death) का मामला गरमाता जा रहा है. रत्नागिरी जिले में 7 फरवरी को एक सड़क हादसे में घायल होने के बाद शशिकांत की मौत हुई. हालांकि पत्रकार संगठन और कई अन्य लोग इसे 'हत्या' बता रहे हैं. शशिकांत वारिशे 'महानगरी टाइम्स' अखबार के लिए काम कर रहे थे. 6 फरवरी को एक थार कार से टक्कर के बाद शशिकांत बुरी तरह घायल हुए थे और 7 फरवरी को अस्पताल में उनकी मौत हुई थी. बताया जा रहा है कि थार का ड्राइवर वही व्यक्ति था जिसके खिलाफ 6 फरवरी को शशिकांत ने खबर लिखी थी.

थार चला रहे व्यक्ति का नाम पंढरीनाथ आंबेरकर है. रत्नागिरी पुलिस ने उसे संदिग्ध आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया. बाद में उसे 7 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया. आंबरेकर के खिलाफ पहले IPC की धारा-304 (गैर-इरादतन हत्या) का केस दर्ज हुआ. बाद में पुलिस ने धारा-320 (हत्या) का मामला भी जोड़ दिया. 

मीडिया संगठनों ने दावा किया है कि आंबेरकर एक जमीन कारोबारी है. उसने जानबूझकर शशिकांत को टक्कर मारी. रिफाइनरी का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों को धमकाने के आरोप में आंबेरकर के खिलाफ पहले से एक केस दर्ज है.

पीएम के साथ छपी फोटो पर स्टोरी

48 साल के शशिकांत कोंकण में बनने वाले रिफाइनरी से जुड़े मुद्दों पर लगातार स्टोरी कर रहे थे. इस रिफाइनरी परियोजना का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं.

आज तक से जुड़े राकेश गुडेकर की रिपोर्ट के मुताबिक, 6 फरवरी को शशिकांत ने एक रिपोर्ट लिखी थी. इसका शीर्षक था- “बैनर पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के साथ गंभीर अपराध में आरोपी की फोटो, रिफाइनरी विरोधी किसानों का आरोप”. इसमें अपराध का आरोपी पंढरीनाथ आंबेरकर को बताया गया था. उसी दिन दोपहर करीब सवा एक बजे राजापुर इलाके में शशिकांत वारिस को टक्कर मारी गई. उन्हें इलाज के लिए कोल्हापुर रेफर किया गया लेकिन 7 फरवरी की सुबह उनकी मौत हो गई.

'कोंकण रिफाइनरी विरोधी संघर्ष समिति' ने इसे हत्या बताया है. समिति के अध्यक्ष अशोक वालम का आरोप है कि पत्रकार वारिशे की मौत कोई हादसा नहीं बल्कि 'सुनियोजित हत्या' है. उन्होंने प्रशासन से विस्तृत जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की है. वालम का कहना है, 

"वारिश द्वारा समाचार पोस्ट करने के ठीक 4 से 5 घंटे बाद यह दुर्घटना हुई. पंढरीनाथ अंबरेकर की कार ने टक्कर मारी है, जिसके बारे में खबर थी. इसलिए यह एक सोची-समझी साजिश है. पत्रकार शशिकांत लगातार रिफाइनरी विरोध की खबरों को छाप रहे थे." 

कई मराठी पत्रकार संगठनों ने भी इस मौत पर सवाल उठाया है. अखिल भारतीय मराठी पत्रकार परिषद के किरण नाइक ने राज्य के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और जांच कराने की मांग की है. शिवसेना ने भी इसे हत्या का मामला बताया है. शिवसेना ने कहा है कि वह इस मुद्दे को संसद में उठाएगी.

वीडियो: दुनियादारी: दुनियाभर में पत्रकारों का सबसे अधिक दमन किस देश में होता है? कौन सा देश सबसे क्रूर?