भारत में रोजगार की स्थिति पर एक इंटरनेशनल रिपोर्ट सामने आई है. कहा गया है कि देश में कम पढ़े लिखे युवाओं की तुलना में हायर एजुकेशन वाले युवाओं के बेरोजगार रहने की ज्यादा संभावना है. यानी उन युवाओं को रोजगार मिलने के ज्यादा चांसेज हैं जो कभी स्कूल तक नहीं गए. रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (International Labour Organization) ने जारी की है. दावे के सपोर्ट में आंकड़ें भी पेश किए गए हैं.
कम पढ़े लिखे युवाओं की टेंशन ये रिपोर्ट दूर कर देगी? भारत में बेरोजगारी पर बड़ी बातें बता दीं
ILO के आंकड़े बताते हैं कि पढ़े-लिखे Unemployed युवाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 76.7 फीसदी है. जबकि पुरुषों की संख्या 62.2 फीसदी है. और रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया है?

रिपोर्ट के हिसाब से भारत में ग्रेजुएट युवाओं की बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है. 29.1 फीसदी. जो युवा पढ़-लिख नहीं सकते, उनकी बेरोजगारी दर 3.4 फीसदी है. इधर, सैकेंडरी या हाय एजुकेशन वाले युवाओं के लिए बेरोजगारी दर 18.4 फीसदी निकली.
International Labour Organization का कहना है कि भारत में युवा बेरोजगारी दर अब वैश्विक स्तर से ज्यादा हो गई है. कहा गया,
ILO की रिपोर्ट में और क्या-क्या निकला?भारतीय अर्थव्यवस्था नए शिक्षित युवाओं के लिए गैर-कृषि क्षेत्रों में पर्याप्त नौकरियां पैदा करने में सक्षम नहीं है. इसी के चलते बेरोजगारी दर बढ़ती जा रही है.
-साल 2000 में 15-29 साल के बेरोजगार भारतीयों की कुल हिस्सेदारी 88.6 फीसदी थी. 2022 में ये गिरकर 82.9% हो गई.
-शिक्षित बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी साल 2000 मे 54.2 फीसदी थी. 2022 में ये बढ़कर 65.7 फीसदी हो गई.
-आंकड़े बताते हैं कि पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 76.7 फीसदी है. जबकि पुरुषों की संख्या 62.2 फीसदी है.
-ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी ज्यादा है.
-वयस्कों के मुकाबले युवाओं में बेरोजगारी ज्यादा है.
ये भी पढ़ें- भारत में बेरोजगारी पर बड़ी रिपोर्ट आई है, पढ़े-लिखे युवाओं की हालत पता चली
-भारत में महिला लेबर फोर्स भागीदारी दर दुनिया में सबसे कम है. लगभग 25 फीसदी.
ILO ने कहा है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के चलते कर्मचारियों और सेल्फ इप्लॉयड लोगों के बीच का अंतर साफ नहीं हो पा रहा है और इससे नई चुनौतियां भी पैदा हो रही हैं.