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सलमान खान दिमाग से जुड़ी जिन 3 बड़ी बीमारियों से जूझ रहे, उनके बारे में जानते हैं आप?

सलमान खान पिछले दिनों ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ के तीसरे सीज़न में गेस्ट बनकर आए थे. यहां उन्होंने बताया कि वो ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया, ब्रेन एन्यूरिज़्म और एवी मॉलफॉर्मेशन नाम की बीमारियों से जूझ रहे हैं.

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बॉलीवुड एक्टर सलमान खान

कॉमेडी स्टार कपिल शर्मा का ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ अपने तीसरे सीज़न के साथ नेटफ्लिक्स पर लौट आया है. शो का पहला एपिसोड 21 जून यानी शनिवार को ऑन एयर हुआ. पहले एपिसोड में मेहमान बनकर आए बॉलीवुड एक्टर सलमान खान. शो पर उन्होंने अपने कई किस्से सुनाए. अपनी सेहत के बारे में भी खुलकर बात की.

बातचीत के दौरान सलमान ने बताया कि वो कुछ बीमारियों से जूझ रहे हैं. ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया. ब्रेन एन्यूरिज़्म और एवी मॉलफॉर्मेशन. ये सुनकर सलमान खान के फैंस काफ़ी चिंतित हैं. देखने में तो सलमान एकदम हेल्दी लगते हैं. सब जानना चाहते हैं कि सलमान आखिर जिन दिक्कतों से जूझ रहे हैं, वो हैं क्या.

सबसे पहले बात ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया की. सलमान खान की इस समस्या पर हम पहले ही बात कर चुके हैं. इसके लिए आप ये स्टोरी यहां पढ़ सकते हैं. 

आज आपको बताएंगे क्या है ब्रेन एन्यूरिज़्म और एवी मॉलफॉर्मेशन, जिससे सलमान जूझ रहे हैं. इनके बारे में हमें बताया सर एच.एन. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल, मुंबई के न्यूरोइंटरवेंशनल सर्जरी डिपार्टमेंट में डायरेक्टर डॉक्टर विपुल गुप्ता ने.

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डॉ.विपुल गुप्ता, डायरेक्टर, न्यूरोइंटरवेंशनल सर्जरी, सर एच.एन. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल, मुंबई

डॉक्टर विपुल बताते हैं कि ब्रेन एन्यूरिज़्म और एवी मॉलफॉर्मेशन दोनों ही दिमाग से जुड़ी बीमारियां हैं. पहले बात ब्रेन एन्यूरिज़्म की.

जब दिमाग में मौजूद किसी खून की नली में कोई उभार आ जाए. या किसी जगह पर वो गुब्बारे की तरह फूल जाए. तो इस फूले हिस्से को ब्रेन एन्यूरिज़्म कहते हैं. ऐसा तब होता है, जब खून की नली किसी ख़ास जगह पर कमज़ोर हो जाती है. और उस कमज़ोर हिस्से पर बार-बार खून का दबाव पड़ता है. नतीजा? वो कमज़ोर हिस्सा फूलकर गुब्बारे जैसा बन जाता है. अब अगर ये फट जाए तो दिमाग में इंटर्नल ब्लीडिंग होने लगती है. ये एक जानलेवा कंडीशन है.

ज़्यादातर ब्रेन एन्यूरिज़्म सीरियस नहीं होते. खासकर अगर वो छोटे हैं. अक्सर लोगों को दूसरी बीमारी का टेस्ट कराते वक्त इनका पता चलता है. आमतौर पर ये बिना किसी लक्षण के ब्रेन में बनते रहते हैं. मगर दिक्कत तब होती है, जब ये फट जाता है. ऐसा होने पर अचानक और बहुत तेज़ सिरदर्द होता है. व्यक्ति को धुंधला दिखना शुरू हो जाता है. उबकाई और उल्टी आने लगती है. गर्दन में अकड़न होती है. व्यक्ति बेहोश तक होने लगता है.

इसका रिस्क उन्हें ज़्यादा होता है, जो 40 पार कर चुके हैं. जिनके घर में ब्रेन एन्यूरिज़्म की फैमिली हिस्ट्री रही है. उस पर, अगर व्यक्ति का बीपी हाई रहता है. वो स्मोकिंग करता है. उसकी लाइफस्टाइल खराब है, तो ब्रेन एन्यूरिज़्म होने का रिस्क और ज़्यादा बढ़ जाता है.

इससे बचने के लिए ज़रूरी है कि हाई बीपी को कंट्रोल किया जाए. अच्छी नींद लें. रोज़ एक्सरसाइज़ करें. स्मोकिंग छोड़ दें. कुल मिलाकर, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. अगर इसकी फैमिली हिस्ट्री है तो समय-समय पर टेस्ट कराते रहें. सीटी स्कैन, एमआरआई एंजियोग्राफी से ब्रेन एन्यूरिज़्म की जांच हो सकती है. अगर टाइम पर इसका पता चल जाए, तो सर्जिकल क्लिपिंग या एंडोवस्कुलर कॉइलिंग के ज़रिए इसे ठीक किया जा सकता है.  

सर्जिकल क्लिपिंग में ब्रेन एन्यूरिज़्म के एक सिरे पर मेटल क्लिप लगा दिया जाता है. जिससे उसमें होने वाला खून का बहाव रुक जाता है. वहीं, एंडोवस्कुलर कॉइलिंग में कैथेटर नाम के ट्यूब से एन्यूरिज़्म के अंदर कॉइल डालकर उसे भर दिया जाता है. ताकि उसमें खून का बहाव रुक जाए.

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एवी मॉलफॉर्मेशन में आर्टरीज़ और वेन्स यानी धमनियां और शिराएं सीधे जुड़ जाती हैं

अब बात एवी मॉलफॉर्मेशन की.

इसका पूरा नाम है- आट्रियोवीनस मॉलफॉर्मेशन. इसमें आर्टरीज़ और वेन्स यानी धमनियां और शिराएं सीधे जुड़ जाती हैं. बिना कैपिलरीज़ यानी कोशिकाओं के. इससे शरीर में खून के बहाव पर असर पड़ता है. कैपिलरीज़ न होने से शरीर के टिशूज़ को पर्याप्त ऑक्सीज़न नहीं मिलता.

देखिए, हमारा दिल खून को पंप करता है. ऑक्सीज़न से भरा ये खून आर्टरीज़ के ज़रिए शरीर के अंगों तक जाता है. आर्टरीज़ आगे चलकर कैपिलरीज़ यानी कोशिकाओं में बंट जाती हैं. ये बहुत ही पतली होती हैं. इन्हीं के ज़रिए शरीर के सेल्स तक ऑक्सीज़न पहुंचती है और कार्बन डाईऑक्साइड वापस आती है. फिर ये ‘बिना ऑक्सीज़न वाला खून’ वेन्स  के ज़रिए वापस दिल तक आता है. यहां से ये फेफड़ों में भेजा जाता है और वहां से ऑक्सीज़न लेकर ये वापस दिल में आता है. और, पूरा प्रोसेस फिर से शुरू हो जाता है.

मगर एवी मॉलफॉर्मेशन में कैपिलरीज़ वाला हिस्सा ही नहीं होता. यानी आर्टरीज़, कैपिलरीज़ में न बंटकर सीधे वेन्स से जुड़ जाती हैं. नतीजा? सेल्स तक ऑक्सीज़न का ट्रांसफर ठीक से नहीं होता. साथ ही, जो खून की नलियां उलझी हुई हैं, वो कमज़ोर होकर फट सकती हैं. ऐसा होने पर दिमाग में खून बह सकता है. जिससे स्ट्रोक आ सकता है और दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.

अब एवी मॉलफॉर्मेशन क्यों होता है, इसका कोई सटीक कारण नहीं है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसा जेनेटिक वजहों से हो सकता है. एवी मॉलफॉर्मेशन का तभी पता चलता है, जब मरीज़ किसी और बीमारी का टेस्ट कराने जाता है. आमतौर पर, इसके लक्षण नहीं दिखते. वो तभी दिखते हैं, जब दिमाग में ब्लीडिंग होती है. ऐसा होने पर भयानक सिरदर्द होता है. दौरे पड़ते हैं. बोलने या देखने में दिक्कत आती है. और सोचने-समझने में परेशानी आने लगती है.

एवी मॉलफॉर्मेशन की जांच के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई या सेरेब्रल एंजियोग्राफी की जाती है. अगर जांच में एवी मॉलफॉर्मेशन का पता चलता है, तो उसकी लोकेशन और साइज़ को देखते हुए सर्जरी की जाती है. जब सर्जरी करना मुमकिन नहीं होता, तो एंडोवस्कुलर एम्बोलाइज़ेशन या स्टेरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी की जा सकती है. एंडोवस्कुलर एम्बोलाइज़ेशन में एक पतली ट्यूब नसों के ज़रिए एवी मॉलफॉर्मेशन तक पहुंचाई जाती है. फिर उसमें एक खास तरह का लिक्विड या गोंद डाला जाता है, जिससे उस जगह खून का फ्लो रुक जाता है. इससे एवी मॉलफॉर्मेशन धीरे-धीरे खत्म होने लगता है. वहीं, स्टेरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी में तेज़ रेडिएशन से एवी मॉलफॉर्मेशन को धीरे-धीरे सिकोड़ दिया जाता है, ताकि खून का बहना बंद हो जाए. 

तो सलमान खान के फैंस परेशान न हों, उनका इलाज चल रहा है. घबराने की कोई बात नहीं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप' आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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