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सरकार ने माना- केंद्रीय विश्वविद्यालयों, IIT और IIM में 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली

साल-दर-साल खाली पदों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है

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फोटो क्रेडिट- आजतक
2014 में बीजेपी ने अपने 50 पेज के मेनिफेस्टो में शिक्षा पर दो पेज के वादे किए थे. इन दो पन्नों में हायर एजुकेशन यानी उच्च शिक्षा पर कुल 9 वादे किए गए थे. इसमें एक वादा था- 'वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा और नियुक्ति के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड होगा.' एक वादा और किया गया था- 'शिक्षा और अनुसंधान के स्तर में सुधार करेंगे, ताकि भारतीय विश्वविद्यालय शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों के स्तर के बन सकें और वैश्विक लीग में अपना स्थान पा सकें.'
7 साल बीत चुके हैं और जनता बीजेपी को दूसरी बार पूर्ण बहुमत का मैनडेट दे चुकी है. लेकिन भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक लीग में शामिल करने के लिए सरकार शायद इतना सीरियस हो गई है कि योग्यता का ऐसा पैमाना सेट कर दिया है, जिसमें कोई खरा ही नहीं उतर पा रहा. क्योंकि संसद में सरकार ने जो जानकारी दी है, उसने देश की हायर स्टडीज़ में पनप रहे खोखलेपन को बेपर्दा कर दिया है. 15 दिसंबर को राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय ने बताया है कि देश के विश्वविद्यालयों, IIT और IIM में शिक्षकों के 10 हजार से ज्यादा पद खाली हैं.
Central University
संसद में सरकार द्वारा दिया गया जवाब.
कहां कितने पद खाली? सरकार ने बताया है कि केंद्रीय विश्वविद्यायों में 6535, IIT में 3876 और IIM में 403 टीचिंग पोस्ट खाली हैं. ये देश के वो संस्थान हैं, जहां लोग पढ़ने का सपना देखते हैं. ये देश के वो संस्थान हैं, जहां से पढ़कर लोग आज सरकार के अलग-अलग विभागों में सचिव के पद पर कार्यरत हैं. साथ ही ये देश के वो संस्थान भी हैं, जहां से निकलकर विश्व की बड़ी बड़ी कंपनियों में लोग CEO की पोस्ट तक पहुंचते हैं.
इन खाली पदों में कैटेगरी वाइज़ बात करें तो सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में OBC के 1560 पद, SC के 1052 पद, जबकि ST के 499 पद खाली हैं. IIT संस्थानों में OBC के 462 पद, SC के 183 पद, जबकि ST के 32 पद खाली हैं. अगर IIMs की बात करें, तो इनमें OBC के 45 पद, SC के 27 पद जबकि ST के 5 पद खाली हैं. टीचिंग स्टाफ में प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर शामिल हैं.
Central University Sc St
कैटेगरी के आधार पर खाली पदों का ब्योरा.

बीते साढे़ सात सालों में मोदी सरकार ने शिक्षा मंत्री तो कई दफा बदले ही, मंत्रालय का नाम भी बदला गया. लेकिन शिक्षा संस्थानों की स्थिति जस की तस रही. स्मृति ईरानी के बाद प्रकाश जावडेकर, जावडेकर के बाद रमेश पोखरियाल, पोखरियाल के बाद अब धर्मेंद्र प्रधान शिक्षा मंत्री हैं. लेकिन बीते सालों में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में क्या बदला, ये भी जान लीजिए..
साल 2018 में 5606, 2019 में 6719, 2020 में 6210 और 2021 में 6136 शैक्षिक यानी टीचिंग स्टाफ के पद केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली रहे. ये पिछले तीन-चार सालों का आंकड़ा है, जो केंद्र सरकार की ओर से देश की संसद में बताया गया है. इसे योग्यता का सख्त पैमाना समझा जाए या उच्च शिक्षा को लेकर सरकार का सुस्त रवैया. क्योंकि साल-दर-साल सरकार संसद में सिर्फ खाली पदों की बढ़ती संख्या की जानकारी देती और उन्हें भरने का आश्वासन देती ही नजर आती है.
लेकिन बात अगर योग्यता के पैमाने की है, तो सवाल ये उठता है कि इन विश्वविद्यालयों में नॉन टीचिंग स्टाफ्स के इतने पद फिर क्यों खाली हैं? 8 दिसंबर को संसद में शिक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़, IIT और IIM में नॉन टीचिंग स्टाफ के साढे़ 18 हजार से ज्यादा पद खाली हैं. और हर बार की तरह सरकार की तरफ से ये आश्वासन भी दिया गया कि एक साल के भीतर इन सभी पदों पर नियुक्ति कर दी जाएगी.

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