एक 57 साल की महिला का लिवर हल्दी की ज़्यादा खुराक के चलते डैमेज होने के कगार पर आ गया. फिलहाल महिला का अस्पताल में इलाज चल रहा है. महिला ने बताया है कि उसने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो देखा था जिसमें एक डॉक्टर ने सूजन और जोड़ों के दर्द से राहत के लिए हल्दी की गोलियां लेने की सलाह दी थी. जिसके बाद उसने भी रोजाना हल्दी की गोलियां लेनी शुरू कर दीं.
रील में डॉक्टर की बात सुन खाने लगी हल्दी, महिला का लिवर फेल होने की कगार पर पहुंच गया, ऐसे बची
जांच में पता चला कि महिला में लिवर एंजाइम का स्तर सामान्य से 60 गुना ज़्यादा पहुंच गया है. डॉक्टरों का कहना है कि ये बहुत गंभीर चीज़ थी. लिवर फेल होने ही वाला था.

अमेरिका में रहने वाली केटी मोहन नाम की ये महिला NBC न्यूज़ से बातचीत में कहती हैं,
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है. मैंने ये भी देखा कि रोजाना ख़ूब पानी पीने के बावजूद, मेरा पेशाब गहरे रंग का हो रहा था. शुरुआत में मुझे लगा कि हल्दी की गोलियों का इससे कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन मैंने बाद में ख़बरें पढ़ीं. जिसमें इन गोलियों से लिवर को होने वाले नुक़सान के बारे में बताया गया था.
बाद में इलाज के लिए महिला को न्यू जर्सी शहर में ले जाया गया. जहां पता चला कि महिला में लिवर एंजाइम का स्तर सामान्य से 60 गुना ज़्यादा है. डॉक्टरों का कहना है कि ये बहुत गंभीर चीज़ थी. अगर कुछ दिन और ऐसा रहता तो लिवर फेल होने की स्थिति आ जाती. फिलहाल न्यूयॉर्क शहर के एक अस्पताल में केटी मोहन का इलाज चल रहा है.
बता दें, लिवर एंजाइम, लिवर में पाए जाने वाले प्रोटीन होते हैं, जो केमिकल रिएक्शंस को तेज करने में मदद करते हैं. लेकिन ये बहुत ज़्यादा होने पर नुकसान भी करते हैं.
हल्दी कितनी सही?हल्दी कच्चे रूप में अपने भोजन में मिलाने पर सुरक्षित है. बताया जाता है कि एक व्यक्ति के लिए एक दिन में इसकी मात्रा डेढ़ से तीन ग्राम से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. जो कि लगभग आधा से एक चम्मच के बराबर है.
वहीं, एक सामान्य वयस्क के लिए हर दिन 500 से 2000 मिलीग्राम ‘करक्यूमिन’ सप्लीमेंट सुरक्षित माना जाता है. करक्यूमिन एक कंपाउंड होता है, जो हल्दी को उसका रंग देता है. हल्दी के कैप्सूल या गोली में करक्यूमिन की मात्रा ज़्यादा होती है. इसलिए पिसी हुई हल्दी की तुलना में इनका ज़्यादा असर होता है.

डॉ. पुनीत सिंगला इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हल्दी की मात्रा को लेकर सचेत करते हैं. वो फरीदाबाद के मारेंगो एशिया हॉस्पिटल्स में इंस्टीट्यूट ऑफ़ लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी सर्जरी के प्रोग्राम क्लिनिकल डायरेक्टर हैं. डॉ. पुनीत कहते हैं,
अगर हल्दी ज़्यादा मात्रा में ली जाए, तो ये लिवर पर असर डाल सकती है. हर व्यक्ति की पाचन शक्ति अलग होती है. कुछ लोगों की क्षमता ज़्यादा हो सकती है. लेकिन फिर भी ज़्यादा हल्दी लेना स्वास्थ्य के लिए ख़तरा बन सकता है.
WHO से जुड़ी एक संस्था के मुताबिक़, अलग-अलग चीज़ों के सप्लीमेंट से होने वाले लिवर के नुकसान के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. 2004 से अब तक 1,800 से ज़्यादा लिवर के मरीज़ों का रजिस्ट्रेशन किया गया. जिनमें से 19% मामले सप्लीमेंट से जुड़े हैं.
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