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राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के 'पिटने' का सच ये है

सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में गुलाबचंद कटारिया के साथ मारपीट होती दिख रही है.

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राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया. दाएं उनके साथ हुई मारपीट के वीडियो से स्क्रीनग्रैब. ये वीडियो वायरल हो गया है.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो खूब शेयर हो रहा है. इसमें राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के साथ एक भीड़ मार-पीट करती नज़र आती है. उनकी गाड़ियां भी तोड़ दी जाती हैं. और बाद में कटारिया अपने लहुलुहान साथियों के साथ मरहम पट्टी कराते नज़र आते हैं. यहीं पुलिस भी शुरुआती पूछताछ करती नज़र आती है.
इस वीडियो को यह कहकर शेयर किया जा रहा है कि राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया 8 मार्च, 2018 को बीकानेर में पिट गए. इस वीडियो को राजस्थान में भाजपा सरकार के खिलाफ पनपते गुस्से का नतीजा बताया जा रहा है.
तो क्या सच में हुआ कि देश के सबसे बड़े राज्य का गृहमंत्री एक भीड़ के द्वारा इस कदर बदसलूकी का शिकार हुआ? अगर हां, तो इतनी गंभीर घटना घटी कैसे? और क्यों? लल्लनटॉप आपको इन्हीं सब सवालों के जवाब बताएगा.
वीडियो में गुलाबचंद कटारिया की गाड़ियों में तोड़फोड़ भी दर्ज है.
वीडियो में गुलाबचंद कटारिया की गाड़ियों में तोड़फोड़ भी दर्ज है.

कटारिया पिटे थे, लेकिन गृहमंत्री कटारिया नहीं
ये कुछ-कुछ 'नर नहीं, कुंजर' वाला मामला है. जी हां. वर्डप्ले नहीं है. सच में ऐसा ही हुआ था. वीडियो झूठा नहीं है. वीडियो में नज़र आ रहा शख्स कटारिया ही हैं. और उनके साथ पिटाई की घटना वाकई हुई थी. लेकिन 8 मार्च को नहीं. इस तारीख से तकरीबन साढ़े चौदह साल पहले. ये वाकया जानने के लिए हमने बीकानेर में इंडिया टुडे के पत्रकार रौनक से बात की. साथ ही हमने लंबे समय से राजस्थान में पत्रकारिता कर रहे एक वरिष्ठ पत्रकार से भी बात की. उन्होंने जो बताया, वो यूं था -
2003 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और गुलाब चंद कटारिया नेता प्रतिपक्ष होते थे. इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के अलावा एक और पार्टी लड़ी थी - सामाजिक न्याय मंच. इसे बनाने वालों में थे आज की करणी सेना चलाने वाले लोकेंद्र सिंह कालवी जैसे नेता. इसके अध्यक्ष थे बीकानेर की कोलायत सीट से पांच बार के भाजपा विधायक देवी सिंह भाटी, जो भाजपा से बागी हो गए थे. देवी सिंह भाटी राजपूतों के लिए आरक्षण मांग रहे थे और उनका मानना था कि भाजपा इस मांग के प्रति गंभीर नहीं है.
देवी सिंह भाटी पांच बार के भाजपा विधायक थे जब उन्होंने राजपूत आरक्षण की मांग के लिए पार्टी छोड़ दी थी.
देवी सिंह भाटी पांच बार के भाजपा विधायक थे जब उन्होंने राजपूत आरक्षण की मांग के लिए पार्टी छोड़ दी थी.

सितंबर 18, 2003 के रोज़ भाजपा की एक टीम कोलायत के एक सरकारी अस्पताल में स्पॉट स्टडी कार्यक्रम के लिए पहुंची. ये भाजपा की प्रचार रणनीति का हिस्सा था. इस टीम में भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा गुलाबचंद काटारिया और गोपाल गहलोत थे. गोपाल गहलोत तब कोलायत से भाजपा कैंडिडेट थे. फिलहाल वो कांग्रेस में हैं.
जब ये टीम कोलायत के अस्पताल पहुंची तो उसका सामना सामाजिक न्याय मंच के कार्यकर्ताओं से हो गया. इनमें भिड़ंत हो गई. भाजपा कार्यकर्ता कम संख्या में थे तो ज़्यादा चोटें उन्हें पहुंचीं, उनकी गाड़ियां भी तोड़ दी गई थीं.
कोलायत में हुई मारपीट के दौरान भीड़ देवी सिंह भाटी ज़िंदाबाद के नारे लगा रही थी.
कोलायत में हुई मारपीट के दौरान भीड़ देवी सिंह भाटी ज़िंदाबाद के नारे लगा रही थी.

ये कहा गया कि ये पिटाई करने वाले आदमी देवी सिंह भाटी के समर्थक थे. वीडियो में देवी सिंह भाटी ज़िंदाबाद के नारे सुनाई भी आ रहे हैं. जब वाकये में सामाजिक न्याय मंच का नाम सामने आया तो लोकेंद्र सिंह कालवी ने इस सब से पल्ला झाड़ते हुए कह दिया था कि ये भाजपा की अंदरूनी कलह का नतीजा है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बयान जारी कर के कहा था कि वो अपने राज्य में इस तरह की हिंसा नहीं होने देंगे लेकिन तब की भाजपा अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने सीधे गहलोत को ही इस हमले के लिए ज़िम्मेदार बता दिया था.
लोकेंद्र सिंह कालवी के सामाजिक न्याय मंच ने इस घटना से पल्ला झाड़ लिया था.
लोकेंद्र सिंह कालवी के सामाजिक न्याय मंच ने इस घटना से पल्ला झाड़ लिया था.

जीत कर हार गए थे देवी सिंह भाटी
हालांकि इस कांड का कोई फायदा सामजिक न्याय मंच को नहीं मिला. उनके 65 में से 60 प्रत्याशियों की ज़मानत ज़ब्त हो गई. बस एक देवी सिंह भाटी जीत पाए. लेकिन वो पिटाई वाली घटना से ज़्यादा उनकी इलाके पर पकड़ का नतीजा थी जो उन्होंने बतौर भाजपा विधायक बनाई थी. उस साल चुनाव में भाजपा जीती थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बन गई थीं.
लेकिन ये तब की बात है. 2018 में ऐसा कुछ नहीं हुआ. दी लल्लनटॉप को बीकानेर के स्थानीय पत्रकारों ने ये भी बताया कि 8 मार्च को कटारिया बीकानेर में थे ही नहीं. तो दोस्तों, कटारिया जी की पिटाई का वीडियो वसुंधरा सरकार के प्रति नाराज़गी का नतीजा नहीं है.
गुलाब सिंह कटारिया गृहमंत्री हैं, संगीनों के साये में रहते हैं. उन्हें पीट देना आसान बात नहीं है.
गुलाब सिंह कटारिया गृहमंत्री हैं, संगीनों के साये में रहते हैं. उन्हें पीट देना आसान बात नहीं है.

अब एक काम की बात
जाते-जाते एक बात और. लाख हम सभ्यता का हवाला दे दें, लेकिन जब कहीं से एक मंत्री के भीड़ से पिटने की खबर आती है, हमें मन ही मन एक अजीबोगरीब खुशी-सी होती है, जैसे कोई बदला पूरा हो गया हो. ये सरासर लंपटता है. ऐसा कोई भी व्यक्ति जो इस तरह भीड़ का शिकार बनता है, वो पहले एक विक्टिम है, चाहे आपकी नज़र में उसने कितना ही बड़ा गुनाह किया हो. क्योंकि ये मारपीट कब लिंचिंग में बदल जाती है, इसका कोई हिसाब नहीं है. तब बात अदालतों से परे चली जाती है जब किसी कि जान सिर्फ इसलिए चली जाती है कि एक भीड़ बेकाबू हो गई. ऐसी चीज़ों का हिस्सा न बनें, न उनमें रस लें.


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