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गुजरात में घोड़ी चढ़ने पर मारे गए दलित की कहानी पुलिस ने कुछ और बताई है

एसपी ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस की है.

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अपने घोड़े के साथ प्रदीप. प्रदीप के पिता कहते हैं कि उसकी मौत की वजह यही घोड़ा रहा.
29 मार्च की शाम को गुजरात के भावनगर ज़िले में पड़ने वाले तिंबी गांव में एक 21 साल के प्रदीप को जान से मार दिया गया. प्रदीप के पास एक घोड़ी थी और वो बड़े शौक से उसकी सवारी करता है. लड़के के पिता ने पुलिस से शिकायत में कहा कि गांव में अगड़ी जातियों के लोगों को ये बात पसंद नहीं थी कि प्रदीप एक दलित होकर घोड़ी चढ़ता था. इसीलिए उसे मार दिया गया. पुलिस ने मामला दर्ज किया. लेकिन मामला सामने आने के बाद से ही इस तरह की खबरें थीं कि प्रदीप की हत्या की वजह घोड़ी चढ़ना नहीं, कुछ और है. अब भावनगर पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसी दूसरी वजह वाली थ्योरी को पुष्ट किया है.
भावनगर के एसपी प्रवीण माल ने 13 मई को मीडिया के सामने मुन्ना थलीशा को पेश किया. माल के मुताबिक अहमदाबाद के रहने वाले मुन्ना ने ही प्रदीप की हत्या की थी. क्योंकि प्रदीप मुन्ना की पत्नी को छेड़ता था. मुन्ना कोली समुदाय से आता है जो गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आता है. मुन्ना तिंबी के एक खेत में बंटईदार था. इस तरह प्रदीप के मामले में पुलिस ने दलितों के विरुद्ध जातीय हिंसा वाले एंगल को खारिज कर दिया है.
जिस औजार से बबूल काट रहा था, उसी से प्रदीप को काट दिया
पुलिस के मुताबिक प्रदीप मुन्ना की पत्नी को छेड़ता रहता था. 29 मार्च की शाम को मुन्ना अपने खेत में धारियू (हंसिए जैसा एक औजार होता है) से बबूल की डाल काट रहा था. तभी उसे सामने से घोड़ी पर प्रदीप आता नज़र आया. मुन्ना ने प्रदीप को रोक लिया और अपनी पत्नी के साथ हो रही छेड़खानी के बारे में पूछा. प्रदीप नहीं रुका. मुन्ना आड़े आया तो उसने घोड़ी हांकने वाली छड़ी से उसपर वार कर दिया. जवाब में मुन्ना ने प्रदीप पर धारियू से हमला कर दिया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. ये सब मुन्ना के झोंपड़े से बमुश्किल आधा किलोमीटर दूर हुआ था. इसके बाद मुन्ना सपरिवार पंडाना भाग गया था. पुलिस का कहना है कि मुन्ना की मोबाइल लोकेशन हत्या के वक्त वहीं थी जहां प्रदीप का शव मिला.
दलितों को किसी भी वजह के लिए मार दिया जाता है. कभी मूछ के लिए, तो घोड़ी के लिए तो कभी औरतों को छेड़ने के लिए.
दलितों को किसी भी वजह के लिए मार दिया जाता है. कभी मूछ के लिए, तो घोड़ी के लिए तो कभी औरतों को छेड़ने के लिए.

लेकिन पिता अपनी बात पर कायम हैं
पुलिस के मुताबिक मुन्ना ने अपराध कबूल कर लिया है. लेकिन प्रदीप के पिता कालू अपनी बात पर कायम हैं. वो कहते हैं कि उनका परिवार मुन्ना या उसकी बीवी को जानता ही नहीं था, तो छेड़खानी का सवाल ही नहीं आता. वो अब भी कह रहे हैं कि गांव में ही रहने वाले क्षत्रिय समाज के नातूभा दरबार ने प्रदीप को घोड़ी चढ़ने पर धमकाया था और इसी वजह से अगड़ी जाति के लोगों ने उसे मार डाला. कालू का दावा है कि मुन्ना गरीब है और इसीलिए उसे अगड़ी जातियां बलि का बकरा बनी रही हैं. ताकि वो सज़ा से बच सकें.
गुजरात और राजस्थान के कई इलाकों में घोड़ी की सवारी जातिय गुरूर से जोड़ा जाता है. इसीलिए यहां कोई दलित घोड़ी की सवारी करे, तो अगड़ी जातियां बुरा मान जाती हैं. दूल्हों तक पर हमले होते हैं. प्रदीप की हत्या की खबर आने के बाद पूरे देश के अखबारों में उसकी घोड़ी चढ़े तस्वीर छपी थी. पुलिस के खुलासे के बाद अब ये मामला पहले से ज़्यादा पेचीदा हो गया है.


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