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'मुझे कोविड हुआ और मेरी याददाश्त चली गई', हवाला के सवाल पर सत्येंद्र जैन ED से बोले

ED ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से सवाल-जवाब की कहानी कोर्ट में सुनाई

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सत्येंद्र जैन (फाइल फोटो- आजतक)

दिल्ली (Delhi) के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) को अभी कुछ दिन और जेल में रहना होगा. दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर फैसला 18 जून तक सुरक्षित रखा है. यानी तब तक सत्येंद्र जैन जेल में ही रहेंगे. लेकिन इस बीच एक हैरान करने वाली बात सामने आई है. आजतक की संवाददाता अनीषा माथुर की खबर के मुताबिक जांच एजेंसी ईडी (ED) ने कोर्ट में बताया कि पूछताछ के दौरान सत्येंद्र जैन ने कहा कि उन्हें कोविड हुआ था. जिस वजह से उनकी याददाश्त जा चुकी है.

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सत्येंद्र जैन ने किस सवाल के जवाब में कहा- याददाश्त चली गई

ईडी के मुताबिक सत्येंद्र जैन से कुछ कागजातों के बारे में सवाल किये जा रहे थे. उनसे पूछा जा रहा था कि हवाला से पैसा पाने वाले ट्रस्ट से उनका क्या कनेक्शन है, वे उसके मेंबर क्यों हैं? सत्येंद्र जैन से जब ये सवाल-जवाब चल रहा था, तभी उन्होंने कहा कि उनकी याददाश्त चली गई है.

बता दें कि 30 मई को ED मुख्यालय में 6 घंटे की पूछताछ के बाद सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ ये मामला पिछले 5 सालों से चल रहा है.

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सत्येंद्र जैन पर क्या आरोप हैं?

पिछले महीने ED ने कहा था कि उसने सत्येंद्र जैन से जुड़ी कंपनियों की 4.81 करोड़ की संपत्तियों को कुर्क किया था. ईडी के मुताबिक, 2015-16 के दौरान सत्येंद्र जैन से जुड़ी कंपनियों ने शेल कंपनियों के जरिये 4.81 करोड़ रुपये हासिल किए थे. उस वक्त जैन एक सरकारी अधिकारी थे. जिन कंपनियों का नाम सामने आया, उनमें अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफोसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.

सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस

सीबीआई ने अगस्त 2017 में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत जैन के खिलाफ FIR दर्ज की थी. इसके बाद ईडी ने जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. उसने बताया था कि सत्येंद्र जैन अपनी कंपनियों में निवेश हुए पैसे का स्रोत नहीं बता पाए. अब इसी सिलसिले में पीएमएलए के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया. ईडी ने संदेह जताया कि पैसे का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भी किया गया. जांच एजेंसी के मुताबिक 4.81 करोड़ रुपये का इस्तेमाल दिल्ली और आसपास के इलाकों में जमीन खरीदने या जमीन खरीद के लोन को चुकाने के लिए किया गया था.

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