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दिल्ली में मोमोज़ खाने से हुई मौत के बाद AIIMS ने इसके शौकीनों को क्या चेतावनी दी है?

एम्स ने मोमोज खाने के सही तरीके को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है

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मोमो कैसे खाएं डॉक्टर्स ने बताया (प्रतीकात्मक फोटो- आज तक)

कुछ दिन पहले दिल्ली में एक शख्स की मोमोज़ खाने से मौत हो गई थी. मामले की जांच के बाद भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की एक रिपोर्ट आई है. जो मोमोज के शौकीनों के लिए चेतावनी है. एम्स ने मोमो खाने के सही तरीके को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है.

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AIIMS ने क्या कहा?

मोमोज नेपाल का एक स्ट्रीट फ़ूड है, जो आजकल यंग इंडिया की पसंद बन चुका है. एम्स के फोरेंसिक डिपार्टमेंट के मुताबिक़ दिल्ली में जिस 50 साल उम्र के व्यक्ति की मोमोज खाने से मौत हुई थी. उसकी सांस की नली में एक मोमो फंस गया था. जिसने उसका दम घोंट दिया और न्यूरोजेनिक कार्डिएक अरेस्ट (Neurogenic cardiac arrest) की वजह से शख्स की मौत हो गई.

एम्स के विशेषज्ञों ने मोमोज खाने वालों को चेतावनी देते हुए एक एडवाइजरी जारी की. इस एडवाइजरी में कहा गया है,

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मोमोज चिकना और फिसलने वाला होता है. अगर एक व्यक्ति मोमोज को बिना ठीक से चबाए निगल लेता है तो उसका दम घुट सकता है. इस बात का मोमोज खाने वाले लोग हमेशा ख़याल रखें.

मोमोज से मरे व्यक्ति की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट

मरने वाले व्यक्ति की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ‘जर्नल ऑफ़ फोरेंसिक इमेजिंग’ में छपी है. इसमें लिखा है कि पोस्टमॉर्टम में पता चला है कि मरने वाले व्यक्ति के शरीर में कोई बाहरी तत्व मौजूद था. ये बाहरी तत्व वही मोमो है, जो उस व्यक्ति ने खाया था. ये मोमो सांस की नली में ऊपर की तरफ़ अटक गया और सांस रुकने के चलते व्यक्ति की मौत हो गई.

रिपोर्ट में आगे लिखा है,

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‘मृतक की वर्चुअल ऑटोप्सी से पता चला है कि बाहरी तत्व आकार में इतना बड़ा था कि ये ट्रैकिया से नहीं गुजर सका. और पोस्टीरियर हाइपोफैरिंक्स में अटक गया. जिसके चलते पूरा श्वसन तंत्र ब्लॉक हो गया.’

बता दें कि पोस्टीरियर हाइपोफैरिंक्स खाने और सांस लेने वाली नली को जोड़ने वाली ट्यूब का निचला हिस्सा होता है.

डॉक्टर क्या कहते हैं?

डॉक्टर तहसीन पेटीवाला ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए इसे आसान भाषा में कुछ यूं बताया कि सांस तब रुकती है जब खाने का कोई टुकड़ा या कोई भी और चीज सांस की नली में अटक जाती है. ऐसा तब होता है जब खाना आहार नली के बजाय सांस नली में चला जाए.  

ये पूछने पर कि क्या ऐसा सिर्फ मोमो खाने पर होता है, डॉक्टर पेटीवाला कहते हैं कि कुछ भी खाने के दौरान ऐसा हो सकता है, इसीलिए निगलने की बजाय खाने को चबाना जरूरी होता है.

खाना फंसने पर तुरंत क्या करें?

AIIMS की रिपोर्ट के मुताबिक़, खाने के बड़े टुकड़े की वजह से इस तरह अचानक मौत होना आम नहीं है. खाने की वजह से एस्फिक्सिया यानी दम घुटने पर 1 लाख में से सिर्फ 0.66 मौतें होती हैं. फिर भी कुछ बातें ध्यान रखने वाली हैं. जैसे खाना खाते वक़्त छोटे निवाले लेने चाहिए. सीधे बैठकर खाना चाहिए. बच्चों को लेकर भी थोड़ी सतर्कता रखना जरूरी है. फिर भी अगर कभी खाने की वजह से अचानक दम घुटने जैसी दिक्कत हो जाए तो क्या करना करें?

डॉक्टर पेटीवाला कहते हैं,

‘अगर खाने का कोई टुकड़ा फंस गया है और व्यक्ति तेजी से खांस रहा है, ऑक्सीजन सप्लाई ठीक है. चेहरा नीला नहीं पड़ रहा है. तो सबसे अच्छा यही है कि कुछ भी न किया जाए. उस व्यक्ति को पीने के लिए भी कुछ न दीजिए, क्योंकि सांस आने के लिए जरूरी जगह ये फ्लूड घेर सकता है. अगर वो व्यक्ति बोलकर जवाब दे पा रहा है तो ये मामूली अवरोध है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति ताकत लगाकर खांस रहा है और बोलकर जवाब नहीं दे पा रहा. सिर्फ सिर हिला पा रहा है तो उसकी सांस पूरी तरह रुकी हुई है और उसे इमरजेंसी मेडिकल हेल्प चाहिए है. ऐसे में एम्बुलेंस बुलाइए और जब तक मेडिकल हेल्प नहीं आती, तब तक हेमलिच मेन्युवर (Heimlich Maneuvre) नाम की एक तकनीक है जिसे आजमाया जाना चाहिए.'

हेमलिच मेन्युवर का मतलब है पेट पर नाभि और पसलियों के बीच ऊपर की तरफ़ पुश करना, जिससे फंसे हुए भोजन के टुकड़े के बाहर निकलने की संभावना होती है. इससे भी फायदा न होने की स्थिति में सांस दी जानी चाहिए और छाती पर दबाव देना चाहिए. जबतक मेडिकल हेल्प नहीं पहुंच जाती तब तक ऐसा करते रहें.

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