'द कारवां' ने अब एक और रिपोर्ट छापकर ये सवाल उठाया दिया है कि अनुज की राय यकायक बदल कैसे गई? इसके लिए 'द कारवां' ने अनुज के एक 'दोस्त' से हुई बातचीत का हवाला दिया है.

'टाइम्स ऑफ इंडिया' का दावा है कि अनुज लोया को अपने पिता की मौत पर कोई संदेह नहीं है.
1 दिसंबर, 2017 को 'द कारवां' ने एक रिपोर्ट में कहा कि 29 नवंबर, 2017 ('टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट इसी दिन छपी थी) को उन्हें एक ऐसे शख्स का ई-मेल मिला, जिसने खुद को अनुज को दोस्त बताया. इस दोस्त का दावा है कि उसने अनुज का 18 फरवरी, 2015 को लिखा लेटर देखा था. इसमें अनुज ने लिखा था कि अगर उन्हें या उनके परिवार को कोई नुकसान पहुंचता है तो, बॉम्बे हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस मोहित शाह और 'दूसरे साज़िशकर्ता' ज़िम्मेदार होंगे. इस दोस्त का कहना है कि अनुज ने उससे कह रखा था कि अगर उसे या उसके परिवार को कुछ हो जाए, तो वो मीडिया को इस लेटर के बारे में बता दे.
इस दोस्त का कहना है कि मोहित शाह की लोया परिवार से हुई मुलाकात के बारे में अनुज ने उसे भी बताया था. बकौल दोस्त, मोहित शाह लोया परिवार से कहते रहे कि जज लोया की मौत में कुछ भी संदेहास्पद नहीं है और उनकी मौत हार्टअटैक से ही हुई है. लेकिन 'बुरी तरह डरे हुए' अनुज इससे संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने शाह से अपने पिता की मौत की जांच के लिए एक कमीशन बनाने की दरख्वास्त की. यही नहीं, उन्होंने अपने पिता की ही तरह कानून की पढ़ाई करने का फैसला भी ले लिया ताकि वो मामले की तह तक जा सकें. इसके लिए अनुज ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी छोड़ दी.

अनुज के इस लेटर को 'द कारवां' ने अपने मूल रिपोर्ट में छापा था. (फोटोः 'द कारवां')
इस दोस्त के हवाले से 'द कारवां' का दावा है कि साल 2017 के नवंबर महीने की शुरुआत तक अनुज लोया अपने पिता की मौत को संदेहास्पद ही मानते थे.'द कारवां' ने इसी रिपोर्ट में एक ऐसे शख्स का लेटर भी लगाया है, जो खुद को अनुज लोया बता रहा है. 27 नवंबर, 2017 को लिखा गया ये लेटर फरवरी 2015 में लिखे अनुज के लेटर से काफी हटकर है. इस लेटर में 'अनुज' कह रहा है कि समय के साथ वो जान गया था कि उसके पिता को कार से अस्पताल ले जाया गया था, उन्हें बचाने के लिए उनके साथियों ने पूरी कोशिश की, लेकिन वो उन्हें बचा नहीं पाए. खत में ये भी लिखा है कि कुछ लोगों ने अनुज के दिमाग में संशय डालने की कोशिश की, लेकिन वो जानता है कि उसके पिता की मौत हार्ट अटैक से ही हुई थी.

'द कारवां' को अनुज के नाम से मिला दूसरा खत, जिसमें जज लोया की मौत पर संदेह न होने की बात कही गई है. (फोटोः 'द कारवां')
'द कारवां' ने इस लेटर पर किए अनुज के दस्तखत के एंगल पर सवाल उठाया है और कहा है कि वो नहीं जानते कि ये लेटर वाकई अनुज लोया का है या नहीं. 'द कारवां' की रिपोर्ट में 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट पर भी दो सवाल उठाए गए हैं:
पहलाः ऐसा क्या हुआ कि अपने पिता की मौत के बारे में अनुज लोया की राय एक महीने के अंदर बदल गई.
दूसराः 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ये नहीं बताता कि अनुज ने बॉम्बे हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस मनुजा चेल्लुर से संपर्क किया कैसे और उनकी मीटिंग कराई किसने. ये दिलचस्पी इसलिए कि 20 नवंबर, 2017 को कैरेवेन की रिपोर्ट छपने के बाद से लोया परिवार के ज़्यादातर सदस्य किसी के संपर्क में नहीं हैं.

डांडे अस्पताल से मिली इसीजी रिपोर्ट. 'द कारवां' ने इसकी तारीख पर सवाल उठाए हैं. (फोटो- इंडियन एक्सप्रेस)
'द कारवां' के मुताबिक 'अनुज का दोस्त' 4 नवंबर, 2017 तक अनुज से संपर्क में था, लेकिन अब उनका फोन नहीं मिल रहा है. साथ ही हरकिशन लोया (जज लोया के पिता) और अनुराधा बियानी (जज लोया की बहन) का फोन भी बंद आ रहा है. इन दोनों ने 'द कारवां' की रिपोर्ट में लोया की मौत पर सवाल उठाए थे.
जज लोया की मौत पर अब एक तरह से रिपोर्टिंग वॉर चल निकली है. 'इंडियन एक्सप्रेस' ने इस पूरे वाकये पर अपनी अलग पड़ताल छापी है, जिसमें 'द कारवां' के दावों को एक तरह से खारिज कर दिया गया था. लेकिन 'द कारवां' ने इस तरफ ध्यान दिलाया कि 'इंडियन एक्सप्रेस' में छपी ईसीजी रिपोर्ट में लोया की मौत से एक दिन पहले की तारीख है. फिर 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने दावा किया कि अनुज लोया ने अपने पिता की मौत पर कोई संशय न होने की बात बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को बताई है. अब 'द कारवां' ने एक कदम और आगे बढ़ाया है.
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