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'पीक आवर्स में दोगुना किराया, राइड कैंसिल पर भी पैसे', Ola-Uber जैसी कंपनियों की तो मौज हो गई

Ola, Uber, Indrive, Rapido जैसी सर्विसेस के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय ने नई गाइडलाइंस (Uber Ola pricing guidelines) जारी की हैं. कंपनियों को पीक आवर्स में बेस किराये का दोगुना तक चार्ज वसूलने की अनुमति मिल गई है, जबकि पहले यह शुल्क 1.5 गुना था.

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कैब कंपनियों की बल्ले-बल्ले

अगर आप भी Ola, Uber, Indrive, Rapido जैसी सर्विस का इस्तेमाल करते हैं, जो मुमकिन है कि आप करते ही होंगे, तो आपके लिए खबर अच्छी नहीं है. रोड-ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने राइड सर्विस देने वाली कंपनियों के लिए नई गाइडलाइंस (Uber Ola pricing guidelines) जारी की हैं. मुमकिन है कि इसके बाद आपको अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए दोगुना किराया तक देना पड़े. मिनिमम यानी बेस फेयर में भी एक जरूरी बदलाव हुआ है.

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दरअसल सड़क परिवहन मंत्रालय ने राइड सर्विस देने वाली कंपनियों को पीक आवर्स में बेस किराये का दोगुना तक चार्ज वसूलने (peak hour fare increase) की अनुमति दे दी है, जबकि पहले यह शुल्क 1.5 गुना था. गैर-पीक घंटों के लिए भी बेस फेयर में छूट को 50 फीसदी से कम नहीं करने को कहा है. 

मतलब कई बार जब ट्रैफिक का दवाब एकदम कम होता तो कैब कंपनियां किराये को एकदम कम भी कर देती हैं. बेस फेयर भले 200 रुपये हो मगर कई बार बहुत कम किराये में बुकिंग हो जाती थी. अब ऐसा नहीं होगा. माने 100 रुपये कम से कम देने ही होंगे.

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सरकार ने सभी कंपनियों को तीन महीने के अंदर नई गाइडलाइन फॉलो करने को कहा है. बेस फेयर राज्य सरकारें अपने स्तर पर तय करेंगी. उदाहरण के लिए अभी दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में बेस फेयर 21-21 प्रति किलोमीटर है तो पुणे में 18 रुपये. अगर कोई राज्य ऐसा नहीं करता है तो कैब कंपनियां बेस फेयर फिक्स कर सकती हैं मगर उनको इसकी जानकारी मंत्रालय को देनी होगी.  

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कस्टमर की तरफ से राइड कैंसिल होने पर भी उसे किराये का 10 फीसदी या अधिकतम 100 रुपये पेनाल्टी के तौर पर देना होगा. माने अगर किराया 200 रुपये था तो 20 रुपये पेनाल्टी लगेगी. ये पैसा कंपनी और ड्राइवर के बीच में बांटा जाएगा. कैब कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि कैब चलाने वाले चालकों के पास 5 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस और 10 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस हो.

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केंद्र सरकार ने यात्रियों की सेफ्टी के लिए कैब में लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाने और इनको कंपनी के सेंट्रल सर्वर से जोड़ने के लिए भी कहा है. मंत्रालय ने कैब ड्राइवर की रेटिंग को लेकर भी गाइडलाइंस तय की है. कैब कंपनियों को हर तीन महीने में इनकी रेटिंग्स की समीक्षा करनी होगी. अगर किसी चालक की रेटिंग दूसरे चालकों की तुलना में बहुत कम है तो उसे ट्रेनिंग प्रोग्राम से गुजरना होगा.

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