देश में लंपी वायरस स्किन डिजीज (Lumpy skin disease) से 67 हजार से ज्यादा मवेशियों की मौत होने की खबर है. मवेशियों में ये बीमारी खासकर देश के 8 राज्यों में ज्यादा देखी जा रही है. ये राज्य गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर हैं. इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि क्या ये बीमारी मवेशियों से इंसानों को भी हो सकती है? क्या लंपी वायरस से संक्रमित गाय या दूसरे मवेशी के दूध में भी ये वायरस पाया जाता है? इससे पहले कि आप लंपी वायरस के डर से दूध पीना ही छोड़ दें, इस बारे में एक्सपर्ट्स की राय जान लीजिए.
क्या बीमार गाय-भैंस का दूध पीने से इंसानों में भी फैल सकता है लंपी वायरस?
लंपी वायरस की वजह से देश में अब तक 67 हजार से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है.

वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ (WOAH) के मुताबिक लंपी वायरस स्किन डिजीज जूनोटिक नहीं है. इसका मतलब है कि ये जानवरों से इंसानों में नहीं फैलती है. इसलिए इंसान लंपी वायरस से संक्रमित नहीं होते हैं. लंपी वायरस से इंसानों को खतरा नहीं है, बल्कि लंपी वायरस डिजीज के मामले में संक्रमित मवेशियों को स्वस्थ मवेशियों से अलग करने की जरूरत होती है.
क्या संक्रमित मवेशी का दूध पीना सेफ है?लंपी वायरस जानवरों से इंसानों में नहीं फैलता है, इसलिए एक्सपर्ट्स के मुताबिक संक्रमित मवेशी के दूध से इंसानों को कोई खतरा नहीं है. लेकिन दूध अच्छी तरह से उबाल कर पीना चाहिए या फिर पाश्चराइज्ड दूध का इस्तेमाल करना चाहिए.
आजतक के अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ मंडल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और पशु चिकित्सा एक्सपर्ट अरविंद कुमार वर्मा बताते हैं कि ऐसी रिपोर्ट हैं कि जिस मवेशी को लंपी वायरस का इन्फेक्शन हो जा रहा है, उसके दूध में वायरस पाया जाता है. लेकिन दूध को अच्छी तरह उबाल कर लेने से इंसानों को कोई नुकसान नहीं होगा. अरविंद कुमार के मुताबिक इस बीमारी में जरूरी ये है कि बीमार मवेशी का बच्चा उसका दूध ना पीए. बच्चे को अलग करें.
क्या गोमूत्र और गोबर में भी होता है लंपी वायरस?पशु चिकित्सा एक्सपर्ट अरविंद कुमार वर्मा के मुताबिक, अभी तक ऐसी कोई स्टडी नहीं आई है, जिसमें संक्रमित मवेशी के पेशाब या गोबर में वायरस होने की बात हो. वो बताते हैं कि लंपी वायरस का सीधा असर गाय के दूध उत्पादन और उसके गर्भाशय पर पड़ता है. बीमारी से दूध के उत्पादन में 50 फीसदी तक की कमी आ जाती है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि संक्रमित मवेशी का ख्याल रखने वाले को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो दूसरे मवेशियों के लिए इस वायरस का कैरियर ना बने. सबसे बेहतर यही होगा कि दूसरे स्वस्थ मवेशियों को लंपी वायरस से संक्रमित मवेशी से अलग रखा जाए.
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