गुजरात के ये सभी लोग एक ही परिवार के हैं. सेबी ने 26 पेज के फैसले में इस ठगी के जो तौर-तरीके जाहिर किए हैं, वो आम निवेशकों की आंखें खोलने वाले हैं. इसमें बताया गया है कि कैसे ये लोग पहले किसी शेयर में पैसा लगाते थे. उसके बाद अपने चैनल के जरिए लोगों को वो स्टॉक खरीदने की सलाह देते थे. फिर जैसे ही उसके दाम बढ़ते, ये पहले से खरीदकर रखे अपने शेयर ऊंचे भाव पर बेचकर निकल जाते थे. इसके अलावा सेबी ने छोटे निवेशकों को एक ही दिन में झटपट मुनाफा दिलाने का दावा करने वाले इंटरमीडियरीज या ट्रेडिंग फर्मों से भी सावधान रहने की हिदायत दी है. क्या है Bullrun2017? सेबी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक ये सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म टेलीग्राम पर बनाया गया एक चैनल था. इसे हिमांशु पटेल, उसके भाई राज पटेल और पिता महेंद्र पटेल ऑपरेट करते थे. इसका इस्तेमाल शेयर टिप्स देने के लिए किया जाता था. एक समय इस चैनल के हजारों फॉलोवर्स हो गए थे और इसके टिप्स पर निवेश भी करते थे. हिमांशु पटेल ने टिप्स और कमाई के इस धोखाधड़ी वाले धंधे में पिता और भाई के अलावा अपनी मां, बहन और बेटे को भी शामिल कर रखा था.
इन सभी के नामों से अलग-अलग ट्रेडिंग अकाउंट और मोबाइल नंबर पाए गए हैं. कई निवेशकों की शिकायत के बाद सेबी ने बीती 30 नवंबर को गुजरात के कई शहरों में छापेमारी की थी. इस दौरान बहुत से ऐसे संदिग्ध लोग भी पकड़े गए जो यूट्यूब चैनल और व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए लोगों को किसी स्टॉक विशेष में निवेश की सलाह देते थे.
कुछ समय पहले शेयर टिप्स का धंधा एसएमएस पर भी फल-फूल रहा था. लेकिन सेबी ने ट्राई के साथ मिलकर ऐसे एसएमएस पर रोक लगानी शुरू की तो इन लोगों ने नए प्लैटफॉर्म का सहारा लेना शुरू कर दिया.

सेबी के फैसले की एक कॉपी (फोटो-सेबी)
कैसे छले गए लोग? इस चैनल पर किसी शेयर विशेष को खरीदने के टिप्स दिए जाने के तुरंत बाद परिवार के सभी छह सदस्यों के अलग-अलग ट्रेडिंग अकाउंट से उन शेयरों में बड़ी रकम लगा दी जाती. थोड़ी देर बाद उनके दाम अचानक बढ़ने लगते. इसे देख चैनल से जुड़े लोग और अन्य निवेशक भी थोड़ा बहुत निवेश करने लगते. जैसे ही शेयर के दाम और ऊंचे जाते, हजारों अन्य लोगों को लगता कि वे कमाई का बड़ा मौका चूकने वाले हैं. फिर वो भी पैसे लगाने लगते. इस तरह कुछ दिनों के भीतर ही शेयर में अच्छी खासी तेजी दर्ज हो जाती.
इसी वक्त परिवार के सभी खातों से खरीदे गए शेयर बेच दिए जाते. पटेल परिवार बड़ी कमाई कर लेता और शेयर की कीमत धड़ाम हो जाती. एक दो दिन में वो स्टॉक गर्त में पहुंच जाता. इस तरह ये परिवार आए दिन लाखों रुपये कमाने लगा, जबकि इनके टिप्स पर निवेश करने वालों को जबर्दस्त चपत लगती. एक बार धोखा खाए लोग चैनल से मुंह फेर भी लेते, तो नए निवेशक आ फंसते.
कई बार पटेल परिवार कुछ शेयरों में इस कदर प्राइस हाइक कराता कि लोगों को ऐसी किसी साजिश की भनक तक न लगती. मसलन, जब चैनल पर नुकसान झेलने वाले निवेशकों की शिकायतें आतीं, उसी दौरान चैनल पर किसी शेयर के लिए 'बाय' टिप्स दे दी जाती. पटेल भी उसमें पैसे लगाता. आम निवेशक भी लगाते. फिर चैनल पर मुनाफा काटकर निकल जाने यानी बेच देने की सलाह दी जाती. फिर पटेल परिवार अपने हिस्से का भारी स्टॉक बेचता. शेयर के दाम गिर जाते. इससे परिवार को कोई खास नुकसान नहीं होता, लेकिन जो लोग उसके टिप्स पर बेचकर निकल गए होते, उनका भरोसा चैनल में बढ़ जाता.
ऐसे लोग चैनल के फेवर में कमेंट भी करते. उसकी विश्वसनीयता बढ़ाते. फिर किसी दिन सैकड़ों लोगों को बड़ी चपत लगा परिवार मोटी कमाई कर लेता. इसी तरह की उठा-पटक में पटेल परिवार ने 10 महीने के भीतर ही 2.84 करोड़ रुपये कमा लिए. अब सेबी ने इन लोगों के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज कर पूरी रकम उन्हीं से वसूलने का आदेश दिया है.

पटेल परिवार की धोखाधड़ी का लेखाजोखा ( फोटो :सेबी)
नहीं था सेबी का रजिस्ट्रेशन पब्लिक में किसी भी तरह की स्टॉक या इनवेस्टमेंट एडवाइस देने के लिए सेबी के तहत रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. सेबी ने अपने फैसले में कहा है कि पटेल या उसके परिवार के किसी सदस्य के पास सेबी का एनालिस्ट या एडवाइजरी रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं था. ना ही स्टॉक मार्केट इंटरमीडियरीज का कोई तजुर्बा या लाइसेंस था. ऐसे में मास लेवल पर उनका एडवाइस देना तो गलत था ही, लोगों को गुमराह करने और धोखाधड़ी से आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप भी बनता है.
सेबी ने मान्यता प्राप्त एडवाइजर्स की लिस्ट अपनी साइट पर लगा रखी है. उसका कहना है कि अगर कोई बड़े पैमाने पर या मीडिया के जरिए शेयर एडवाइस दे रहा है तो सबसे पहले उसका नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर सेबी की साइट पर चेक कर लीजिए. लेकिन दूसरी तरफ जानकार ये भी बताते हैं कि बड़े पैमाने पर सेबी रजिस्टर्ड एडवाइजर्स भी सोशल मीडिया में अपने नंबरों की नुमाइश कर चैनल चला रहे हैं. इनमें से कइयों के रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस एक्सपायर हो चुके हैं. मार्केट जानकार ये भी बताते हैं कि किसी की बात सिर्फ इसलिए भी नहीं मान लेनी चाहिए कि वो सेबी का रजिस्टर्ड एडवाइजर है. किसी भी स्टॉक या इंस्ट्रूमेंट में निवेश से पहले कुछ बुनियादी वित्तीय बातों का ख्याल रखना जरूरी है.