पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर (Asim Munir) सफाई देते नहीं थक रहे हैं. उन्होंने एक बार फिर भारत के उस दावे को खारिज कर दिया. जिसमें कहा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद को चीन और तुर्किए का समर्थन मिला था. असीम मुनीर ने इस दावे को अब तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है.
चीन-तुर्की से मदद के आरोपों पर फंसे मुनीर, भारत के दावे को बताया ‘झूठ’
Opreation Sindoor के बाद पाकिस्तान की पूरी दुनिया में किरकिरी हुई कि वह अकेले भारत का सामना नहीं कर सका. इसलिए उसे China और Turkiye की मदद लेनी पड़ी. अब पाकिस्तान के सेना प्रमुख Asim Munir की इस पर सफाई आई है. क्या कहा उन्होंने?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार, 7 जुलाई को इस्लामाबाद में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी को संबोधित करते हुए मुनीर ने ये बात कही. उन्होंने कहा,
पाकिस्तान के सफल ऑपरेशन ‘Bunyan-al-Marsoos’ में बाहरी समर्थन के बारे में लगाए गए आरोप गैर-जिम्मेदाराना और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं.
मुनीर ने भारत को गीदड़ भभकी देते हुए कहा कि पाकिस्तान की संप्रभुता को मिलने वाली किसी भी चुनौती का दृढ़ता के साथ जवाब दिया जाएगा. उनका यह बयान भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह के उस बयान के जवाब में आया. जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत-पाक के बीच चार दिन तक चले संघर्ष के दौरान पर्दे के पीछे से चीन मदद कर रहा था. लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा,
अगर आप पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाकिस्तान को मिलने वाला 81% सैन्य हार्डवेयर चीन से आता है. दरअसल, भारत-पाक संघर्ष में चीन अपने हथियारों को टेस्ट कर रहा था. इसलिए यह उसके लिए एक लैब की तरह था.
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लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने कहा कि भारत उस वक्त तीन मोर्चों पर लड़ रहा था. जिनमें पाकिस्तान के साथ चीन और तुर्किए भी शामिल थे. उन्होंने कहा,
पाकिस्तान फ्रंट पर था. चीन हर संभव मदद प्रदान कर रहा था... तुर्की ने भी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की पूरी दुनिया में किरकिरी हुई कि वह अकेले भारत का सामना नहीं कर सका. इसलिए उसे चीन और तुर्किए की मदद लेनी पड़ी. इसकी पुष्टि भी हुई. सीमापार से आए जिन ड्रोन्स को भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने मार गिराया, उनमें से ज्यादातार ड्रोन तुर्किए के थे. जबकि कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी ये दावे किए गए कि भारत-पाक संघर्ष के दौरान इस्लामाबाद का लगातार चीन के साथ संपर्क बना रहा और चीन ने अपने सदाबहार दोस्त की दोनों हाथों से मदद की.
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