बॉम्बे हाई कोर्ट ने SEBI और BSE के शीर्ष अधिकारियों पर मंगलवार, 4 मार्च तक कार्रवाई ना करने का आदेश दिया है. बता दें कि 2 मार्च को मुंबई की ‘स्पेशल एंटी करप्शन कोर्ट’ ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के कई बड़े अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था. जिसमें SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) भी शामिल हैं. कोर्ट ने ये आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को दिए थे. जिस पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी गई है.
SEBI की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, धोखाधड़ी के लगे थे आरोप
SEBI की पूर्व अध्यक्ष Madhabi Puri Buch ने Bombay High Court में याचिका दायर की. कोर्ट ने मंगलवार, 4 मार्च को याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई. साथ ही ACB को ये निर्देश दिए कि तब तक कोई कार्रवाई न करें.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच, अश्विनी भाटिया, BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और CEO सुंदररामन राममूर्ति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. जस्टिस शिवकुमार डिगे की बेंच ने मंगलवार, 4 मार्च को याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई. साथ ही ACB को ये निर्देश दिए कि तब तक कोई कार्रवाई न करें. बता दें कि ठाणे के एक पत्रकार सपन श्रीवास्तव ने सेशन कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने इन अधिकारियों पर शेयर बाजार में धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और करप्शन के आरोप लगाए थे.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने SEBI और BSE के सदस्यों का पक्ष लेते हुए कहा कि जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है. उनके खिलाफ कोई नोटिस भी नहीं जारी किया गया. अब मंगलवार को कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा.
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करप्शन के लगाए थे आरोपइंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सपन श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में शेयर बाजार में लिस्टिंग घोटाले, वित्तीय धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. याचिका में SEBI और कॉर्पोरेट संस्थाओं की मिलीभगत, इनसाइडर ट्रेडिंग और पब्लिक फंड में हेराफेरी के आरोप भी शामिल हैं. याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने और उनके परिवार ने 13 दिसंबर 1994 को कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड के शेयरों में निवेश किया था. जो BSE में लिस्टेड थी. इस निवेश में उन्हें भारी नुकसान हुआ. उनका आरोप है कि BSE ने नियमों का उल्लंघन कर कंपनी को लिस्टिंग की अनुमति दी. और कंपनी की अनियमितताओं को नजरअंदाज किया.
श्रीवास्तव का कहना है कि SEBI और BSE ने नियमों का पालन नहीं किया. और कंपनी को धोखाधड़ी से शेयर मार्केट में प्रवेश करने दिया गया. उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मामले की शिकायत पुलिस और अन्य एजेंसियों से की थी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद उन्हें कोर्ट का रुख करना पड़ा.
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