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SEBI की पूर्व प्रमुख माधबी बुच पर होगी करप्शन की FIR, BSE चेयरमैन समेत कई बड़े अफसर भी घेरे में

Madhabi Puri Buch Corruption FIR: मुंबई के एक कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है. इसलिए इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है. कोर्ट के आदेश पर SEBI ने बयान जारी कर कहा है कि वह इस आदेश को चुनौती देगा.

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mumbai court orders fir against former sebi chief madhavi buch bse chairman and top officials
कोर्ट ने SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है. (तस्वीर-इंडिया टुडे)
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सचेंद्र प्रताप सिंह
2 मार्च 2025 (Updated: 2 मार्च 2025, 09:31 PM IST)
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मुंबई के स्पेशल एंटी करप्शन कोर्ट ने शनिवार, 2 मार्च को SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के कई शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. इन अधिकारियों पर शेयर बाजार में धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और करप्शन के आरोप लगे हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह आदेश स्पेशल जज एसई बांगर ने ठाणे के पत्रकार सपन श्रीवास्तव द्वारा दायर की गई याचिका पर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता चलता है. इसलिए इसकी निष्पक्ष जांच आवश्यक है. कोर्ट ने माना कि SEBI और BSE के अधिकारियों की कथित मिलीभगत के प्रमाण मौजूद हैं.

रिपोर्ट के अनुसार सपन श्रीवास्तव ने शेयर बाजार में लिस्टिंग घोटाले, वित्तीय धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. याचिका में SEBI और कॉर्पोरेट संस्थाओं की मिलीभगत, इनसाइडर ट्रेडिंग और पब्लिक फंड में हेराफेरी के आरोप भी शामिल हैं.

याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने और उनके परिवार ने 13 दिसंबर 1994 को कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड के शेयरों में निवेश किया था. जो BSE में लिस्टेड थी. इस निवेश में उन्हें भारी नुकसान हुआ. उनका आरोप है कि BSE ने नियमों का उल्लंघन कर कंपनी को लिस्टिंग की अनुमति दी. और कंपनी की अनियमितताओं को नजरअंदाज किया.

श्रीवास्तव का कहना है कि SEBI और BSE ने नियमों का पालन नहीं किया. और कंपनी को धोखाधड़ी से शेयर मार्केट में प्रवेश करने दिया गया. उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मामले की शिकायत पुलिस और अन्य एजेंसियों से की थी. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद उन्हें कोर्ट का रुख करना पड़ा.

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए CRPC की धारा 156(3) के तहत जांच आवश्यक है. अदालत ने ACB को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, SEBI अधिनियम और BNS कानूनों के तहत मामला दर्ज करने को कहा है. वहीं 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.

शिकायत में SEBI और BSE के कई वरिष्ठ अधिकारियों को पक्ष बनाया गया है. उनमें पूर्व SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, पूर्णकालिक सदस्य अश्विन भाटिया, आनंद नारायण जी और कमले चंद्र वर्श्रेय, BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और CEO सुंदररमन राममूर्ति शामिल हैं. सुनवाई के दौरान इनमें से कोई भी अदालत में मौजूद नहीं था. 

SEBI ने किया विरोध

कोर्ट के आदेश को लेकर SEBI का बयान भी आया है. SEBI ने कहा कि जिन अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है. वे लोग उस समय अपने पदों पर नहीं थे. SEBI ने यह भी कहा कि अदालत ने उनका पक्ष सुने बिना आदेश जारी कर दिया. इसके अलावा, SEBI ने याचिकाकर्ता सपन श्रीवास्तव को "आदतन मुकदमेबाज़" बताया. SEBI ने आगे कहा कि उनकी कई याचिकाएं पहले खारिज हो चुकी हैं. वहीं कुछ मामलों में उन पर जुर्माना भी लगाया गया था. SEBI ने स्पष्ट किया कि वह इस आदेश को कानूनी रूप से चुनौती देगा. 

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