कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता संभव नहीं है. उन्होंने तर्क दिया कि दोनों देशों के बीच कोई समानता नहीं है. पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है. जबकि भारत आतंकी हमलों से पीड़ित है. उनकी ये टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के उस दावे के बीच आई है. जब वो कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि उन्होंने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में मदद की थी.
शशि थरूर ने यूएस में बैठकर ट्रंप की बात काट दी, बोले- 'भारत-PAK में मध्यस्थता वाली बात हमें... '
अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump कई बार ये दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने में मदद की. अब इस पर कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता संभव ही नहीं है.
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शशि थरूर वर्तमान में पांच देशों की यात्रा पर हैं और सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. ये डेलीगेशन ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का रुख स्पष्ट कर रहा है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 जून को वाशिंगटन में ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस’ में बोलते हुए थरूर ने कहा,
मध्यस्थता एक ऐसा शब्द है जिसे हम स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं. मैं आपको बताता हूं कि ऐसा क्यों नहीं है. फैक्ट ये है कि जब आप ‘ब्रोकर’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं तो आप एक ऐसी समानता की ओर इशारा करते हैं जो अस्तित्व में ही नहीं है.
इस दौरान शशि थरूर के नेतृत्व वाले डेलीगेशन ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से भी मुलाकात की. जिसके बाद शशि थरूर ने कहा,
अमेरिकी भूमिका पर क्या कहा?उपराष्ट्रपति वेंस के साथ बैठक शानदार रही. वेंस ने हमारी बातों को पूरी तरह समझा. जरूरी बात ये है कि मध्यस्थता का मतलब होता है-दो पक्षों के बीच समानता. जबकि आतंकवादियों और उनके पीड़ितों के बीच और आतंकवादियों को पनाह देने वालों और एक बहुदलीय लोकतंत्र के बीच कोई समानता नहीं हो सकती.
जब शशि थरूर से पूछा गया कि वे इस स्थिति में अमेरिका की भूमिका को किस तरह देखते हैं, तो उन्होंने कहा कि वे कुछ हद तक अनुमान लगा रहे हैं. लेकिन उनका मानना है कि संकट के दौरान वाशिंगटन दोनों पक्षों के साथ संपर्क में रहा. उन्होंने कहा,
भारत सरकार को अमेरिकी सरकार से हाई लेवल पर कई कॉल प्राप्त हुए, और हम उनकी चिंता की तारीफ करते हैं. शायद यही वह पक्ष था जहां उनके मैसेज का वास्तव में सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा. लेकिन यह सिर्फ मेरा अनुमान है. मुझे नहीं पता कि उन्होंने पाकिस्तानियों से क्या कहा.
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ट्रंप ने फिर लिया क्रेडिटइस बीच, डॉनल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपना पिछला दावा दोहराते हुए कहा कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को रोकने में मदद की. जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ के साथ बैठक के दौरान उन्होंने कहा,
मैंने दोनों पक्षों के कुछ बहुत प्रतिभाशाली लोगों से बात की. दोनों पक्षों में बहुत अच्छे लोग हैं. आप जानते हैं, मैंने उस युद्ध को रुकवाया... अब, क्या मुझे इसका क्रेडिट मिलेगा? मुझे किसी भी चीज का क्रेडिट नहीं मिलने वाला है. वे मुझे किसी भी चीज का क्रेडिट नहीं देते. लेकिन कोई और ऐसा नहीं कर सकता था. मैंने इसे रोका. मुझे इस पर बहुत गर्व है.
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दोनो देशों को चेतावनी दी कि यदि संघर्ष जारी रहा तो अमेरिका व्यापार समझौते नहीं करेगा.
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के दो रोज बाद 10 मई को ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर पर सहमति बना ली है और इसमें वॉशिंगटन की मध्यस्थता से हुई 'बातचीत' की भूमिका रही. जिसके बाद से वो कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने में मदद की.
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