पिछले एक दशक में भारत में गरीबों की संख्या में कमी आई है. वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश की गरीबी दर (Poverty Rate) 2011-12 में 16.22 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में केवल 5.25 प्रतिशत रह गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान करीब 17 करोड़ लोगों ने गरीबी रेखा से ऊपर कदम रखा है.
भारत में 17 करोड़ लोग नहीं रहे गरीब, 11 साल में 27% से घटकर 5% हुआ गरीबों का आंकड़ा
World Bank की रिपोर्ट के मुताबिक, अब प्रतिदिन 3 डॉलर (लगभग 250 रुपये) से कम खर्च करने वाले को ही ‘बेहद गरीब’ माना जायेगा. जो अब तक 2.15 डॉलर (185 रुपये) थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 17 करोड़ लोगों ने गरीबी रेखा से ऊपर कदम रखा है.

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, अब प्रतिदिन 3 डॉलर (लगभग 250 रुपये) से कम खर्च करने वाले को ही ‘बेहद गरीब’ माना जायेगा. जो अब तक 2.15 डॉलर (185 रुपये) थी. वर्ल्ड बैंक ने अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा (IPL) में महत्वपूर्ण संशोधन किए. बैंक ने IPL को 2.15 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन से बढ़ाकर 3.00 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन कर दिया. अगर ये बदलाव नहीं होता तो वैश्विक स्तर पर ‘बेहद गरीबों’ की संख्या में 22.6 करोड़ लोगों की बढ़ोतरी होती. इस नए पैमाने के हिसाब से ही साल 2022-23 में गरीबी दर 5.25 प्रतिशत रही. भारत ने गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली अपनी आबादी को 2011-12 में 20.59 करोड़ से घटाकर 2022-23 में 7.52 करोड़ कर दिया है.
इन 5 राज्यों में हैं ‘बेहद गरीब’रिपोर्ट में कहा गया कि 2011-12 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे पांच राज्यों में देश के 65% ‘बेहद गरीब’ रहते थे. लेकिन 2022-23 तक इन राज्यों में ‘बेहद गरीबों’ की संख्या कम होकर सिर्फ 54% रह गई.
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गांव-शहर के बीच अंतर हुआ कम
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में ‘बेहद गरीबी’ 18.4% से घटकर 2.8% रह गई है. वहीं, शहरी इलाकों में यह 10.7% से गिरकर 1.1% पर आ गई है. यानी गांव और शहर के बीच का फासला भी पहले से बहुत कम हो गया है. पहले जहां यह अंतर 7.7% था, अब सिर्फ 1.7% रह गया है. दूसरी तरफ, दोनों के बीच उपभोग का अंतर भी कम हुआ है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच उपभोग का अंतर 2011-12 में 84 प्रतिशत से कम होकर 2023-24 में 70 प्रतिशत हो गया.
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