हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सरकार बदलते ही अटल टनल (Atal Tunnel) की आधारशिला यानी नींव का पत्थर ‘गुम’ हो जाने का विवाद फिर खड़ा हो गया है. राज्य के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रशासन को आधारशिला वाली जगह पर फिर से पत्थर लगाने का आदेश दिया है. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सुरंग परियोजना के तहत 2010 में इसकी आधारशिला रखी थी. परियोजना पूरी होने के बाद 2020 में उद्घाटन से ठीक पहले ये नींव का पत्थर कथित तौर पर गायब हो गया था.
मोदी ने उद्घाटन किया तो हटा था सोनिया गांधी के नाम का पत्थर, अब क्यों खोजा जा रहा है?
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने 2010 में अटल टनल की आधारशिला रखी थी.

हाल ही में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत हुई. कांग्रेस के सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में पार्टी ने सरकार बनाई. अब खबरें हैं कि नई सरकार पूर्व की बीजेपी सरकार के कई फैसले पलटने का मूड बना चुकी है. आजतक से जुड़े मनजीत सहगल की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव से पहले बीते छह महीनों के दौरान बीजेपी सरकार के समय जो भी फैसले लिए गए, उन सबकी समीक्षा की जाएगी. मुख्यमंत्री कार्यालय ने इसके लिए सभी विभागों के प्रमुखों को पत्र जारी कर दिए हैं. उन्हें पिछली सरकार के समय हुए टेंडर अलॉटमेंट, अधिकारियों को मिले पुनःरोजगार, विधायकों-मंत्रियों को आवास के लिए मिलने वाली सब्सिडी आदि फैसलों की समीक्षा रिपोर्ट देने को कहा गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इन्हीं में अटल टनल का फाउंडेशन स्टोन फिर से स्थापित किए जाने का फैसला भी शामिल है. और केवल अटल नहीं, बल्कि उन तमाम परियोजनाओं की नींव या उद्धाटन के समय लगाए गए पत्थरों को रीस्टोर किया जाएगा जिन्हें कथित रूप से बीजेपी सरकार के समय हटा दिया गया था.
अटल टनल की आधारशिला कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय रखी गई थी. उस समय सोनिया गांधी राष्ट्रीय सलाहकार समिति की चेयरमैन थीं. हालांकि, हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी. प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे. 28 जून, 2010 को सोनिया गांधी ने हिमाचल प्रदेश के डुंडी में रोहतांग टनल के दक्षिण द्वार, मतलब साउथ पोर्टल पर अटल टनल की आधारशिला रखी थी.
बाद में मई 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार आई. प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी. इसके छह साल बाद तीन अक्टूबर, 2020 को पीएम मोदी ने अटल टनल का उद्घाटन किया था. लेकिन उससे ठीक पहले वो फाउंडेशन स्टोन कथित रूप से गायब हो गया जिसे दस साल पहले सोनिया गांधी ने आधारशिला के रूप में रखा था.
कांग्रेस ने शिकायत की थीउस समय भी हिमाचल में बीजेपी की सरकार थी. पत्थर गायब होने के बाद लाहौल और स्पीति में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष गयालचन ठाकुर ने 13 अक्टूबर, 2020 को पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी. पार्टी ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर पत्थर को गायब करने का आरोप लगाया था. लेकिन अगले ही दिन पुलिस ने साफ किया था कि सोनिया गांधी द्वारा रखा गया नींव का पत्थर टनल बनाने वाली कंपनी SAJV ने सुरक्षित रखा है. उसे हिमाचल के सीमा सड़क संगठन (BRO) की मकैनिकल वर्कशॉप में रखा गया था.
बहरहाल, अटल टनल परियोजना को लेकर कांग्रेस और बीजेपी अपना-अपना दावा करती हैं. कांग्रेस कहती है कि 1972 में इंदिरा गांधी के पीएम रहते हुए ही इस योजना का विचार तत्कालीन सरकार को आया था. पार्टी के मुताबिक, तब इंदिरा गांधी ने लाहौल-स्पीति के लोगों से वादा किया था कि उनकी दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार ये सुरंग बनाएगी.
वहीं बीजेपी दावा करती है कि टनल बनाने का 2000 में आया जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे. पार्टी कहती रही है कि पूर्व पीएम ने लाहौल स्पीति के अपने एक दोस्त के जरिये वहां के लोगों से वादा किया था कि वो वहां एक सुरंग बनवाएंगे.
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