मध्यप्रदेश के सतना में जिला अस्पताल की कथित लापरवाही ने पब्लिक हेल्थ केयर सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. यहां के सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला अस्पताल ने एक प्रेंग्नेंट महिला दुर्गा द्विवेदी की जांच कर उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को मृत बताया था. यही नहीं, दवा के जरिए बच्चा गिराने की सलाह भी दे दी थी. लेकिन जब महिला ने एक प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर में दोबारा टेस्ट करवाया तो बच्चा जीवित मिला. अब महिला ने उस जीवित बच्चे को जन्म दिया है. फिलहाल मां और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं. वहीं सरकारी अस्पताल के जिम्मेदार मेडिकल स्टाफ पर कार्रवाई की जा रही है.
सरकारी अस्पताल ने डिलीवरी से पहले बच्चे को मृत बता दिया, दूसरे अस्पताल में जिंदा पैदा हुआ
महिला को सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. 9 बजे एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने उनका डॉप्लर टेस्ट किया. इसी टेस्ट में कथित तौर पर गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन नहीं मिली. डॉक्टरों के मुताबिक, सोनोग्राफी टेस्ट में भी बच्चे की धड़कन चलने का कोई संकेत नहीं मिला.
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इंडिया टुडे से जुड़ीं अमृतांशी जोशी और वेंकटेश द्विवेदी की रिपोर्ट के मुताबिक, दुर्गा सतना के रामपुर बघेलान के चकेहरा गांव की रहने वाली हैं. सोमवार 14-15 जुलाई की दरमियानी रात लेबर पेन के चलते उन्हें पहले अमरपाटन सिविल अस्पताल एडमिट कराया गया. लेकिन दुर्गा की हालात को देखते हुए उन्हें सुबह 4 बजे उन्हें सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया. सुबह 7.30 बजे वो हॉस्पिटल पहुंचीं.
अस्पताल में दुर्गा का ब्लड टेस्ट किया गया. इसके बाद 9 बजे एक सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने उनका डॉप्लर टेस्ट किया. इसी टेस्ट में कथित तौर पर गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन नहीं मिली. डॉक्टरों के मुताबिक, सोनोग्राफी टेस्ट में भी बच्चे की धड़कन चलने का कोई संकेत नहीं मिला. इसके बाद डॉक्टरों ने दुर्गा के परिवार को अबॉर्शन करा लेने की सलाह दी.
दुर्गा के पति राहुल द्विवेदी ने बताया कि उनके बच्चे को पहले भी ‘हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी’ की कैटेगरी में रखा गया था. इससे वो पहले से परेशान थे. लेकिन जब डॉक्टरों ने अबॉर्शन की सलाह दी तो वो इस बात से सहमत नहीं हुए. राहुल दुर्गा को लेकर भरहुत के एक प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर पहुंचे. यहां उन्होंने दुर्गा का दोबारा सोनोग्राफी टेस्ट कराया. इस बार रिपोर्ट में बच्चा जीवित और स्वस्थ मिला. दुर्गा को तुरंत एक प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, जहां सिजेरियन ऑपरेशन की मदद से उन्होंने 3.8 किलोग्राम वजन के बच्चे को जन्म दिया.
राहुल ने मीडिया से कहा, "अस्पताल की ओर से अबॉर्शन के लिए कहने के बाद मैंने उनसे कुछ समय मांगा. इसके बाद मैं अपनी पत्नी को लेकर नाहर नर्सिंग होम गया, वहां डॉक्टर ने जांच के बाद बच्चे को सुरक्षित बताया. सोनोग्राफी रिपोर्ट में भी बच्चा स्वस्थ दिखा."
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इस पूरी घटना के बाद दुर्गा के परिवार ने जिम्मेदार डॉक्टरों और स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. एक परिजन ने कहा, “अगर हमने अस्पताल की बात मान ली होती तो हमारा जीवित और स्वस्थ बच्चा मारा जाता.”
सतना के चीफ मेडिकल और हेल्थ ऑफिसर (CMHO) एल.के. तिवारी ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा, “हमने मेडिकल कॉलेज के डीन और सिविल सर्जन को विस्तृत जांच करने को कहा है. किसी के दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
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