अंकित शर्मा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ‘दी लल्लनटॉप’ के पास है. अंकित शर्मा की मौत के बारे में बहुत सारे ब्यौरे हैं. इन्हें देखने पर पता चलता है कि अंकित शर्मा को बेरहमी से मारा गया. उनके शरीर पर जांघ, कूल्हे, पीठ, कंधे, सीने, हाथ समेत कई जगहों पर चाकू से घोंपने के निशान मिले हैं. और कई दूसरे तरह के घाव भी. इस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हमें जो मिला, वो हम आपको बता रहे हैं. कुछ विवरण असहज हो सकते हैं, पाठकों से विवेक अपेक्षित है.
पोस्टमॉर्टम की कहानी
27 फरवरी 2020. दोपहर 12:25 बजे. अंकित शर्मा का शव दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल के पोस्टमॉर्टम हाउस में लाया गया. इसी दिन 12:30 बजे पर अंकित शर्मा के शव का पोस्टमॉर्टम शुरू हुआ. जो पूरे दो घंटे यानी 2:30 बजे तक चला.

ये पोस्टमॉर्टम डॉ. केके बनर्जी, डॉ. एसके वर्मा और डॉ. अरविन्द कुमार की अगुआई में पोस्टमॉर्टम किया गया. इस मामले के जांच अधिकारी ASI राजेंदर, थाना दयालपुर को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सौंप दी गयी.
शरीर पर चाकू के 13 घाव : कहां और कैसे?
8 पेजों की इस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया कि अंकित शर्मा के पैर की जांघ के पास 4x1x7 सेंटीमीटर का किसी धारदार चीज़ घोंपने का घाव मिला. ये पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आया सबसे पहला घोंपने का घाव है. इसके बाद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में लगातार 9 बार चाकू घोंपने से हुए घावों का ज़िक्र किया गया है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पॉइंट नंबर 8 से लेकर 16 तक. इसके बाद पॉइंट नंबर 18 और 19 पर भी चाकू घोंपने के घाव हैं. ये कैसे और कहां हैं?

अंकित शर्मा की जांघ के आसपास के हिस्सों में 5x1x7 सेंटीमीटर, 3.5x1x8 सेंटीमीटर, 4x0.5x5 सेंटीमीटर, 5x0.5x8 सेंटीमीटर के घोंपने के घाव मिले. कुल 4.

इसके अलावा सीने के हिस्से में भी घोंपने के घाव मिले. पसली के हिस्से में 5x2.5x11 सेंटीमीटर, 3x0.7x55 सेंटीमीटर के घाव मिले. इसके अलावा कंधे के हिस्से में 2.8x0.5x5 और 5x0.8x13 सेंटीमीटर के दो घाव मिले. कुल 4.

पीठ पर पीछे से धारदार हथियार घोंपने के घाव भी अंकित शर्मा के शरीर पर मिले. 4.5x1 और 4x0.8 सेंटीमीटर के. जो काफी गहराई, यानी अंकित शर्मा के फेफड़ों तक, जाते थे. कुल 2.
इसके साथ ही पॉइंट नंबर 30 और 31 पर भी धारदार हथियार घोंपने का ज़िक्र है. कंधे पर 2.5x0.8x2.8 और 3x5x1.6 सेंटीमीटर का घोंपने का निशान मिला. यानी 2.

ये है अंकित शर्मा के शरीर पर मिले किसी धारदार हथियार घोंपने का ब्यौरा, जो उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में लिखा पाया गया है. अमित शाह के लोकसभा में दिए गए बयान और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भले ही अंतर हो, लेकिन ये बात तय है कि अंकित शर्मा की बेरहमी से हत्या की गयी.
शरीर पर मिले बाकी 38 घाव कौन-से हैं?
रेलवे ट्रैक कन्ट्रूजन. ये ऐसे घाव होते हैं, जो किसी लाठी या डंडे से मारने पर होते हैं. इससे ये बात भी निकलकर सामने आ रही है कि अंकित शर्मा को लाठियों से पीटा भी गया.

इसके अलावा शरीर पर लैसरेटेड घाव भी हैं. ये ऐसे घाव हैं, जब शरीर कोई चीज़ से मारा जाता है, या शरीर किसी चीज़ से टकराता है, और उस जगह की चमड़ी और सॉफ्ट टिशू खुलकर सामने आ जाते हैं.

शरीर पर कटने के निशान भी मिले हैं. इसके साथ ही Abrasion यानी छिलने के निशान भी मिले हैं. कुल 38 घाव इन क़िस्मों के.
अंकित शर्मा की नृशंस हत्या का ज़िक्र इस पोस्ट्मॉर्टम रिपोर्ट के आख़िरी पेज पर भी मिलता है, जहां इस पूरे पोस्ट्मॉर्टम का सार भी पेश किया गया है. कहा गया है कि लगभग दो दिनों पहले अंकित शर्मा की मौत हो चुकी थी. यानी लगभग 25 मार्च 2020 को.

यहां ये भी ज़िक्र है कि अंकित शर्मा की मौत उनके फेफड़ों और दिमाग़ से बहुत ख़ून बह जाने की वजह से हुई. ऐसा उन्हें इन जगहों पर आई चोट की वजह से हुआ.

रिपोर्ट में लिखा गया है कि अंकित शर्मा को जितनी चोटें आयीं, उनकी वजह से अंकित शर्मा की मौत हुई. लेकिन उनके शरीर पर आए कई घाव अलग-अलग भी घातक थे. यानी अगर ऐसी एक चोट भी आए, तो भी नैचुरल स्थितियों में मौत हो सकती है. और अंकित शर्मा को ऐसी कुल 51 चोटें थीं.
क्या कहना है जानकारों का?
इस पूरे मामले को विशेषज्ञ की नज़र से देखने के लिए हमने बीएचयू के फॉरेंसिक साइंस विभाग के प्रोफ़ेसर मनोज कुमार से बात की. हमने उनसे पूछा कि शरीर पर 400 घाव कैसे हो सकते हैं? उनका जवाब आया,
"घोंपने के 400 घाव मतलब बहुत ही ज्यादा घृणा के तहत किसी कार्रवाई को अंजाम दिया गया हो. फॉरेंसिक में इसे डेथ आफ्टर डेथ कहते हैं. मतलब मर जाने के बाद भी मारते रहना.”कहते हैं कि अगर किसी को 400 बार चाकू घोंपा गया है तो बॉडी की स्थिति बहुत खराब हो जाएगी. इतना खून बहेगा कि बॉडी पीली पड़ जाएगी. इसके बाद उन्होंने कुछ और जानकारी दी. कहा,
"अगर किसी को 400 बार चाकुओं से मारा जाए तो पोस्टमॉर्टम में घावों की गिनती करना मुश्किल हो जाएगा. साथ ही गोदने के 400 घावों की वजह से बॉडी पर दूसरे तरीके के घावों को पहचाना नहीं जा सकेगा. बॉडी की स्थिति बेहद खराब हो जाएगी.”
तो कहां से निकली 400 घावों की बात
इंटरनेट की मानें तो अंकित शर्मा के शरीर पर 400 घाव होने की बात सबसे पहले एक टीवी चैनल की स्ट्रटीजिक अफ़ेयर्स संपादक-पत्रकार द्वारा 27 फ़रवरी को रात 10 बजे के आसपास किए गए ट्वीट से सामने आयी. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के हवालों से पत्रकार ने कहा कि अंकित शर्मा की पोस्ट्मॉर्टम रिपोर्ट में पाया गया है कि उसे 400 बार चाकू से मारा गया है. साथ ही पत्रकार ने ये भी दावा किया कि अंकित शर्मा का शरीर क्षत-विक्षत हो चुका था.
इसके बाद एक प्रोपेगेंडा वेबसाइट ने भी अंकित शर्मा की पोस्ट्मॉर्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा कि अंकित शर्मा को 400 बार चाकुओं से गोदा गया. ये वेबसाइट एक क़दम आगे गयी. उसने फ़ोरेंसिक डॉक्टरों के हवाले से लिख दिया कि अंकित शर्मा को 4-6 घंटे तक लगातार चाक़ू मारा गया. इस वेबसाइट की मानें तो अंकित शर्मा की हत्या बेहद ज़्यादा ग़ुस्से और घृणा के तहत की गयी. यहां पर भी ये दावा था कि अंकित शर्मा का शरीर क्षत विक्षत स्थिति में अस्पताल लाया गया था.

इसके बाद अगली सुबह देश के कई समाचार चैनलों ने अंकित शर्मा को 400 बार चाकू मारने का ज़िक्र अपनी ख़बरों में किया. सबके पीछे दिल्ली पुलिस के सूत्र थे. अब तक कहीं असल पोस्ट्मॉर्टम रिपोर्ट का हवाला नहीं था.
बात ख़बरों और पत्रकारों पर ही नहीं रुकी. भाजपा के कई नेताओं ने अंकित शर्मा के शरीर पर 400 घावों का हवाला दिया. गृहमंत्री अमित शाह की बात तो हमने बता दी. नई दिल्ली लोकसभा से सांसद मीनाक्षी लेखी, जो पेशे से सुप्रीम कोर्ट की वक़ील भी हैं, ने भी लोकसभा में अंकित शर्मा के शरीर पर गोदने के 400 घावों का हवाला दिया. राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने भी राज्यसभा में ही अंकित शर्मा को 400 चाक़ू मारने का हवाला दिया.
तो क्या दिल्ली पुलिस ने झूठ कहा?
ऐसा सफ़ाई से नहीं कह सकते. क्यों? क्योंकि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और प्रवक्ताओं ने आधिकारिक रूप से कहीं भी ये बयान नहीं दिया है कि अंकित शर्मा के शरीर पर 400 घाव मिले थे. जहां भी ऐसी बातें सामने आयीं, उनके पीछे कोई काग़ज़ नहीं था. बस सूत्र थे. ऐसे में ये बिलकुल संभव है कि या तो सूत्रों को सही जानकारी नहीं थी, या सूत्रों ने जानबूझकर ग़लत जानकारी मुहैया करायी.

लेकिन बात गृहमंत्री तक जाती है. उन्होंने ख़ुद ये दावा लोकसभा में किया था. ऐसे में उनके अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग पर सवाल उठते हैं कि क्या अंकित शर्मा की मृत्यु पर अमित शाह को झूठी या ग़लत जानकारी दी गयी? और सवाल ये भी कि क्या अमित शाह ने बिना पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के हवाले से लोकसभा में अमुक बयान दे दिया?
हम ये ख़बर क्यों कर रहे हैं?
अंकित शर्मा की हत्या नृशंस है. लेकिन जब आप किसी की हत्या का तरीक़ा बताते हैं, तो उसके पीछे कहीं न कहीं हत्या की मंशा और कारण छिपे होते हैं. बीएचयू के मनोविज्ञान संकाय की एक प्रोफेसर बताती हैं कि अंकित शर्मा को 400 बार चाक़ू मारने की जब आप बात करते हैं, तो आप ये बताते हैं कि अंकित शर्मा के खिलाफ़ कितना ग़ुस्सा था, उनसे कितनी घृणा थी कि उन्हें 400 बार मारा गया. ऐसे में भीड़ की मानसिकता और भीड़ की पहचान भी आप ज़ाहिर करते हैं. किसी को इतनी बार मारा जाना एक ही स्थिति में सम्भव हो सकता है कि मृतक की अपने हत्यारों से गम्भीर क़िस्म की दुश्मनी हो. दंगों में ऐसा मुश्किल है.
लेकिन अगर किसी को 13 बार चाकुओं से मारा जाए तब? जवाब है कि समस्या उतनी ही गंभीर है और मौत उतनी ही नृशंस. मारने वालों ने किसी ग़ुस्से में ही मृतक को इतनी बार चाकुओं से मारा होगा. उसे भिन्न-भिन तरीक़ों से पीटा होगा. लेकिन यहां पर ज़रूरी बात और कारण ये है कि अंकित शर्मा की मौत को किसी राजनीतिक या एजेंडे के टूल की तरह इस्तेमाल न किया जाए. और इसके लिए ग़लत जानकारी का इस्तेमाल न किया जाए. अंकित शर्मा देश के एक नागरिक थे. इंटेलिजेन्स ब्युरो के कर्मचारी भी. उनकी मृत्यु का सच सामने आना चाहिए. और पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत अंकित शर्मा को न्याय मिले.
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