सचिन तेंदुलकर. देश का सबसे ज़्यादा जाना पहचाना नाम. कई बार नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ट्विटर पर आते हैं. एक ट्वीट करते हैं - https://twitter.com/sachin_rt/status/744876976704368641 कहते हैं कि पता लगाओ मैं कहां हूं. और सब जुट गए. सचिन तेंदुलकर कहां हैं, ये पता लगाने में. हालांकि सचिन को तो मालूम ही था वो कहां हैं लेकिन फिर भी फैन्स तो फैन्स हैं. उन्हें सचिन को ये बताना कि वो कहां हैं, अपना कर्तव्य मालूम देने लगा. सोचने लगे. गेस मारने लगे. कुछ ऐसे भी आये जो सिर्फ 'गॉड आई लव यू' कह के चले जाते. एक ने तो ये कह दिया कि सचिन सभी जगह हैं क्यूंकि भगवान सभी जगह है. बातों-ट्वीटों का सिलसिला चलता रहा. लेकिन गेस कोई नहीं कर पाया. इसपर सचिन ने सोचा कि थोड़ी मुश्किल हल की जाए. उन्होंने दूसरा ट्वीट ठोंका - https://twitter.com/sachin_rt/status/745158938643988481 अबकी बार फिर एक फोटू थी. इस बार बस सचिन पीछे वाली फ़ोटो के दूसरी ओर थे. पीछे वाली फ़ोटो पर चार अक्षर लिखे थे. NOBU. बस! लगे लोग धकापेल ट्वीट करने. कि सचिन नोबू में हैं. इन्टरनेट हो तो आदमी ख़ुदा खोज निकाले. ये तो फिर भी नोबू था. पता ये चला कि सचिन तेंदुलकर लंडन के ओल्ड प्लार्क लेन में पाए जाने वाले नोबू रेस्टोरेंट में थे. इस बात का प्रूफ भी मिला. खुद नोबू के ही ट्विटर हैंडल से: https://twitter.com/NobuOldParkLane/status/702120921545490432
खैर. यहां सचिन तेंदुलकर की बात खतम हो गयी. लेकिन एक ख्याल दिमाग में अटक गया. इसे लिखे जाने तक सचिन तेंदुलकर के 11,279,243 फॉलोवर्स हैं. ये ट्वीट अगर आधे लोगों ने भी देखा होगा तो लगभग 50 लाख लोग हुए. और इन 50 लाख लोगों में अगर 30% लोगों ने भी NOBU को गूगल पर सर्च किया होगा तो लगभग 15 लाख लोग हुए. यानी सचिन तेंदुलकर के कुल फॉलोवर्स का 15% हिस्सा. तो इस सामूहिक गूगल सर्च का असर क्या होगा? इसके लिए हमने शरण ली गूगल ट्रेंड की. गूगल ट्रेंड हमें गूगल पर चल रहे ट्रेंड के बारे में जानकारी देता है. किसी चीज के ट्रेंड को जब हम गूगल ट्रेंड पर ढूंढते हैं तो वो ये नहीं बताता है कि अमुक चीज कितनी बार सर्च की गयी है, बल्कि वो उसके ट्रेंड को बताता है. कि आखिर वो सर्च ऑब्जेक्ट कितनी चलन में है? और चीज़ों के मुकाबले उसके क्या हाल हैं? NOBU को सर्च करने पर उस शब्द की इंडिया में पिछले 7 दिनों की ये कहानी सामने आई. NOBU टर्म के इस्तेमाल में एक बहुत ही ज़्यादा बड़ा उछाल देखा जा सकता है. 16 जून से 21 जून तक इस टर्म का इस्तेमाल शून्य के बराबर ही था लेकिन सचिन के ट्वीट के बाद से एक बहुत बड़ा स्पाइक देखने को मिला. ऐसा लग रहा था जैसे अचानक ही किसी ने एक बांध खोल दिया हो. इससे काफी कुछ समझ में भी आता है. इंसानों का बिहेवियर और साथ ही किसी बात के इन्टरनेट पर फैलने के चान्सेज़. और साथ ही उनका पैटर्न. तन्मय भट्ट की लता मंगेशकर और सचिन से जुड़ी कंट्रोवर्सी हो या सलमान खान का लेटेस्ट वाला विवादित बयान, बात बढ़ी है तो इन्टरनेट की बदौलत. ये तो बस एक चार अक्षर का मामूली सा टर्म था. फ़र्क ये था कि ट्वीट करने वाला कोई मामूली इंसान नहीं था.
सचिन ने ट्वीट किया और गूगल पर सर्च का बांध टूट गया
सचिन तेंदुलकर. पहले रन बनाते थे. अब ट्वीट करके सर्च का रिकॉर्ड बनाने वाले हैं. क्या न करें ये.
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फोटो - thelallantop
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