छत्तीसगढ़ (Chhatisgarh) के दुर्ग (Durg) से धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में केरल (Kerala) की रहने वाली दो ननों की गिरफ्तारी का मुद्दा गरमाता जा रहा है. रायपुर से लेकर दिल्ली और केरल तक, इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. इन ननों पर तीन महिलाओं का जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप है. लेकिन मामले में ट्विस्ट आता दिख रहा है, पीड़ित महिलाओं में से एक ने बताया है कि उन्हें ननों के खिलाफ बयान देने को मजबूर किया गया है.
नन अरेस्ट केस में एक पीड़िता का खुलासा, कहा- 'ननों के खिलाफ जबरदस्ती बयान दिलवाया गया'
Chhatisgarh के Durg से दो ननों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर बवाल बढ़ता नजर आ रहा है. एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि पुलिस इस मामले में अपना काम कर रही है, वहीं केरल सरकार इस कार्रवाई का विरोध कर रही है. अब एक पीड़िता ने बड़ा खुलासा किया है.

प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस नाम की दो ननों को 25 जुलाई को सुखमन मंडावी नाम के एक शख्स के साथ छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था. इनको छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया. इनकी गिरफ्तारी बजरंग दल के एक स्थानीय कार्यकर्ता की शिकायत पर हुई थी. इन पर नारायणपुर की तीन महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराने और उनकी तस्करी करने की कोशिश का आरोप लगाया गया है.
नारायणपुर की जिन तीन महिलाओं के जबरन धर्म परिवर्तन का दावा किया गया है, उनमें से एक ने बताया है कि उन्हें ननों के खिलाफ बयान देने को मजबूर किया गया है. महिला ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि एक दक्षिणपंथी संगठन से जुड़ी महिला ज्योति शर्मा ने उन्हें अपना बयान बदलने के लिए धमकाया और उनसे मारपीट की. उन्होंने आगे दावा किया कि पुलिस ने बजरंग दल के सदस्यों की बताई गई बातों के आधार पर FIR दर्ज की. वहीं बजरंग दल के छत्तीसगढ़ समन्वयक ऋषि मिश्रा का दावा है,
बजरंग दल से जुड़े एक रिक्शा चालक ने ननों और महिलाओं के बीच की बातचीत सुनी, जिसके बाद उन्हें शक हुआ कि उनकी तस्करी की जा रही है. इसके बाद हमारे कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और GRP से शिकायत की.
ऋषि मिश्रा ने आगे बताया कि ज्योति शर्मा बजरंग दल से नहीं बल्कि दुर्गा वाहिनी मातृशक्ति नाम की संगठन से जुड़ी हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने ज्योति शर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने खुद को हिंदुत्वादी बताते हुए कहा कि, जहां भी हिंदुत्व को बचाने की जरूरत होती है, वहां वो पहुंच जाती हैं.
छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण कुमार गौतम ने नारायणपुर की महिला के आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार किया है. उन्होंने बताया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है. 21 साल की आदिवासी महिला दुर्ग के एक रिमांड होम में पांच दिन बिताने के बाद 30 जुलाई को अपने घर नारायणपुर पहुंच गई. उन्होंने फोन पर बात करते हुए बताया कि गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी निर्दोष हैं, उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए.
पीड़िता महिला ने बताया कि वह 25 जुलाई को अपने माता-पिता की सहमति और अपनी मर्जी से ननों के साथ दुर्ग रेलवे स्टेशन गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि ज्योति शर्मा ने उनके साथ मारपीट की. और दुर्ग स्थित GRP ने उनका बयान दर्ज नहीं किया. महिला ने आगे बताया कि पुलिस ने बजरंग दल के सदस्यों के बयान के आधार पर FIR दर्ज की.
ननों की गिरफ्तारी का मुद्दा गरमायाछत्तीसगढ़ के दुर्ग से दो ननों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर बवाल बढ़ता नजर आ रहा है. एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि पुलिस इस मामले में अपना काम कर रही है, वहीं केरल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने ननों पर लगाए गए आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने सफाई दी कि दोनों ननों का मानव तस्करी या धर्मांतरण से कोई रिश्ता नहीं है.
इससे पहले 28 जुलाई को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी. वहीं दिल्ली में संसद के बाहर इंडिया गठबंधन के नेताओं ने प्रदर्शन किया. लोकसभा में भी कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर इस मामले पर चर्चा की मांग की.
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