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एक कविता रोज़ में सुनिए बद्रीनारायण की कविता - न जाने क्या हुआ

राजा को भी अब लोकगाथाओं में जगह चाहिए/जगह भी वहां जहां लोकगाथाओं में नायक बैठते हैं

‘मैं निपट अकेला कैसे बचाऊंगा तुम्हारा प्रेम-पत्र’. ये पंक्तियां जाने-अनजाने ही सही मगर हम सबने पढ़ी होगी. ये कवि बद्री नारायण की कविता की पंक्तियां हैं. इन्हीं की एक कविता 'न जाने क्या हुआ' हम आज आपको सुनाते हैं एक कविता रोज़ के इस एपिसोड में. देखिए वीडियो.