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मध्य प्रदेश पटवारी भर्ती: 1200 से अधिक पद खाली, फिर भी नहीं मिल रही वेटिंग लिस्ट वालों को नियुक्ति

ट्विटर पर चल रहा ट्रेंड, #मामाजी_पटवारी_वेटिंग_क्लियर_करो.

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सरकारी नौकरी की तैयारी करने वालों के लिए पटवारी भर्ती के लिए नोटिफिकेशन आना किसी त्योहार से कम नहीं होता. मतलब ये कि SSC, बैंक, रेलवे और दूसरी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले आपस में बंटे हुए हैं. कोई किसी भर्ती की तैयारी करता है, तो कोई किसी की. लेकिन पटवारी की परीक्षा ऐसी होती है, जिसमें हर कोई आवेदन करता है. ऐसी ही पटवारी की एक भर्ती आई मध्य प्रदेश में. साल था 2017 का और वैकेंसी थी 9235 सीटों की.
परीक्षा पूरी हुई और रिजल्ट भी आ गया. सरकार ने 10 बार काउंसलिंग भी करा दी. लेकिन अभी भी लगभग 1257 सीटें खाली रह गईं, जबकि वेटिंग लिस्ट में शामिल 1000 के लगभग सफल अभ्यर्थी काउंसलिंग का इंतजार कर रहे हैं. 
पटवारी भर्ती का नोटिफिकेशन
पटवारी भर्ती का नोटिफिकेशन

क्या है पूरा मामला?  
अक्टूबर 2017 में मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पटवारी के 9235 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया. दिसंबर 2017 और जनवरी 2018 में इसकी परीक्षा हुई. 26 मार्च 2018 को इस परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया. 9235 चयनित और वेटिंग लिस्ट में शामिल 15% यानी कि 1476 अभ्यर्थियों की लिस्ट राजस्व विभाग को सौंप दी गई. 26 जून 2018 को पहली काउंसलिंग आयोजित की गई. 6 अगस्त 2018 को पहली काउंसलिंग में उपस्थित रहे अभ्यर्थियों को नियुक्ति देकर ट्रेनिंग शुरू कर दी गई. लेकिन जैसा कि हर काउंसलिंग में होता है, सारी सीटें पहली काउंसलिंग में नहीं भर पाईं. ऐसे में वेटिंग लिस्ट में शामिल रहे कैंडिडेट दूसरी काउंसलिंग की मांग करने लगे.
वेटिंग लिस्ट का इंतजार कर संदीप बताते हैं, 
पहली काउंसलिंग के बाद लगभग 7800 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई थी.लगभग 1400 पद रिक्त रह गए. इन रिक्त पदों पर हमें जॉइनिंग मिलनी थी. लेकिन विभाग ने कभी भी डेटा क्लियर नहीं किया कि कितने पद खाली हैं. वे हमेशा यही कहते कि पद जिला स्तर के हैं तो आप अलग-अलग जिलों में आरटीआई लगाकर जानकारी ले लो. फिर हमने पूरे 51 जिलों में RTI लगाई, जहां से हमें पता चला कि अभी भी 1257 पद खाली हैं. पद खाली होने के बाद भी जब वेटिंग लिस्ट वालों की काउंसलिंग नहीं कराई जा रही थी, तो हम जनवरी 2019 में भोपाल में धरने पर बैठ गए. उस समय मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्व मंत्री, दोनों ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही ये पद भर लिए जाएंगे.
मध्य प्रदेश सरकार का राजपत्र, जिसमें खाली सीटों को वेटिंग कैंडिडेट्स से ही भरने की बात कही गई है.
मध्य प्रदेश सरकार का राजपत्र, जिसमें खाली सीटों को वेटिंग कैंडिडेट्स से ही भरने की बात कही गई है.

10 काउंसलिंग में भी नहीं भरीं सीटें
विभाग की ओर से दूसरी काउंसलिंग आयोजित की गई जुलाई 2019 में. मतलब पहली काउंसलिंग से दूसरी काउंसलिंग तक में एक साल का समय लग गया. लेकिन दूसरी काउंसलिंग में खेल के नियम ही बदल दिए गए. अब राज्य स्तर की बजाय जिला स्तर पर काउंसलिंग किया जाने लगा.
संदीप बताते हैं, 
दूसरी काउंसलिंग में ऑनलाइन प्रक्रिया को ऑफलाइन कर दिया गया. पहली काउंसलिंग राज्य स्तर पर मेरिट के आधार पर हुई थी. इसलिए जब दूसरी काउंसलिंग में जिला स्तर पर लोगों को बुलाया जाने लगा, तो इसमें अधिकतर वही कैंडिडेट थे, जो पहली काउंसलिंग में कहीं न कहीं नौकरी कर रहे थे. मतलब ये कि एक व्यक्ति जो रीवा में नौकरी कर रहा है, उसे ही इन्होंने जबलपुर से, ग्वालियर से, शहडोल से काउंसलिंग के लिए बुलाना शुरू कर दिया. इसी तरह से इन्होंने 10 काउंसलिंग आयोजित कर ली. 
वेटिंग लिस्ट में शामिल अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें काउंसलिंग का मौका ही नहीं दिया गया, जबकि खाली सीटों पर उनका ही दावा बनता है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि दूसरी काउंसलिंग में उन्हीं लोगों को बुलाया गया, जो पहले से ही कहीं नौकरी कर रहे थे.
वेटिंग लिस्ट में शामिल प्रदीप बताते हैं,
ये जो रिक्त पद है, ये हम लोगों से भरे जाने हैं. लेकिन विभाग ने दूसरी काउंसलिंग के बाद से ही चमत्कार करना शुरू कर दिया. जो लोग दूर-दूर के जिलों में चले गए थे, उनका ट्रांसफर कर दिया काउंसलिंग के नाम पर. जैसे जबलपुर में 180 खाली पद थे, जिन पर पटवारी की परीक्षा हुई थी. पहली काउंसलिंग के दौरान इन्होंने 180 लोगों को बुलाया. 180 में से 159 लोग आए. एक उम्मीदवार ने बाद में त्यागपत्र दे दिया. इस तरह से अब 22 पद दूसरी काउंसलिंग के लिए खाली थे. लेकिन दूसरी काउंसलिंग में इन्होंने बुलाया मात्र 11 लोगों को.
जब हमने पूछा कि 22 पद खाली हैं, तो 11 लोगों को ही क्यों बुलाया गया? तो जवाब मिला कि उच्चाधिकारियों के आदेश हैं. लेकिन यही बात लिखित में देने को कोई तैयार नहीं हुआ. इस तरह 10 काउंसलिंग में इन्होंने केवल 140 लोगों को उठाया. वर्तमान स्थिति ये है कि 10 काउंसलिंग के बाद भी 1257 रिक्त पद हैं. सारी योग्यता रखने वाले हम 1000 के लगभग बेरोजगार भी हैं. और विभाग ने भर्ती प्रक्रिया को खत्म भी कर दिया. 
नौकरी पा चुके लोगों की ही दोबारा काउंसलिंग
पटवारी भर्ती के फॉर्म में ही ये ऑप्शन था कि अभ्यर्थी अपने पसंद के हिसाब से जिलों को सेलेक्ट कर सकता है. हर किसी की कोशिश यही होती है कि कहीं भी मिले, लेकिन नौकरी बस मिल जाए. इसलिए अधिकतर अभ्यर्थी सारे जिलों को टिक कर देते हैं. रिजल्ट आने के बाद जब कट-ऑफ आता है, तो वो हर जिले का अलग-अलग होता है. जब कोई अभ्यर्थी एक जिले में जॉइन करता है, तो बाकी के जिलों में उसे वेटिंग का स्टेटस मिल जाता है. यानी कि एक जिले में नौकरी करते हुए बाकी के 50 जिलों में वेटिंग स्टेटस मिल जाता है. और पहले से वेटिंग लिस्ट में शामिल लोग पीछे रह जाते हैं. अभ्यर्थियों का आरोप है कि जब दोबारा काउंसलिंग हुई तो पहले से ही सेलेक्टेड कैंडिडेट को दोबारा काउंसलिंग के लिए बुलाया गया.
प्रदीप बताते हैं, 
जब दोबारा काउंसलिंग हुआ, तो इन्हीं कैंडिडेट्स को वेटिंग मानते हुए इनके जिलों को बदल दिया गया. अब आप सोचिए कि कोई कैंडिडेट एक जगह जॉइन कर चुका है और उसे पांच-पांच जिलों से कॉल लेटर भी आ रहा है. जबकि नियम ये कहता है कि जब आपने एक जगह जॉइन कर लिया है, तो फिर आपका वेटिंग का स्टेटस खत्म हो जाता है. क्योंकि हर जिले में पटवारी का ही पद है और एक जगह जॉइन करने के बाद आपके बाद वालों को मौका मिलेगा. लेकिन वेटिंग लिस्ट में नए बंदे हैं, जिन्हें कहीं जॉइनिंग नहीं मिली है, उन्हें कोई मौका ही नहीं मिल रहा है. 
वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों ने काउंसलिंग करवाने के लिए सरकार से मांग से की. लेटर लिखा. ज्ञापन दिया. धरना प्रदर्शन तक किया. लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया जाता रहा.
संदीप कहते हैं,
पिछले दो साल में हम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज चौहान, राजस्व मंत्री गोपाल सिंह राजपूत, राजस्व सचिव, राजस्व आयुक्त सबसे मिले. लेकिन कोई भी इस भर्ती प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा रहा. 20 से अधिक बार हमने भोपाल में धरना प्रदर्शन किया. राजस्व मंत्री हमें 5 मार्च 2020 तक आश्वस्त करते रहे. 5 मार्च को भी उन्होंने हमसे यही कहा था कि इस महीने के अंत तक आपकी नियुक्ति करा देंगे. 6 मार्च को खुद बेंगलुरु चले जाते हैं और सरकार गिर जाती है. 
  सरकार गिरी और फिर बन भी गई. कोरोना की वजह से लॉकडाउन हो जाता है. इसके बाद अब तक नई सरकार की ओर से भी कोई कदम नहीं आगे बढ़ाया गया है. अभ्यर्थियों के सामने बड़ी समस्या ये भी है कि वेटिंग लिस्ट की वैलिडिटी 18 महीने ही होती है. अब रिजल्ट आए लगभग दो साल होने को है और अभ्यर्थियों की काउंसलिंग भी नहीं हो सकी. अभ्यर्थियों का आरोप है कि विभाग ये तो कह रहा है कि सीट खाली नहीं है, लेकिन ये नहीं बता रहा कि इन्होंने कितने लोगों को नौकरी दी.
संदीप कहते हैं,
हम विभाग से यही कह रहे हैं कि अगर आपके पास सीट खाली नहीं है, तो सारा डेटा ऑनलाइन जारी कर दो. कितने कैंडिडेट्स को आपने नियुक्ति दी? कौन सा कैंडिडेट कहां पदस्थ है? ये सारी जानकारी आप ऑनलाइन कर दो. हम पूरा मूवमेंट बंद कर देंगे. सब बंद कर देंगे. आप डेटा तो दो. लेकिन ये लिस्ट ही नहीं जारी कर रहे हैं. 
वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों के सवालों का जवाब जानने के लिए हमने सचिव, राजस्व विभाग के ऑफिस में फोन किया. वहां से हमें कमिश्नर लैंड रिकॉर्ड्स (CLR), ग्वालियर के दफ्तर में बात करने के लिए कहा गया. CLR ऑफिस से हमें बताया गया कि अभी सारा स्टाफ कोरोना में लगा हुआ है, इसलिए सारी प्रक्रिया कुछ दिनों के लिए रुकी हुई है. भर्ती होगी, लेकिन कब तक होगी ये निश्चित नहीं है. इतना कहकर फोन काट दिया गया. ये सरकार का जवाब है. भर्ती तो कराएंगे, लेकिन कब, ये नहीं पता.
इससे पहले वाली सरकार ने 10-10 काउंसलिंग करा दी और भर्ती दी केवल 140 लोगों को, जबकि 1200 के लगभग सीट खाली हैं और लगभग इतने ही कैंडिडेट वेटिंग लिस्ट में भी हैं. सीट खाली होने के बावजूद इन्हें जॉइनिंग क्यों नहीं दी जा रही है, इसका जवाब कोई देने को तैयार नहीं है.


रंगरूट. दी लल्लनटॉप की एक नई पहल. जहां पर बात होगी नौजवानों की. उनकी पढ़ाई लिखाई और कॉलेज यूनिवर्सिटी कैंपस से जुड़े मुद्दों की. हम बात करेंगे नौकरियों, प्लेसमेंट और करियर की. अगर आपके पास भी ऐसा कोई मुद्दा है तो उसे भेजिए हमारे पास. हमारा पता है YUVA.LALLANTOP@GMAIL.COM.


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