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21 दिन में जांच, आखिरी सांस तक जेल..., ममता सरकार के एंटी-रेप बिल में क्या-क्या है?

Mamata Banerjee सरकार ने 3 सितंबर को विधानसभा में रेप को लेकर एक नया कानून टेबल किया, जो पास हो गया है. जानें इस नए कानून की खास बातें.

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ममता सरकार का एंटी रेप बिल विधानसभा में हुआ पास (फोटो: PTI)

कोलकाता डॉक्टर रेप-हत्या मामले में लापरवाही और सुस्त जांच के आरोपों से घिरी पश्चिम बंगाल सरकार ने विधानसभा में एंटी-रेप विधेयक पेश कर दिया है. मंगलवार, 3 सितंबर को सदन में लाए गए इस बिल को पारित करा लिया गया है. इसका नाम है ‘अपराजिता महिला और बाल बिल 2024’, जो राज्य में पहले से लागू आपराधिक कानूनों की लिस्ट में संशोधन प्रस्तावित करता है.

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ये बिल भारतीय न्याय संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के साथ-साथ साल Prevention of Children from Sexual Offences Act यानी POCSO के कुछ प्रावधानों में संशोधन प्रस्तावित करता है. इससे पहले 28 अगस्त को राज्य कैबिनेट ने इस बिल के मसौदे को मंजूरी दी थी. तब बिल के बारे में बात करते हुए सीएम ममता बनर्जी ने मीडिया से कहा था,

“अगर राज्य सरकार के पास ताकत होती, तो हम ये सुनिश्चित करते कि RG कर मेडिकल कॉलेज में हुई घटना के सात दिनों के भीतर मुख्य अभियुक्त को मौत की सजा मिले. हम इस केस के आरोपी को मौत की सजा दिलवाने के लिए एक कैम्पेन लॉन्च करेंगे.”

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बिल कैबिनेट से पास हुआ. उसके बाद विधानसभा में वोटिंग होनी थी. इसके लिए सरकार ने  2 सितंबर को दो दिनों का विशेष विधानसभा सत्र बुलाया था. 2 सितंबर को कुछ कारणों की वजह से ये बिल टेबल नहीं हो सका, लिहाजा इसे 3 सितंबर को टेबल किया गया. अब इस बिल की खास बातें क्या है, वो जानते हैं.

बिल की खास बातें

- रेप से जुड़े केसों में प्राथमिक सूचना मिलने के 21 दिनों के अंदर मामले की जांच पूरी कर ली जाएगी.
- अगर 21 दिनों के अंदर केस अधिकारी जांच पूरी नहीं कर पाते हैं, तो केस की जांच पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को सौंप दी जाएगी.
- जांच का हैंडओवर मिलने के बाद नए अधिकारी के पास जांच पूरी करने के लिए अधिकतम 15 दिनों का समय होगा.
- पुलिस के विशेष जांच दल का गठन किया जाएगा, जो बच्चों और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के केसों की जांच करने के लिए उचित संसाधनों से लैस होगा.
- केसों की जांच के लिए 'अपराजिता टास्क फोर्स' का भी गठन किया जाएगा, जो जिला लेवल की टीम होगी और इस टीम की अगुआई पुलिस उपाधीक्षक करेंगे.
-  ऐसे केसों की सुनवाई के लिए स्पेशल अदालतों का गठन किया जाएगा.
- अगर रेप केस में पीड़िता की मौत हो जाती है, या पीड़िता निश्चेत अवस्था में पहुंच जाती है, तो दोषी को सजा-ए-मौत दे दी जाएगी.
- मौत या निश्चेतना की स्थिति न आने पर रेप या गैंगरेप के दोषियों को जीवन के अंत तक आजीवन कारावास काटना होगा.
- विक्टिम की पहचान उजागर करने पर 3 से 5 साल की जेल.
- बिना इजाज़त अदालत की कार्रवाई को प्रकाशित करने पर 3 से 5 साल की जेल.
- एसिड अटैक करने पर जीवन के अंत तक आजीवन कारावास.

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