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AI, लेजर और हाइपरसोनिक तकनीक: भारत के 5 फ्यूचर हथियार जो बदल देंगे जंग का अंदाज़

India's Future Weapons: भारत 2026 तक BrahMos-II हाइपरसोनिक मिसाइल, DURGA-II लेजर वेपन, AI-बेस्ड रोबोटिक टैंक, क्वांटम रडार और एंटी-सैटेलाइट सिस्टम जैसे फ्यूचर वेपन लॉन्च करने को तैयार है. DRDO, ISRO, HAL और प्राइवेट स्टार्टअप्स ₹4000 करोड़ से अधिक निवेश के साथ युद्ध की परिभाषा बदल रहे हैं.

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भारत के 5 घातक हथियार जो दुश्मन को दिखेंगे नहीं

अब जो दिखेगा, वो बचेगा नहीं- और जो बचेगा, वो डर में जिएगा. भारत के फ्यूचर वैपन पर ये कहावत एकदम सटीक बैठती है. वजह साफ है, भारत की आने वाली पीढ़ी के हथियार सिर्फ आयुध नहीं, Intelligent Strike Platforms होंगे, जो सोचते भी हैं, देखते भी हैं, और दुश्मन को पल भर में ढूंढकर खत्म भी कर देते हैं.

1. हाइपरसोनिक मिसाइल: पता चलने से पहले ही दुश्मन तबाह

DRDO का HSTDV (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) अब परीक्षण से निकलकर उत्पादन की ओर बढ़ रहा है. इसकी Mach 6 यानी ध्वनि से 6 गुना तेज़ रफ्तार दुश्मन को रडार पर भी सोचने का मौका भी नहीं देती. इस हाइपरसोनिक तकनीक में भारत चीन और रूस के बराबर पहुंच जाएगा. इतना ही नहीं अमेरिका को पीछे छोड़ने की तैयारी भी पूरी है.

कहां और किसने बनाया?

  • DRDO का प्रमुख HSTDV कार्यक्रम- Hyderabad और Odisha में रिसर्च और डेवेलपमेंट
  • साझेदार: रूस (ब्रह्मोस-2 के लिए), इज़राइल और UK टेक्नोलॉजी सपोर्ट
  • प्रोजेक्ट नेतृत्व: DRDO Aeronautics Systems

कितना खर्च हुआ?

आधिकारिक रूप में प्रोजेक्ट के असल बजट आवंटन का ब्यौरा मजबूत नहीं है, मगर पब्लिक प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारियों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर करीब 2580 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है. इसके अलावा फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक SCRAMJET इंजन, विंड टनल, रडार-एवेडिंग डिज़ाइन के लिए भी भारी फंडिंग हुई है.

इसरो के पूर्व चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी (G. Satheesh Reddy) ने इस तकनीक पर लल्लनटॉप से बात करते हुए कहा कि 

यह एक बड़ी तकनीकी सफलता है, जो आने वाले समय की नई और तेज़ हाइपरसोनिक मिसाइलें बनाने का रास्ता खोलती है.

Indias Hypersonic Missile
ब्रह्मोस का अगल संस्करण हाइपरसोनिक होगा (फोटो- इंडिया टुडे)

इसी हाइपसोनिक मिसाइल तकनीक पर बनेगा भारत का अगला ब्रह्मोस-2. जिसकी 2026 तक लॉन्च संभावित है.

2. Directed Energy Weapons (DEW): लेजर से लगेगी दुश्मन की लंका

“अब दुश्मन की मिसाइल को मिसाइल से नहीं, रौशनी से तबाह किया जाएगा.” लेजर हथियारों को एक लाइन में कुछ इसी तरह से समझाया जा सकता है. DRDO का ADITYA और DURGA-2 प्रोजेक्ट भारत को लेजर वैपन युग में ले जा रहा है. मिसाइल, ड्रोन या फाइटर जेट. जो भी आएगा, लेजर बीम उसे पल भर में जला सकती है. बिना आवाज़, बिना धुएं और बिना बचने का रास्ता दिए.

कौन-कौन से प्रोजेक्ट:

DEW प्रोजेक्ट के तहत तीन अहम हथियारों पर काम चल रहा है.

  • ADITYA: 100 kW की लेजर, रेंज ~2.5 किमी
  • DURGA-II: Multi-Platform टैक्टिकल लेजर सिस्टम, ट्रक-माउंटेड, 30 kW
  • CHESS Mk-2A: Kurnool में टेस्टेड, ड्रोन नष्ट करने की क्षमता

कब और कहां बना?

  • LASTEC (DRDO Lab, Hyderabad)
  • 2010s से शुरुआत, 2024 में प्रोटोटाइप ऑपरेशनल
  • ट्रायल्स- Pokhran और CHESS रेंज, Kurnool

बजट:
इस प्रोजेक्ट के रिसर्च और डेवेलपमेंट के काम पर करीब 700 से लेकर 1000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. अगर यूनिट फायर कॉस्ट की बात करें तो इस लेजर वेपन से होने वाले हर हमले की कीमत मात्र सौ रुपये होगी.

Direct Energy Weapon
Direct Energy Weapon- रोशनी से तबाह होगा दुश्मन (फोटो- DRDO)

जाने माने रक्षा विशेषज्ञ मनीष कुमार झा ने इस हथियार सिस्टम के बारे में लल्लनटॉप से बात करते हुए कहा,

लेज़र हथियार बेहद सटीक, असरदार और ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल किए जा सकने वाले होते हैं. ये पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार तकनीक हैं.

3. रोबोटिक टैंक और मानव रहित युद्ध प्रणाली

भारत के स्वदेशी म्यूल टैंक, अटैक ड्रोन, और स्वार्म रोबोट्स अब सेना की अगली कतार में होंगे. आसान भाषा में समझें तो जब खतरा हो तो जवान नहीं, रोबोट आगे बढ़ेंगे. सेना की स्पेशल यूनिट्स के लिए ALPHA और WARRIOR प्लेटफॉर्म्स तैयार. भारत का इरादा साफ है- "अब जंग में जवान नहीं, AI चलेगा"

भारत के AI सिस्टम:
भारतीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यूं तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कई प्रोजेक्ट पर भारत काम कर रहा है, लेकिन कुछ प्रमुख प्रोजेक्ट का ज़िक्र हम यहां कर रहे हैं, जो रिसर्च एवं डेेवलपमेंट में काफी आगे जा चुकी हैं.

  • Abhyas: 15 करोड़ रुपये का HEAT टारगेट ड्रोन
  • ALPHA Platform: मानवरहित युद्धक ग्राउंड वाहन (Unmanned combat ground vehicle) जिसे DRDO विकसित कर रहा है.
  • WARRIOR UGVs: सिक्किम और लद्दाख जैसे इलाकों के लिए डिज़ाइन
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AI संचालित रोबोटिक हथियार का प्रोटोटाइप (फोटो- AP)

बजट:
जंगी AI सिस्टम पर लागत बहुत ज्यादा नहीं आती. इस वक्त 100-300 करोड़ रुपये के क्लस्टर प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है. जिनमें BEL, HAL और कई निजी स्टार्टअप्स की भागीदारी भी है.

4. स्पेस फोर्स और एंटी-सैटेलाइट वैपन (ASAT)

“अगर जंग आसमान में होनी है, तो भारत ने पहले ही तारे तोड़ने की कला सीख ली है.” स्पेस वॉर के संदर्भ में भारत की तैयारियों पर ये लाइन एकदम सटीक बैठती है. मिशन शक्ति के बाद अब ASAT-II की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. इसका मतलब ये है कि दुश्मन के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ही तबाह कर देने की क्षमता. DRDO और ISRO मिलकर बना रहे हैं Space Surveillance & Attack Network (SSAN).  आसान भाषा में, ‘साइलेंट वॉरफेयर’ की ये असली शुरुआत है.

क्या है खासियत?

  • Mission Shakti (2019) के बाद भारत अब ASAT-II की तैयारी 
  • Low Earth Orbit सैटेलाइट्स को इंटरसेप्ट करने की एडवांस क्षमता
  • Quantum Radar, Space Surveillance के साथ AI सटीकता
Anti Satellite System
स्पेस में ही तबाह होंगे दुश्मन के जासूसी उपग्रह (फोटो- बिजनेस टुडे)

रिसर्च और विकास
भारत के स्पेस फोर्स प्रोजेक्ट को ISRO और DRDO ने मिलकर विकसित किया है. इसके तहत साइबर-स्पेस आधारित Networked Attack System विकसित किया जा रहा है. जो जरूरत पड़ने पर दुश्मन के उन जासूसी उपग्रहों को निशाना बनाकर तबाह कर देगा, जो भारत की जासूसी करने की कोशिश करेंगे.

5. Quantum Radar और AI-Driven Battlefield

भारत अब Quantum Communication और Quantum Radar पर तेजी से काम कर रहा है. ताकि दुश्मन का जासूसी सिस्टम बेकार हो जाए. AI आधारित कमांड सिस्टम हर खतरे को पहले ही पहचान लेगा और उससे निपटने की रणनीति अपने आप बना देगा.

Quantum Radar
भारत के क्वांटम रडार (फोटो- ANI)
आंकड़ों में फ्यूचर वेपन प्रोजेक्ट

भारत से फ्यूचर हथियारों की मौजूदा स्थिति और खूबियों को इस ग्राफिक्स के जरिए आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है,

हथियारसंस्थानस्टेटसखर्चविशेषता
HSTDV / BrahMos-IIDRDO और BrahMos AerospaceFlight-Tested, 2026 Target2580 करोड़ रुपयेMach 6–8, 1500 km
ADITYADRDO और LastECLab Test पास500 करोड़ रुपये100kW Laser, Anti-Drone
DURGA-II Mk2ACHESS, KurnoolDeployed Prototype300 करोड़ रुपये30kW, 5km Laser Weapon
AbhyasADE, DRDOOperational15 करोड़ रुपयेDrone Targeting Platform
ASAT-IIDRDO और ISROClassifiedजानकारी नहीं (Strategic)Space Combat & Surveillance
दुनिया में क्यों मचा है हड़कंप?

अमेरिका के रक्षा विश्लेषक कह चुके हैं-“India is not preparing for war. It’s preparing to dominate the future of warfare.” मतलब भारत अब सिर्फ जंग की तैयारी नहीं कर बल्कि भविष्य में होने वाली किसी भी जंग में निर्णायक भूमिका निभाने की ओर बढ़ रहा है.

Space Warfare
भविष्य में अलग होगा लड़ाई का रूप

उधर चीन के सहारे चल रही पाकिस्तान की मिसाइल टेक्नोलॉजी 1990 के दशक में अटकी है, जबकि भारत 2035 की तैयारी 2025 में ही कर रहा है. चीन के ऊपर भी भारत का Quantum और Hypersonic विकास दबाव बना रहा है.

नया भारत: अब हुकूमत तकनीक की होगी

"भारत अब सैनिक नहीं गिन रहा, सिस्टम गिन रहा है." रक्षा निर्यात 2024 में 21,000 करोड़ रुपये के पार कर चुका है. आत्मनिर्भर भारत अब सिर्फ नारा नहीं, दुश्मन के लिए खौफ बन चुका है. अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक हुआ तो आने वाले 5 सालों में भारत दुनिया के टॉप-5 हथियार निर्यातकों में होगा. ये सब मुमकिन होगा DRDO, HAL, BEL, Bharat Forge और L&T जैसी कंपनियों की बदौलत.

Robot
सेना की ताकत बनेगी तकनीक (फोटो- AP)
हथियार नहीं, हुकूमत बनाने की तैयारी है

भारत अब युद्ध रोकने के लिए ताकत नहीं बना रहा, युद्ध जीतने के लिए नेतृत्व बना रहा है. और उसके फ्यूचर वैपन सिस्टम सिर्फ बॉर्डर नहीं, बैटलफील्ड की परिभाषा बदलने आए हैं.

“अब दुश्मन को वॉर्निंग नहीं मिलेगी, बस रिपोर्ट में मिलेगा कि सिस्टम फेल हो गया… और भारत फिर से जीत गया.” 

वीडियो: 'ऑपरेशन सिंदूर' में पाकिस्तान के एयरबेस पर दागी गई थी ब्रह्मोस मिसाइल, सबूत मिले हैं

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